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    कर्नाटक हाई कोर्ट ने खारिज की शिक्षा विभाग की अपील, स्कूल शिक्षा विभाग ने KSAT के आदेश को दी थी चुनौती

    By Jagran News Edited By: Jagran News Network
    Updated: Fri, 15 Nov 2024 07:27 PM (IST)

    कर्नाटक हाई कोर्ट ने दृष्टि बाधित की तुलना में दृष्टिहीन उम्मीदवारों को लेकर एक अहम टिप्पणी की है। हाईकोर्ट का कहना है कि दृष्टि बाधित की तुलना में द ...और पढ़ें

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    कर्नाटक हाई कोर्ट ने खारिज की शिक्षा विभाग की अपील (फोटो- जागरण)

     बेंगलुरु, जागरण, Karnataka High Court News: कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा है कि रोजगार के अवसरों में 'दृष्टि बाधित' की तुलना में 'दृष्टिहीन' उम्मीदवारों को वरीयता दी जानी चाहिए, बशर्ते कि उनकी दिव्यांगता उनके कर्तव्यों के निर्वहन की क्षमता में बाधा नहीं डाले।

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    कोर्ट ने क्यों की ऐसी टिप्पणी

    दरअसल, जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित और जस्टिस सीएम जोशी की खंडपीठ ने कर्नाटक राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (केएसएटी) के आदेश के खिलाफ स्कूल शिक्षा विभाग की अपील खारिज करते हुए यह निर्णय सुनाया। यह मामला मैसुरु जिले में अनुसूचित जाति समुदाय की दृष्टिहीन उम्मीदवार एचएन लता से जुड़ा है। लता ने 2022 में सरकारी प्राथमिक विद्यालय में कन्नड़ और सामाजिक अध्ययन शिक्षक के पद के लिए आवेदन किया था। उनका नाम आठ मार्च, 2023 में जारी चयन सूची में शामिल था।

    जानिए अदालत की टिप्पणी

    हालांकि जुलाई, 2023 में उनका आवेदन खारिज कर दिया गया। लता ने केएसएटी के समक्ष इस फैसले को चुनौती दी। न्यायाधिकरण ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया, उन्हें 10 हजार रुपये का मुआवजा दिए जाने का आदेश दिया और नियुक्ति अधिकारी को तीन महीने के भीतर उनके आवेदन पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। स्कूल शिक्षा विभाग ने इस फैसले का विरोध करते हुए दलील दी कि 'दृष्टि बाधित' और 'दृष्टिहीन' उम्मीदवारों के लिए आरक्षण को अलग-अलग श्रेणियों के रूप में माना जाना चाहिए।

    इसपर विभाग ने दावा किया कि न्यायाधिकरण ने इस अंतर को नजरअंदाज किया है। मामले की समीक्षा करने पर हाई कोर्ट ने विभाग के रुख से असहमति जताई। पीठ ने होमर, जान मिल्टन, लुई ब्रेल, हेलेन केलर और बोलेंट इंडस्ट्रीज के सीईओ श्रीकांत बोला सहित उल्लेखनीय ऐतिहासिक हस्तियों का हवाला दिया, जिन्होंने दृष्टिहीन होने के बावजूद बड़ी सफलता की।

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