Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Trump के टैरिफ से ड्रैगन की टूटेगी कमर, भारत के लिए सुनहरा मौका; MSME को मिलेगा बड़ा लाभ

    Updated: Tue, 22 Apr 2025 10:00 PM (IST)

    भारतीय एमएसएमई के लिए अमेरिका के बाजार में रोजमर्रा के सामान के निर्यात का सुनहरा मौका है। चीन पर अमेरिकी शुल्कों के कारण भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ गई है। सरकार को एमएसएमई को प्रोत्साहन उत्पाद प्रमाणन और वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए ताकि वे इस अवसर का लाभ उठा सकें। हाल ही में नीति आयोग ने भी भारत से हैंडटूल्स के निर्यात की बड़ी संभावना जाहिर की है।

    Hero Image
    अमेरिका में रोजमर्रा के सामान के आयात में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2.9 प्रतिशत की है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार के समर्थन से भारतीय एमएसएमई को अमेरिका के बाजार में रोजमर्रा के सामान का निर्यात करने का बड़ा अवसर मिल सकता है। अमेरिका किचनवेयर से लेकर टेबलवेयर, प्लास्टिक आइटम, टूल्स, ताले, लैंप, हेयर क्लिपर, पटाखे जैसे छोटे-छोटे आइटम का सालाना 148 अरब डॉलर का आयात करता है और इस आयात में 72 प्रतिशत हिस्सेदारी चीन की है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अमेरिका ने चीन पर थोपा है 145 प्रतिशत का शुल्क

    चीन की वस्तुओं पर अमेरिका ने 145 प्रतिशत का शुल्क लगा दिया है, जबकि भारतीय वस्तुओं पर 10 प्रतिशत का ही शुल्क है। इसलिए चीन के सामान अमेरिका में काफी अधिक महंगे हो जाएंगे। लेकिन इस मौके का फायदा उठाने के लिए सरकार की तरफ से एमएसएमई को सहायता देने की जरूरत बताई जा रही है।

    जीटीआरआई की रिपोर्ट क्या कहती है? 

    ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंशिएटिव (जीटीआरआई) की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में रोजमर्रा के सामान के 148 अरब डॉलर के आयात में 4.3 अरब डॉलर के साथ भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2.9 प्रतिशत की है। चीन की हिस्सेदारी इनमें 105 अरब डॉलर की है, लेकिन इस हिस्सेदारी को हासिल करने के लिए सरकार को बिना किसी विलंब के छोटे उद्यमियों को इंसेंटिव, प्रोडक्ट सर्टिफिकेशन व वित्तीय इंतजाम जैसी मदद देनी होगी। क्योंकि अन्य देश भी इस मौके का फायदा उठाने की ताक में होंगे।

    भारत के लिए एक सुनहरा मौका

    जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने बताया कि अमेरिका सालाना सिर्फ ताले का 1.19 अरब डॉलर का आयात करता है जिसमें चीन की हिस्सेदारी 66 प्रतिशत है। अमेरिका रसोई व टेबल पर इस्तेमाल होने वाले आइटम का पांच अरब डॉलर का आयात करता है। इस आयात में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी चीन की है जबकि भारत सिर्फ 0.49 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। चीन के सामान के अमेरिका में महंगा होने से प्लास्टिक आइटम बनाने वाले गुजरात, महाराष्ट्र व हरियाणा जैसे राज्यों के छोटे उद्यमियों के लिए यह बड़ा मौका हो सकता है।

    ताला बनाने वालों को भी मिल सकता है बड़ फायदा 

    वहीं, ताला निर्माण के लिए विख्यात उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के उद्यमियों को भी अमेरिका में मौका मिल सकता है। फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (फिस्मे) के महासचिव अनिल भारद्वाज के मुताबिक निर्माण लागत को कम करके ही इस अवसर का लाभ उठाया जा सकता है जो फिलहाल की स्थिति को देखते हुए आसान नहीं दिख रहा है।

    हाल ही में नीति आयोग ने भी भारत से हैंडटूल्स के निर्यात की बड़ी संभावना जाहिर की है और अमेरिका इसका प्रमुख बाजार बन सकता है। अमेरिका सालाना 1.13 अरब डॉलर के हैंडटूल्स का आयात करता है जिसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 17 प्रतिशत तो चीन की 52 प्रतिशत की है। उद्यमियों का कहना है कि इस प्रकार के निर्यात को बढ़ाने के लिए उन्हें सस्ते दाम पर कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करने की जरूरत है।

    यह भी पढ़ें: कौशल विकास मंत्रालय की पहल, छह राज्यों के महिला कॉलेजों में खुलेंगे 30 AI सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

    यह भी पढ़ें: अब भारत में ही मिलेगी सौर पैनलों के टेस्टिंग की सुविधा, सरकार ने बनाया ये प्लान