अब भारत में ही मिलेगी सौर पैनलों के टेस्टिंग की सुविधा, सरकार ने बनाया ये प्लान
भारत ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अब देश में ही सोलर पैनलों के निर्माण परीक्षण और प्रमाणीकरण की सुविधा उपलब्ध होगी। इससे भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। इस नए प्लांट के साथ भारत अब सौर पैनलों के निर्माण और परीक्षण के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं रहेगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सौर ऊर्जा के पैनलों के निर्माण में आत्मनिर्भर होने की दिशा में भारत ने सोमवार को एक अहम कदम बढ़ाया। अब देश में निर्माण होने वाले सोलर पैनलों की परीक्षण व प्रमाणीकरण की सुविधा देश में ही उपलब्ध होगी।
नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री (एमएनआरई) प्रह्लाद जोशी ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र गुड़गांव में नेशनल इंस्ट्टीयूट ऑफ सोलर इनर्जी (नाइस) की तरफ से स्थापित पीवी मॉड्यूल की टेस्टिंग व कैलिब्रेशन लैब का उद्घाटन किया।
निर्माण करने की नीति लागू
- अभी तक सोलर पैनल के निर्माण को लेकर इस तरह की टेस्टिंग व प्रमाणीकरण की कोई सर्वमान्य स्टैंडर्ड भारत में उपलब्ध नहीं है।
- भारत सरकार ने पिछले तीन-चार वर्षों से देश में सौर ऊर्जा से जुड़े सभी उपकरणों के घरेलू स्तर पर ही निर्माण करने की नीति लागू की हुई है और इसका असर भी दिख रहा है।
- भारत में वैसे अभी नौ हजार मेगावाट क्षमता के सोलर मॉड्यूल निर्माण की ही क्षमता है लेकिन इसके वर्ष 2027 तक बढ़ कर 80 हजार मेगावाट हो जाने की संभावना है।
सौर ऊर्जा स्थापित करने की क्षमता
इस अवसर पर एमएनआरई मंत्री जोशी ने पिछले कुछ वर्षों से सौर ऊर्जा स्थापित करने की क्षमता में खास बढोतरी नहीं होने को तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि अब तेजी से सौर ऊर्जा क्षमता लगाए जाएंगे। कुछ राज्यों के साथ ही जल्द ही समझौता होने वाला है जिससे 40 हजार मेगावाट क्षमता चालू हो सकेगी।
ऊर्जा सेक्टर से लगाने का लक्ष्य
उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक सरकार ने देश की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में पांच लाख मेगावाट क्षमता की बिजली रिनीवेबल ऊर्जा सेक्टर से लगाने का लक्ष्य रखा है। इसे हासिल करने के लिए हर साल 50 हजार मेगावाट क्षमता स्थापित करनी होगी। यह अब संभव है। वर्ष 2030 तक देश की सौर ऊर्जा स्थापित क्षमता 2.92 लाख मेगावाट होगी।
वर्ष 2024-25 में भारत ने सिर्फ 29,520 मेगावाट की क्षमता ही जोड़ी है। जोशी ने यह भी कहा कि देश में बिजली की मांग जिस रफ्तार से बढ रही है उसे पूरा करने में रिनीवेबल सेक्टर की बड़ी भूमिका होगी। वर्ष 2032 तक पीक आवर मांग दोगुनी हो जाएगी।
पिछले साल बिजली की पीक आवर मांग (किसी खास समय में बिजली की अधिकतम मांग) 2.50 लाख मेगावाट थी जिसके इस साल बढ़ कर 2.70 लाख मेगावाट हो जाने की संभावना है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।