Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वक्फ बोर्ड की घट जाएगी शक्ति! अभी कितनी हैं संपत्ति; कानून बना तो सरकार के हाथ में क्या-क्या जाएगा?

    Updated: Wed, 02 Apr 2025 05:52 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने लोकसभा में बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया। सरकार ने दावा किया कि इससे गरीब मुसलमानों को फायदा होगा। विवादों में कमी आएगी और वक्फ अधिनियम की धारा-40 का दुरुपयोग रुकेगा। काम में दक्षता और पारदर्शिता आएगी। विपक्ष का आरोप है कि कानून संविधान के खिलाफ है। मुसलमानों के हित में नहीं है। ऐसे में आइए जानते हैं वक्फ संशोधन बिल के बारे में...

    Hero Image
    लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को लोकसभा में दूसरी बार वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश किया। विधेयक पर कुल आठ घंटे चर्चा होगी। अगर यह लोकसभा में पारित होता है तो गुरुवार को इसे राज्यसभा में पेश किया जा सकता है। बिल के समर्थन में सरकार का कहना है कि इससे जवाबदेही तय होगी। वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता आएगी। विपक्षी दल इसे संविधान के खिलाफ बताने में जुटे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वक्फ संशोधन विधेयक पर राष्ट्रव्यापी बहस के बीच आइए जानते हैं वक्फ बोर्ड क्या है, इसका गठन कब हुआ, इसके पास कितनी संपत्ति है... नए संशोधन विधेयक में क्या अलग है, सरकार और विपक्ष के तर्क क्या हैं... सरकार को किन-किन दलों का साथ मिला, पुराने कानूनों के किन प्राविधानों पर सरकार को आपत्ति है।

    वक्फ क्या है?

    वक्फ अरबी का शब्द है। इसका मतलब खुदा के नाम पर दी जाने वाली वस्तु या संपत्ति है। इसे परोपकार के उद्देश्य से दान किया जाता है। कोई भी मुस्लिम अपनी चल और अचल संपत्ति को वक्फ कर सकता है। अगर कोई भी संपत्ति एक भी बार वक्फ घोषित हो गई तो दोबारा उसे गैर-वक्फ संपत्ति नहीं बनाया जा सकता है।

    पहली बार कब बना वक्फ एक्ट?

    देश में पहला वक्फ अधिनियम 1954 में बनाया गया था। इसी के तहत वक्फ बोर्ड का गठन किया गया था। इसका मकसद वक्फ के कामकाज को सरल बनाना था। 1955 में पहला संशोधन किया गया। 1995 में नया वक्फ कानून बनाया गया था। इसके तहत राज्यों को वक्फ बोर्ड गठन की शक्ति दी गई। साल 2013 में संशोधन किया गया और सेक्शन 40 जोड़ी गई।

    देशभर में वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति?

    देशभर में सबसे अधिक जमीन भारतीय रेलवे और सशस्त्रबलों के पास है। संपत्ति के मामले में वक्फ बोर्ड तीसरे नंबर पर आता है। उसके पास आठ लाख एकड़ से अधिक जमीन है। बोर्ड की अनुमानित संपत्ति 1.2 लाख करोड़ रुपये है। 2009 में वक्फ बोर्ड के पास कुल 4 लाख एकड़ जमीन थी।

    कौन करता है संपत्तियों का रख-रखाव?

    वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड करते हैं। देशभर में कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं। हर राज्य में एक वक्फ बोर्ड होता है। यूपी और बिहार में दो शिया वक्फ बोर्ड भी हैं। वक्फ बोर्ड एक कानूनी इकाई है। यह संपत्ति को अर्जित करने और प्रबंधन का काम देखता है। वक्फ संपत्तियों को न तो बेचा जा सकता है और न ही पट्टे पर दिया जा सकता है।

    अभी वक्फ बोर्ड में कौन-कौन होता?

    अभी तक वक्फ बोर्ड में अध्यक्ष के अलावा प्रदेश सरकार के सदस्य, मुस्लिम सांसद, विधायक, बार काउंसिल के सदस्य, इस्लामी विद्वान और वक्फ के मुतवल्ली शामित होते थे।

    वक्फ अधिनियम में संशोधन क्यों?

    कानून में संशोधन करने के पीछे सरकार का तर्क है कि वक्फ बोर्ड के कामकाज को सुव्यवस्थित बनाना और वक्फ संपत्तियों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करना है। वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का उद्देश्य वक्फ अधिनियम- 1995 में संशोधन करना है। इससे वक्फ संपत्तियों का रेगुलेशन और प्रबंधन करने में आसानी होगी।

    • पिछले अधिनियम की कमियों को दूर करना।
    • अधिनियम का नाम बदलने जैसे बदलाव करके वक्फ बोर्डों की कार्यकुशलता को बेहतर करना।
    • वक्फ की परिभाषाओं को अपडेट करना।
    • पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार करना।
    • वक्फ रिकॉर्ड के प्रबंधन में तकनीक का दखल बढ़ाना।

    सरकार का मानना है कि मौजूदा वक्फ कानून ने कई तरह के विवादों को जन्म दिया है। वक्फ के 'एक बार वक्फ... हमेशा वक्फ' के सिद्धांत से विवाद उपजे हैं। बेट द्वारका के द्वीपों पर दावों को अदालतों ने भी उलझन भरा माना। सरकार का तर्क है कि वक्फ अधिनियम 1995 और 2013 में इसमें किया गया संशोधन अब प्रभावकारी नहीं है। इससे कुछ समस्याएं पैदा हुई हैं।

    अभी क्या समस्या आ रही थी?

    • वक्फ भूमि पर अवैध कब्जा।
    • कुप्रबंधन और स्वामित्व विवाद।
    • संपत्ति पंजीकरण और सर्वेक्षण में देरी।
    • बड़े पैमाने पर मुकदमे और मंत्रालय को शिकायतें।

    कोई न्यायिक निगरानी नहीं

    • अभी तक वक्फ न्यायाधिकरणों के निर्णयों को हाई कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी।
    • इससे वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही तय नहीं होती थी।

    वक्फ कानूनों का दुरुपयोग

    • कुछ राज्य वक्फ बोर्डों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है। इस वजह से सामुदायिक तनाव पैदा हुआ।
    • वक्फ अधिनियम की धारा 40 का सबसे अधिक दुरुपयोग किया गया। इसके तहत निजी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया गया। इसने मुकदमेबाजी को जन्म दिया।

    संवैधानिक वैधता पर सवाल

    वक्फ अधिनियम केवल एक धर्म पर लागू होता है। किसी अन्य धर्म के लिए ऐसा कोई कानून नहीं है। दिल्ली उच्च न्यायालय में दाखिल एक जनहित याचिका में वक्फ बोर्ड की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए गए थे।

    क्या है विवादित सेक्शन 40?

    वक्फ अधिनियम के सेक्शन 40 पर बहस छिड़ी है। इसके तहत बोर्ड को रिजन टू बिलीव की की ताकत मिली है। अगर बोर्ड का मानना है कि कोई संपत्ति वक्फ की संपत्ति है तो वो खुद से जांच कर सकती है और वक्फ होने का दावा पेश कर सकता है। अगर उस संपत्ति में कोई रह रहा है तो वह अपनी आपत्ति को वक्फ ट्रिब्यूनल के पास दर्ज करा सकता है। अगर कोई संपत्ति एक बार वक्फ घोषित हो गई तो हमेशा वह वक्फ रहेगी। इस वजह से कई विवाद भी सामने आए हैं। नए कानून में इस सेक्शन को हटा दिया गया है।

    विपक्ष क्यों कर रहा विरोध?

    वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विपक्षी दलों का तर्क है कि यह मुस्लिमों की धार्मिक आजादी पर हमला है। वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा करने के उद्देश्य से विधेयक लाया जा रहा है। विपक्षी दलों का तर्क यह भी है कि कानून संविधान के खिलाफ है। तानाशाही तरीके से लाया गया है। संयुक्त संसदीय कमेटी में शामिल विपक्ष के सदस्यों के संशोधनों को शामिल नहीं किया गया है।

    सरकार के साथ कौन-कौन दल?

    वक्फ बिल पर सरकार को जेडीयू, टीडीपी, जेडीएस, हम, लोजपा (रामविलास) शिवसेना, रालोद और पवन कल्याण की पार्टी जनसेना का साथ मिला है।

    वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में क्या-क्या बदलाव?

    • अधिनियम का नाम वक्फ अधिनियम- 1995 से बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम- 1995 करने का प्रस्ताव।
    • वक्फ के रूप में पहचानी गई सरकारी संपत्तियां वक्फ नहीं होगी। विवादों का समाधान कलेक्टर द्वारा किया जाएगा।
    • वक्फ निर्धारण की शक्ति वक्फ बोर्ड के पास नहीं होगी।
    • वक्फ का सर्वेक्षण, सर्वेक्षण आयुक्तों और अपर आयुक्त द्वारा संचालित कलेक्टरों को संबंधित राज्यों के राजस्व कानूनों के अनुसार करने का अधिकार होगा।
    • केंद्रीय वक्फ परिषद: दो गैर-मुस्लिम होंगे। सांसदों, पूर्व न्यायाधीशों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों का मुस्लिम होना जरूरी नहीं है। दो महिला सदस्यों का होना भी जरूरी। मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि, इस्लामी कानून के विद्वान, वक्फ बोर्डों के अध्यक्ष मुस्लिम समुदाय से होंगे।
    • राज्य वक्फ बोर्ड: राज्य सरकार दो गैर-मुस्लिमों, शिया, सुन्नी, पिछड़े वर्ग के मुसलमानों, बोहरा और आगाखानी समुदाय से एक-एक सदस्य को मनोनीत कर सकती। कम से कम दो मुस्लिम महिलाओं का होना जरूरी है।
    • वक्फ न्यायाधिकरण: अपर जिला मजिस्ट्रेट शामिल होंगे। मुस्लिम कानून विशेषज्ञ के प्रावधान को हटाया गया है। इसमें जिला न्यायालय के न्यायाधीश और एक संयुक्त सचिव (राज्य सरकार) शामिल होंगे। न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ 90 दिनों के भीतर अदालत में अब अपील कर सकेंगे।
    • केंद्र सरकार की शक्तियां: राज्य सरकारें कभी भी वक्फ खातों का ऑडिट कर सकती हैं। केंद्र सरकार को वक्फ पंजीकरण, खातों और लेखा परीक्षा पर नियम बनाने का अधिकार दिया गया है। शिया वक्फ 15 फीसदी से अधिक होने पर शिया और सुन्नी के अलग-अलग वक्फ बोर्ड होंगे। बोहरा और अगाखानी वक्फ बोर्ड को भी अनुमति दी गई है।

    यह भी पढ़ें:  'वक्फ बिल का विरोध दो ही लोग कर रहे, देश पीएम मोदी के साथ'; लोकसभा में बोले JDU सांसद ललन सिंह

    यह भी पढ़ें: डिप्टी सीएम को गिफ्ट में मिला नीला ड्रम, बोले- यह बहुत काम का है बस उल्टा मत सोचो