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    स्कूलों में हिजाब रोक के मामले में कर्नाटक सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दलील- केवल कक्षा में हिजाब पहनने पर रोक

    कर्नाटक सरकार की ओर से पेश एडिशनल सालिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि वह शुरू में ही बता देना चाहते हैं कि राज्य सरकार ने किसी धार्मिक पहलू को नहीं छुआ है। बहुत हो हल्ला हो रहा है कि हिजाब पर रोक लगा दी गई है। ऐसा नहीं है।

    By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Wed, 21 Sep 2022 10:11 PM (IST)
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    कर्नाटक सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध को सही ठहराते हुए कहा

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्नाटक सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध को सही ठहराते हुए कहा कि उसका आदेश किसी धर्म के खिलाफ नहीं है। उसमें किसी धार्मिक पहलू को नहीं छुआ गया है। राज्य भगवा शाल, हिजाब आदि सबका सम्मान करता है लेकिन जब आप स्कूल आते हैं तो वहां यूनिफार्म तय है उसी में आना होगा। राज्य सरकार ने कहा कि केवल कक्षा को छोड़कर हिजाब पहनने पर कहीं रोक नहीं है। मामले में कुछ शिक्षकों की ओर से भी पक्ष रखा गया जिन्होंने स्कूल में किसी तरह की धार्मिक पहचान या हिजाब आदि का विरोध किया। उन्होंने कहा कि स्कूल में किसी तरह का बंटवारा नहीं दिखना चाहिए, स्वतंत्र और अच्छा माहौल होना चाहिए जिसमें शिक्षक बच्चों के साथ अच्छे से बात कर सकें। गुरुवार को बहस पूरी होने की उम्मीद है।

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    कोर्ट ने वकीलों से कहा, अब धैर्य चूकने लगा है जल्द अपनी बहस पूरी करें

    कोर्ट ने हल्के अंदाज में वकीलों से कहा है कि वे जल्दी अपनी बहस पूरी करें क्योंकि अदालत अब धैर्य चुकने लगा है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने स्कूलों में हिजाब पर रोक के राज्य सरकार के पांच फरवरी के आदेश को सही ठहराया था और साथ ही कहा था कि हिजाब इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। कई मुस्लिम छात्राओं ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मामले पर आजकल न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ सुनवाई कर रही है।

    धार्मिक पहलू को नहीं छुआ गया

    बुधवार को कर्नाटक सरकार की ओर से पेश एडिशनल सालिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि वह शुरू में ही बता देना चाहते हैं कि राज्य सरकार ने किसी धार्मिक पहलू को नहीं छुआ है। बहुत हो हल्ला हो रहा है कि हिजाब पर रोक लगा दी गई है। ऐसा नहीं है। राज्य में हिजाब पर कोई प्रतिबंध नहीं है और न ही राज्य सरकार का ऐसा कोई इरादा है।

    स्कूल धर्म निरपेक्ष जगह है। वहां यूनिफार्म तय है और उसी में आना होगा। कोर्ट ने नटराज से सवाल किया कि अगर कोई लड़की हिजाब पहन कर स्कूल आती है तो आप उसे इजाजत देंगे या नहीं, हां और ना में जवाब दीजिए। लेकिन नटराज ने कहा कि ये संबंधित स्कूल तय करेगा कि उसके यहां क्या यूनिफार्म तय है।

    राज्य सरकार का आदेश धर्मनिरपेक्ष

    कनार्टक के एडवोकेट जनरल पीके नवदगी ने भी राज्य सरकार का पक्ष रखा और कहा कि राज्य सरकार का आदेश धर्मनिरपेक्ष है उसमें सिर्फ स्कूलों में यूनिफार्म लागू करने की बात कही गई है। स्कूल के बाहर हिजाब पहनने पर कोई रोक नहीं है। रोक सिर्फ कक्षा में है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसले का हवाला देते हुए कहा कि प्रत्येक धार्मिक प्रथा को धर्म का अभिन्न हिस्सा नहीं कहा जा सकता। ऐसी बहुत सी मुस्लिम महिलाएं हैं जो हिजाब नहीं पहनतीं। फ्रांस जैसे देश हैं जहां हिजाब पर प्रतिबंध है।

    दोनों स्थितियों में अगर महिलाएं हिजाब नहीं पहनतीं तो ऐसा नहीं है कि वे कम इस्लामिक हो जाएंगी यानी धार्मिक रूप से वे कमतर होंगी। उन्होंने कहा कि इस्लाम उन देशों में भी बढ़ रहा है जहां हिजाब पर रोक है। इस पर न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि वे लाहौर हाई कोर्ट के एक पूर्व जज को जानते हैं जो परिवार के साथ भारत आते हैं जिसमें उनकी दो बेटियां भी होती हैं और वे हिजाब नहीं पहनतीं और न ही उनकी मां हिजाब पहनती हैं।

    शिक्षकों ने धार्मिक पोशाक का विरोध किया

    कुछ शिक्षकों की ओर से भी बहस की गई और स्कूलों में धार्मिक पहचान की पोशाक का विरोध किया गया। शिक्षकों की ओर से पेश वकील आर वेंकटरमणी ने कहा कि वे चाहते हैं कि स्कूल का माहौल स्वतंत्र और बाधा रहित हो जिसमें शिक्षक बच्चों को चीजें बता पाएं। मामले में गुरुवार को भी बहस होगी। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को जवाब देने के लिए एक घंटे का समय दिया है।

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