समुद्र में बढ़ेगी भारत की ताकत, मोदी सरकार ने बना लिया मास्टर प्लान; 69725 करोड़ का लगेगा बूस्टर डोज
केंद्र सरकार ने जहाज निर्माण और समुद्री ईको-सिस्टम को मजबूत करने के लिए 69725 करोड़ रुपये का पैकेज दिया है। इस वित्तीय पैकेज से घरेलू क्षमता में सुधार होगा ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड शिपयार्ड विकास को बढ़ावा मिलेगा और तकनीकी क्षमताओं में वृद्धि होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे 4.5 मिलियन सकल टन भार की जहाज निर्माण क्षमता का विकास होगा और लगभग 30 लाख रोजगार सृजित होंगे।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। समुद्री क्षेत्र के सामरिक और आर्थिक महत्व को देखते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने भारत के जहाज निर्माण और समुद्री ईको-सिस्टम को पुनर्जीवित व मजबूत करने के लिए 69,725 करोड़ रुपये के पैकेज के रूप में बूस्टर डोज दिया है।
सरकार का दावा है कि यह वित्तीय पैकेज घरेलू क्षमता को मजबूत करेगा, दीर्घकालिक वित्तपोषण में सुधार होगा, ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड शिपयार्ड विकास को बढ़ावा मिलेगा, तकनीकी क्षमताओं और कौशल को बढ़ाने के साथ-साथ एक मजबूत समुद्री इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
मैरिटाइम विशेषज्ञों को उम्मीद है कि इस पैकेज से 4.5 मिलियन सकल टन भार की जहाज निर्माण क्षमता का विकास होने, लगभग 30 लाख रोजगार सृजित होने और भारत के समुद्री क्षेत्र में लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है।
केंद्र सरकार ने निर्णय किया है कि जहाज निर्माण वित्तीय सहायता योजना (एसबीएफएएस) को 31 मार्च 2036 तक बढ़ाया जाएगा और इसकी कुल राशि 24,736 करोड़ रुपये होगी। इस योजना का उद्देश्य भारत में जहाज निर्माण को प्रोत्साहित करना है और इसमें 4,001 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ एक शिपब्रेकिंग क्रेडिट नोट भी शामिल है।
राष्ट्रीय जहाज निर्माण मिशन स्थापित होगा
कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय जहाज निर्माण मिशन भी स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा इस क्षेत्र को दीर्घकालिक वित्तपोषण देने के लिए 25,000 करोड़ रुपये की राशि के साथ समुद्री विकास निधि (एमडीएफ) बनाई जाएगी। इसमें भारत सरकार की 49 प्रतिशत भागीदारी वाला 20,000 करोड़ रुपये का समुद्री निवेश कोष और 5,000 करोड़ रुपये का ब्याज प्रोत्साहन कोष शामिल है।
भारत जहाज प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना
इस पैकेज के तहत 19,989 करोड़ रुपये के बजट के साथ जहाज निर्माण विकास योजना (एसबीडीएस) का उद्देश्य घरेलू जहाज निर्माण क्षमता को सालाना 4.5 मिलियन सकल टन भार तक बढ़ाना, मेगा जहाज निर्माण समूहों को सहायता प्रदान करना, इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करना, भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय के अंतर्गत भारत जहाज प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना करना और जहाज निर्माण परियोजनाओं के लिए बीमा सहायता सहित जोखिम कवरेज प्रदान करना है।
भारत की भू-राजनीतिक दृढ़ता को मजबूती मिलेगी
सरकार का मानना है कि अपने आर्थिक प्रभाव के अलावा यह निर्णय महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं और समुद्री मार्गों में भारत की स्थिति को सुधारते हुए राष्ट्रीय, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा को भी मजबूत करेगा। यह भारत की भू-राजनीतिक दृढ़ता और रणनीतिक आत्मनिर्भरता को भी मजबूत करेगा। साथ ही भारत को वैश्विक जल परिवहन एवं जहाज निर्माण के क्षेत्र में एक प्रतिस्पर्धी शक्ति के रूप में स्थापित करेगा।
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