Chhattisgarh Politics: जिस नसबंदी मामले के विरोध में राहुल गांधी ने की थी पदयात्रा, उसके आरोपित को उनकी ही सरकार में हुए दोषमुक्त
छत्तीसगढ़ के जिस बहुचर्चित नसबंदी मामले के विरोध में कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिलासपुर से रायपुर तक की पदयात्रा की थी उससे जुड़े सभी आरोपित अधिकारियों को कांग्रेस सरकार में ही स्वास्थ्य विभाग ने दोषमुक्त कर दिया है।
मृगेंद्र पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ के जिस बहुचर्चित नसबंदी मामले के विरोध में कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिलासपुर से रायपुर तक की पदयात्रा की थी, उससे जुड़े सभी आरोपित अधिकारियों को कांग्रेस सरकार में ही स्वास्थ्य विभाग ने दोषमुक्त कर दिया है। बिलासपुर के कानन-पेंडारी में नवंबर 2014 में नसबंदी के बाद 13 महिलाओं की मौत हो गई थी। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते हुए तत्कालीन भाजपा की डा. रमन सिंह सरकार पर दोषियों को बचाने का आरोप लगाती रही। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में भी दोषियों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था।
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने दो अधिकारियों को किया था निलंबित
प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने नसबंदी मामले में सहायक औषधि नियंत्रक राजेश क्षत्री और औषधि निरीक्षक धर्मवीर ध्रुव को 2020 में विधानसभा सत्र के दौरान निलंबित करने की घोषणा की थी। इस मामले में 13 घंटे में 83 महिलाओं की नसबंदी करने वाले डा. आरके गुप्ता को गिरफ्तार किया गया था। नसबंदी मामले के समय राजेश क्षत्री बिलासपुर में सहायक औषधि नियंत्रक थे।
विभागीय जांच में कोई भी आरोप प्रमाणित नहीं पाए गए
क्षत्री पर यह आरोप था कि सिप्रोसिन टैबलेट के निर्माता महावर फार्मा की अमानक दवाओं को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की। स्वास्थ्य विभाग ने क्षत्री के खिलाफ मई 2020 में आरोप-पत्र जारी किया। मई 2021 में इसकी विभागीय जांच शुरू की गई। इस दौरान क्षत्री पर लगे कोई भी आरोप प्रमाणित नहीं हो पाए। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने उनको बिलासपुर में पदस्थ करने का आदेश दे दिया। एक सितंबर को बहाली आदेश जारी स्वास्थ्य विभाग ने एक सितंबर को राजेश क्षत्री और धर्मवीर ध्रुव की बहाली का आदेश जारी किया है।
हाईकोर्ट ने दोबारा विभागीय जांच शुरू नहीं करने का दिया था आदेश
स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव रोमन कुमार गंगाकचूर के अनुसार इनके निलंबन अवधि का निराकरण नियमानुसार किया जाएगा। विभागीय जांच के खिलाफ ध्रुव हाई कोर्ट पहुंच गए थे। कोर्ट ने उनके खिलाफ दोबारा विभागीय जांच शुरू नहीं करने का आदेश दिया। इसके बाद विभाग ने औषधि निरीक्षकों की कमी को देखते हुए उनको बहाल करते हुए गरियाबंद में पदस्थ कर दिया है। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग के सचिव आर प्रसन्ना ने कहा कि अधिकारियों को निलंबित करके विभागीय जांच की गई। जांच में दोनों अधिकारी दोषी नहीं पाए गए, इसलिए बहाल कर दिया गया है।