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    IRCTC: नए साल से ट्रेन की बर्थ पर यात्रियों को मिलेगा 'स्थानीय व्यंजन' का स्वाद, मेन्यू में क्या-क्या हुए बदलाव?

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 11:30 PM (IST)

    भारतीय रेलवे नए साल से यात्रियों के लिए ट्रेनों में क्षेत्रीय व्यंजन परोसने की योजना बना रहा है। आईआरसीटीसी के नए टेंडर के जरिए यह सुविधा शुरू होगी, ज ...और पढ़ें

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    भारतीय रेलवे नए साल से बदल रही यात्रियों के सफर का स्वाद (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रेलवे नए साल से यात्रियों के सफर का स्वाद बदलने जा रहा है। अब ट्रेन में सफर के दौरान पुराने मेन्यू-दाल, चावल, रोटी या बिरयानी-खाकर ऊब चुके यात्रियों को राहत मिलने वाली है।

    इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आइआरसीटीसी) अपने अगले कैटरिंग टेंडर के जरिए ट्रेनों में ‘रीजनल फूड’ क्षेत्रीय व्यंजन परोसने की योजना को लागू करने जा रहा है। इसका मतलब यह है कि ट्रेन जिस राज्य या क्षेत्र से गुजरेगी, वहां के प्रसिद्ध स्थानीय व्यंजन यात्रियों की थाली तक पहुंचेंगे।

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    बदल रहा यात्रियों के सफर का स्वाद

    रेलवे बोर्ड से जुड़े सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2026 के लिए प्रस्तावित नए टेंडर में इस योजना को प्राथमिकता दी जाएगी। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद चरणबद्ध तरीके से इसे प्रमुख ट्रेनों में लागू किया जाएगा।

    इसका उद्देश्य यात्रियों को बेहतर स्वाद, ताजा भोजन और सांस्कृतिक अनुभव देना है। हालांकि, अभी यह तय नहीं है कि नए साल में ट्रेनों में नया स्थानीय व्यंजन का मेन्यू कब से लागू होगा, लेकिन रेलवे इसकी तैयारी में जुटा है।

    कहां-क्या मिलेगा? रूट से जुड़ा होगा मेन्यू

    • नई व्यवस्था के तहत ट्रेन के रूट को ध्यान में रखते हुए खानपान तय किया जाएगा।
    • मध्यप्रदेश से गुजरने वाली ट्रेनों में नाश्ते में इंदौरी/भोपाली पोहा-जलेबी, भुट्टे का कीस और भोजन में सेव-टमाटर जैसे विकल्प मिल सकते हैं।
    • बिहार में लिट्टी-चोखा को मेन्यू में शामिल करने की तैयारी है।
    • गुजरात में ढोकला और फाफड़ा।
    • पंजाब में सरसों का साग-मक्के की रोटी।
    • महाराष्ट्र में झुनका-भाकर और पूरन पोली।
    • दक्षिण भारत की ओर जाने वाली ट्रेनों में इडली, डोसा, वड़ा और फिल्टर काफी।

    ‘वोकल फॉर लोकल’ से जुड़ी पहल

    रेलवे इस योजना को ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान से भी जोड़ रहा है। आइआरसीटीसी न केवल पेंट्रीकार के जरिए, बल्कि स्टेशनों पर मौजूद स्थानीय प्रसिद्ध होटलों, फूड वेंडर्स और महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ भी टाई-अप करेगा। इससे यात्रियों को ताजा और प्रामाणिक भोजन मिलेगा और साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

    ई-कैटरिंग का दायरा भी बढ़ेगा

    फिलहाल कई ट्रेनों में ई-कैटरिंग के जरिए खाना मंगाने की सुविधा है, लेकिन इस नई योजना में रीजनल फूड को सामान्य मेन्यू का हिस्सा बनाने की तैयारी है। इससे उन यात्रियों को भी फायदा मिलेगा, जो मोबाइल एप या आनलाइन आर्डर का इस्तेमाल नहीं करते।

    यात्रियों को क्या होगा फायदा?

    • एक जैसे खाने से मिलेगी राहत।
    • ताजा और स्थानीय स्वाद का अनुभव होगा।
    • भोजन की गुणवत्ता और विविधता में सुधार।
    • स्थानीय संस्कृति से जुड़ाव।
    • सफर होगा ज्यादा यादगार।

    यह बदलाव सिर्फ खानपान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह रेल यात्रा के अनुभव को और समृद्ध बनाएगा। अगर सबकुछ योजना के अनुसार रहा, तो आने वाले साल में ट्रेन का सफर सिर्फ मंजिल तक पहुंचने का जरिया नहीं, बल्कि भारत के स्वादों की यात्रा भी बन जाएगा।

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