Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    MUDA Case: कर्नाटक हाई कोर्ट से ED को बड़ा झटका, CM सिद्दरमैया की पत्नी और मंत्री को जारी समन किया खारिज

    Updated: Fri, 07 Mar 2025 07:23 PM (IST)

    कर्नाटक के सीएम सिद्दरमैया की पत्नी पार्वती बीएम और शहरी विकास मंत्री बीएस सुरेश को शुक्रवार को कर्नाटक हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय के समन को खारिज कर दिया है। इससे पहले 27 जनवरी को हाई कोर्ट ने ईडी के समन पर रोक लगाई थी। ईडी ने समन जारी कर मंत्री को पूछताछ के लिए बुलाया था।

    Hero Image
    कर्नाटक के सीएम सिद्दरमैया। ( फाइल फोटो )

    पीटीआई, बेंगलुरु। मुडा जमीन आवंटन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कर्नाटक उच्च न्यायालय से शुक्रवार को बड़ा झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने सीएम सिद्दरमैया की पत्नी पार्वती बीएम और शहरी विकास मंत्री बीएस सुरेश को जारी ईडी के समन को खारिज कर दिया है। ईडी ने आरोपित के तौर पर नामित न होने के बावजूद मंत्री को पूछताछ को बुलाया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    समानांतर जांच कर रही ईडी

    27 जनवरी को हाई कोर्ट ने समन पर रोक लगा दिया था। अब शुक्रवार को न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने पार्वती और मंत्री सुरेश की याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया। पार्वती बीएम के वकील संदेश चौटा ने तर्क दिया कि ईडी समानांतर जांच कर रही है, जबकि मामले की जांच लोकायुक्त पुलिस और विशेष जांच दल (SIT) पहले ही जांच कर रही है।

    मंत्री के वकील ने दिया ये तर्क

    देश के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अरविंद कामत ने अदालत में ईडी का पक्ष रखा। उन्होंने तर्क दिया कि पार्वती इस मामले में दूसरी आरोपी थी। उन्होंने अपराध की आय प्राप्त की थी। मंत्री सुरेश के वकील सीवी नागेश ने कहा कि उनके मुवक्किल इस मामले में आरोपी नहीं है। इस वजह से उन्हें तलब नहीं किया जाना चाहिए था।

    अरविंद कामत ने अदालत में कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) ईडी को दस्तावेज और रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए व्यक्तियों को बुलाने का अधिकार देता है। भले ही उनका नाम आरोपी के रूप में न दर्ज हो।

    क्या है मुडा केस?

    मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) ने कर्नाटक के सीएम सिद्दरमैया की पत्नी पार्वती को 14 साइटों का आवंटन किया। आरोप है कि जमीन आवंटन में अनियमितता बरती गई। आरोप है कि मैसूरु (विजयनगर लेआउट तीसरे और चौथे चरण) के एक अपमार्केट क्षेत्र में सिद्दरमैया की पत्नी को 14 प्रतिपूरक साइटों का आवंटन किया गया। इन संपत्ति का मूल्य उनकी भूमि की तुलना में अधिक था। इसे मुडा ने अधिग्रहित किया गया था।

    मुडा ने पार्वती को 3.16 एकड़ जमीन के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे। यहां आवासीय लेआउट विकसित किया। मुडा ने आवासीय लेआउट बनाने के लिए उनसे अधिग्रहित अविकसित भूमि के बदले भूमि खोने वालों को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की। आरोप है कि मैसूरु तालुक के कसाबा होबली के कसारे गांव के सर्वेक्षण संख्या 464 में इस 3.16 एकड़ भूमि पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था।

    लोकायुक्त से मिल चुकी क्लीनचिट

    एमपी/एमएलए कोर्ट के आदेश के बाद 27 सितंबर 2024 को मैसूर स्थित लोकायुक्त ने मुडा मामले में केस दर्ज किया था। बाद में 30 सितंबर को ईडी ने लोकायुक्त एफआईआर का संज्ञान लिया और सीएम व अन्य पर मामला दर्ज करने के लिए प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दायर की। हालांकि पिछले महीने लोकायुक्त ने सीएम सिद्दरमैया, उनकी पत्नी पार्वती समेत दो अन्य आरोपितों को क्लीन चिट दे दी है।

    यह भी पढ़ें: 'खालिस्तानियों के प्रति ब्रिटेन की उदासीनता दिखती है', एस जयशंकर सुरक्षा चूक मामले में बोला विदेश मंत्रालय

    यह भी पढ़ें: हवाई सफर पर हैकिंग का साया : हाईजैक, क्रैश और विमान की दिशा भी बदल सकते हैं हमलावर