कभी बस किराए के लिए नहीं थे 90 रुपये... अब ठुकरा दिया 107 करोड़ का ऑफर; जानिए खान सर की सक्सेस स्टोरी
खान सर आज एक प्रसिद्ध शिक्षक हैं। सेना में जाने का सपना देखने वाले खान सर ने आर्थिक तंगी के बावजूद हार नहीं मानी। ट्यूशन से शुरुआत करने के बाद उन्होंने कोचिंग संस्थान खोला जहां धीरे धीरे छात्रों का आना शुरू हुआ और ये कारवां बढ़ता गया। एक समय पर 107 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को ठुकराकर उन्होंने छात्रों के जीवन को बदलने का निर्णय लिया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। खान सर आज के समय किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। हजारों की संख्या में छात्र उनसे पढ़ते हैं। खान सर का पूरा नाम फैजल खान हैं। जो शुरू से ही सेना में जाना चाहते थे। उनके पिता एक सामान्य ठेकेदार थे और माता घर संभालती थीं।
खान का जन्म उत्तर प्रदेश के छोटे से कस्बे में हुआ, बचपन से ही वह काफी तेज थे। परिवार में पैसों की तंगी थी हालांकि उनके सपने काफी बड़े थे। बताया जाता है कि उन्होंने एनडीए, पॉलिटेक्निक और सैनिक स्कूल में प्रवेश के लिए परीक्षाएं। लेकिन वह असफल रहे। बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और फिर जज्बे के साथ आगे बढ़े।
जब खान सर के पहले छात्र ने प्राप्त किया प्रथम स्थान
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, आगे चलकर खान सर ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने एक छात्र को पढ़ाना शुरू किया। सबसे ज्यादा हैरानी उस समय हुई, जब उनके द्वारा पढ़ाए गए एक छात्र ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। धीरे-धीरे ये बात पूरे क्षेत्र में फैल गई इसके बाद अन्य छात्र उनसे ट्यूशन पढ़ने के लिए आने लगे।
हालांकि, जिंदगी में अभी काफी कुछ देखना बाकी था। इसी समय एक मुश्किल भरी शाम आई, जब दिन भर पढ़ाने के बाद खान सर को केवल 40 रुपये ही मिले। घर जाने के लिए बस का किराया 90 रुपये था। इस स्थिति में उन्होंने किसी से मदद नहीं मांगी बल्कि पैदल चलकर के ही अपनी यात्रा पूरी कर ली।
अपना कोचिंग संस्थान खोलने का लिया निर्णय
इसी रात उन्होंने गंगा किनारे बैठकर फैसला किया कि वह अपना कोचिंग संस्थान शुरू करेंगे। इसके बाद अपने दोस्तों की मदद से उन्होंने एक छोटा सा कोचिंग संस्थान भी शुरू कर लिया। जैसे ही संस्थान चलना शुरू हुआ, पढ़ने के लिए बच्चों का आना शुरू हुआ, एक रात कोचिंग संस्थान पर बम से हमला हुआ।
इस दौरान हार मानने की बजाय उन्होंने अपनी ताकत को और बढ़ाया। अगली सुबह छात्रों ने फिर से अपने कोचिंग संस्थान खड़ा किया इसके बाद छात्रों को पढ़ाना शुरू किया।
जब ठुकरा दिया 107 करोड़ का ऑफर
बताया जाता है कि एक दिन एक कंपनी की ओर से उन्हें काम करने के लिए 107 करोड़ रुपये की पेशकश की गई। हालांकि, उन्होंने इस धनराशि को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इस दौरान उन्होंने कहा था कि मेरे छात्रों को मेरी जरूरत है। उन्होंने कहा था कि शिक्षण का मतलब मेरे लिए पैसा कमाना नहीं बल्कि छात्रों के जीवन को बदलना है।

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