Trump के टैरिफ से ड्रैगन की टूटेगी कमर, भारत के लिए सुनहरा मौका; MSME को मिलेगा बड़ा लाभ
भारतीय एमएसएमई के लिए अमेरिका के बाजार में रोजमर्रा के सामान के निर्यात का सुनहरा मौका है। चीन पर अमेरिकी शुल्कों के कारण भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार के समर्थन से भारतीय एमएसएमई को अमेरिका के बाजार में रोजमर्रा के सामान का निर्यात करने का बड़ा अवसर मिल सकता है। अमेरिका किचनवेयर से लेकर टेबलवेयर, प्लास्टिक आइटम, टूल्स, ताले, लैंप, हेयर क्लिपर, पटाखे जैसे छोटे-छोटे आइटम का सालाना 148 अरब डॉलर का आयात करता है और इस आयात में 72 प्रतिशत हिस्सेदारी चीन की है।
अमेरिका ने चीन पर थोपा है 145 प्रतिशत का शुल्क
चीन की वस्तुओं पर अमेरिका ने 145 प्रतिशत का शुल्क लगा दिया है, जबकि भारतीय वस्तुओं पर 10 प्रतिशत का ही शुल्क है। इसलिए चीन के सामान अमेरिका में काफी अधिक महंगे हो जाएंगे। लेकिन इस मौके का फायदा उठाने के लिए सरकार की तरफ से एमएसएमई को सहायता देने की जरूरत बताई जा रही है।
जीटीआरआई की रिपोर्ट क्या कहती है?
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंशिएटिव (जीटीआरआई) की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में रोजमर्रा के सामान के 148 अरब डॉलर के आयात में 4.3 अरब डॉलर के साथ भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2.9 प्रतिशत की है। चीन की हिस्सेदारी इनमें 105 अरब डॉलर की है, लेकिन इस हिस्सेदारी को हासिल करने के लिए सरकार को बिना किसी विलंब के छोटे उद्यमियों को इंसेंटिव, प्रोडक्ट सर्टिफिकेशन व वित्तीय इंतजाम जैसी मदद देनी होगी। क्योंकि अन्य देश भी इस मौके का फायदा उठाने की ताक में होंगे।
भारत के लिए एक सुनहरा मौका
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने बताया कि अमेरिका सालाना सिर्फ ताले का 1.19 अरब डॉलर का आयात करता है जिसमें चीन की हिस्सेदारी 66 प्रतिशत है। अमेरिका रसोई व टेबल पर इस्तेमाल होने वाले आइटम का पांच अरब डॉलर का आयात करता है। इस आयात में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी चीन की है जबकि भारत सिर्फ 0.49 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। चीन के सामान के अमेरिका में महंगा होने से प्लास्टिक आइटम बनाने वाले गुजरात, महाराष्ट्र व हरियाणा जैसे राज्यों के छोटे उद्यमियों के लिए यह बड़ा मौका हो सकता है।
ताला बनाने वालों को भी मिल सकता है बड़ फायदा
वहीं, ताला निर्माण के लिए विख्यात उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के उद्यमियों को भी अमेरिका में मौका मिल सकता है। फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (फिस्मे) के महासचिव अनिल भारद्वाज के मुताबिक निर्माण लागत को कम करके ही इस अवसर का लाभ उठाया जा सकता है जो फिलहाल की स्थिति को देखते हुए आसान नहीं दिख रहा है।
हाल ही में नीति आयोग ने भी भारत से हैंडटूल्स के निर्यात की बड़ी संभावना जाहिर की है और अमेरिका इसका प्रमुख बाजार बन सकता है। अमेरिका सालाना 1.13 अरब डॉलर के हैंडटूल्स का आयात करता है जिसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 17 प्रतिशत तो चीन की 52 प्रतिशत की है। उद्यमियों का कहना है कि इस प्रकार के निर्यात को बढ़ाने के लिए उन्हें सस्ते दाम पर कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करने की जरूरत है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।