चुनौतियों से भरी होगी राजन के उत्तराधिकारी की डगर, जल्द होगा एलान
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के दूसरा कार्यकाल न लेने के फैसले ने इंडिया इंक को हताश और निराश कर दिया है।
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के दूसरा कार्यकाल न लेने के फैसले ने इंडिया इंक को हताश और निराश कर दिया है। देश के टॉप बैंकरों और उद्योगपतियों ने उनके इस फैसले को दुखद बताया है। उधर, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि राजन ने अपने कार्यकाल में अच्छा काम किया और उनके उत्तराधिकारी का चयन शीघ्र कर लिया जाएगा। वहीं राजन के खत पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि वो पहले से कहते रहे हैं कि राजन का व्यवहार भाजपा सरकार के लिए कभी अच्छा नहीं रहा। वो लगातार कांग्रेस प्रतिनिधि के तौर पर काम करते रहे हैं। उन्होंने छोटे और मझोले उद्योगों को भारतीय अर्थव्यवस्था से एक तरह से बाहर कर दिया।
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राजन का कार्यकाल इस वर्ष चार सितंबर को समाप्त हो रहा है। दूसरा कार्यकाल लेने से मना करने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि अब सरकार को उनके उत्तराधिकारी का चयन करना होगा। नए गवर्नर के नामों को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन सरकार ने अभी इस पर खामोशी ही बनाए रखी है।
राजन के फैसले पर उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
उधर राजन के फैसले ने सबसे ज्यादा दुखी इंडिया इंक को किया है। उद्योग जगत का मानना है कि राजन ने अर्थव्यवस्था को न केवल स्थिरता प्रदान की बल्कि भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी स्थापित किया।
- सरकार रघुराम राजन के अच्छे कार्यों की सराहना करती है। - अरुण जेटली, वित्त मंत्री
- राजन का फैसला बेहद दुखदायी है। अपने कार्यकाल में उन्होंने भारत की साख दुनिया भर में स्थापित की है। -आनंद महिंद्रा, प्रमुख महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह
- राजन का जाना समूचे बैंकिंग क्षेत्र के लिए क्षति है। उम्मीद थी कि सरकार उन्हें आखिरी वक्त में दो साल का कार्यकाल विस्तार देकर पद पर बनाए रखने पर विचार करेगी। -दीपक पारिख, चेयरमैन, एचडीएफसी
- राजन के साथ जिस तरह व्यवहार हुआ, वह उससे कहीं अधिक सम्मान के हकदार हैं। - एन. नारायणमूर्ति, सह संस्थापक, इन्फोसिस लि.
- राजन का अपने पद से जाने का फैसला भारतीय रिजर्व बैंक के लिए बड़ी क्षति है। - किरण शॉ मजूमदार, चेयरपर्सन व प्रबंध निदेशक, बायोकॉन
- राजन किसी भी केंद्रीय बैंक के श्रेष्ठ गवर्नरों में से एक रहे हैं। - कौशिक बसु, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय
- 'हम दुनिया के सबसे दक्ष आर्थिक विचारकों में से एक खो रहे हैं। यह देश के लिए और देश की सरकार के लिए भी दुखद है। आरबीआई एक पूर्ण स्वायत्त संस्थान नहीं है।'- अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन
- 'वह असाधारण गवर्नर रहे हैं और हम उनके जीवन और शिक्षण के लिए शुभकामनाएं देते हैं। मैं यह देखना चाहूंगा कि साथ काम करने का कोई तरीका निकल आए, लेकिन उन्होंने असाधारण काम किया है और हम उन्हें शुभकामनाएं देना चाहते हैं।'- इंफोसिस के सीईओ विशाल सिक्का
नए गवर्नर के लिए अनेक चुनौतियां
अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को देखते हुए राजन के स्थान पर आने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए चुनौतियां कम नहीं होंगी। जानकारों का मानना है कि नए गवर्नर को जहां एक तरफ अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से ब्याज दर घटाने की मांग पर विचार करना होगा तो दूसरी तरफ एक बार फिर सिर उठा रही महंगाई से निपटने की कुशलता भी दिखानी होगी।
मौजूदा अर्थव्यवस्था की ये दोनों ही चुनौतियों के बीच नये गवर्नर को सामंजस्य बिठाना होगा। उधर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बढ़ती एनपीए की समस्या और बैंकों की कर्ज वितरण की धीमी होती रफ्तार के बीच तालमेल बिठाना भी राजन के उत्तराधिकारी के लिए आसान नहीं होगा।
संभावित दावेदार
- अरुंधती भट्टाचार्य, चेयरपर्सन, भारतीय स्टेट बैंक
- शक्तिकांत दास, आर्थिक मामलों के सचिव, वित्त मंत्रालय