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    दक्षिण चीन सागर में भारत की धमक, इंडियन नेवी ने किया बड़ा कमाल; INS निस्तार की हुई तैनाती

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 06:54 PM (IST)

    भारतीय नौसेना ने सिंगापुर में आयोजित बहुराष्ट्रीय अभ्यास XPR-25 में अपने डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (DSRV) टाइगर एक्स का सफल इस्तेमाल किया। इस अभ्यास में भारतीय बचाव प्रणाली ने हिंद महासागर से बाहर जाकर दक्षिण चीन सागर में सहयोगी देशों की पनडुब्बियों के साथ बचाव ड्रिल पूरी की। भारत ने 2016 में ब्रिटेन से दो डीएसआरवी खरीदे थे।

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    सिंगापुर में भारतीय नौसेना का पराक्रम टाइगर एक्स ने किया कमाल (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत की नौसेना ने अपनी पनडुब्बी बचाव क्षमता में एक बड़ा कदम बढ़ाया है। नौसेना ने पहली बार अपने डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (DSRV) 'टाइगर एक्स' का सफल इस्तेमाल सिंगापुर में आयोजित बहुराष्ट्रीय अभ्यास 'XPR-25' के दौरान किया।

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    इस अभ्यास में भारतीय बचाव प्रणाली ने हिंद महासागर से बाहर जाकर दक्षिण चीन सागर में काम किया और सहयोगी देशों की पनडुब्बियों से जुड़कर पूर्ण बचाव ड्रिल पूरी की।

    अभ्यास 'XPR-25'

    यह अभ्यास 15 से 25 सितंबर तक चला, जिसमें 40 से अधिक देशों की नौसेनाओं ने हिस्सा लिया। इसे दो चरणों में किया गया-

    • तटीय चरण ( 15 से 20 सितंबर)
    • समुद्री चरण (21 से 25 सितंबर)

    समुद्री चरण में तीन देशों की पनडुब्बी बचाव इकाइयां शामिल हुईं-

    • सिंगापुर का MV Swift Rescue
    • जापान का JS Chiyoda
    • भारत का INS निस्तार

    इनके साथ साउथ कोरिया, जापान और सिंगापुर की पनडुब्बियों को 'डिसेबल्ड सबमरीन' के रूप में प्रयोग किया गया।

    भारत ने समुद्र में दिखाई अपनी ताकत

    23 सितंबर को भारत के DSRV टाइगर एक्स ने पहली बार हिंद महासागर से बाहर गोता लगाया। इसने पहले साउथ कोरिया की पनडुब्बी शिन डोल-सिओक (S-082) से जुड़ाव किया और उसके बाद सिंगापुर की RSS Invincible से भी सफलतापूर्वक जुड़ा।

    भारत ने 2016 में ब्रिटेन की कंपनी JFD Global से दो डीएसआरवी खरीदे थे, जिसकी कीमत 193 मिलियन पाउंड है। इन सिस्टम में बचाव वाहन, लॉन्च और रिकवरी उपकरण, TUP (ट्रांसफर अंडर प्रेशर) सिस्टम और 25 साल की तकनीकी सहायता शामिल है।

    क्या है TUP सिस्टम?

    TUP सिस्टम खास तकनीक है जो दबाव वाले वातावरण में मौजूद लोगों को सुरक्षित तरीके से एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित करता है, ताकि गोताखोर या पनडुब्बी कर्मियों को डीकंप्रेशन बीमारी न हो।

    इस अभ्यास में भारत के नए INS निस्तार ने भी पहली बार ऑपरेशनल भागीदारी की। इसे 18 जुलाई को नौसेना में शामिल किया गया था। 118 मीटर लंबे इस जहाज को हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) ने बनाया है।

    INS निस्तार की खासियत

    INS निस्तार का वजन 10 हजार टन से अधिक है और यह 60 दिन तक समुद्र में रह सकता है। इसे खासतौर पर DSRV के 'मदरशिप' के रूप में डिजाइन किया गया है। इसमें 15 टन का सबसी क्रेन, गोताखोरी बेल, ROV, सोनार सिस्टम, कम्प्रेशन चेंबर और सेल्फ-प्रोपेल्ड हाइपरबैरिक लाइफ बोट लगी है। इसके आगे के हिस्से में हेलीकॉप्टर लैंडिंग डेक भी है।

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