वैश्विक मंदी की आशंका खत्म, 2025 से विश्व अर्थव्यवस्था में तेजी लौटेगी

जाने-माने शेयर बाजार विशेषज्ञ और आनंद राठी फाइनेंशियल सर्विसेज के संस्थापक चेयरमैन आनंद राठी भारत की ग्रोथ स्टोरी को लेकर आशान्वित हैं। उनका मानना है ...और पढ़ें
स्कन्द विवेक धर जागरण में सीनियर एडिटर हैं। जागरण में आने से पहले वे दैनिक भास्कर, हिन्दुस्तान और राजस्थान पत्रिका में ल ...और जानिए
स्कन्द विवेक धर, नई दिल्ली। भारत की इकोनॉमी समग्र रूप में अच्छा प्रदर्शन कर रही है और करेगी। अच्छा टैक्स कलेक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर में ज्यादा निवेश, ये दोनों इकोनॉमी में बेहतरी के इंडिकेटर होते हैं। इसके अलावा, देश का सर्विस सेक्टर मजबूत है। मैन्युफैक्चरिंग के लिए आई पीएलआई स्कीम भी सफल साबित हुई है। ये सब फैक्टर बताते हैं कि अगले 10 वर्ष भारत की इकोनॉमी के लिए स्वर्णिम काल साबित होंगे। जाने-माने शेयर बाजार विशेषज्ञ और आनंद राठी फाइनेंशियल सर्विसेज के संस्थापक चेयरमैन आनंद राठी ने जागरण प्राइम के सीनियर एडिटर स्कन्द विवेक धर के साथ इंटरव्यू में यह बातें कहीं। पेश है बातचीत के मुख्य अंश...
जियो पॉलिटिकल हालात, महंगाई के मोर्चे पर मिल रही राहत, मंदी की आशंका में कमी को देखें तो ग्लोबल इकोनॉमी किधर जाती नजर आ रही है?
ग्लोबल इकोनॉमी के बारे में पहले जो अनुमान था, ग्रोथ नीचे जाने की जो आशंकाएं थीं, वह निश्चित रूप से कम हुई हैं। सबसे बड़ा जो इम्प्रूवमेंट नजर आ रहा है, वह है महंगाई में कमी। पूरी दुनिया में महंगाई कम हो रही है और इसके कारण ब्याज दरें और बढ़ने की आशंका भी कम हुई है। अमेरिका ने भी दरें बढ़ाना बंद कर दिया है। यूके और यूरोप पर थोड़ा प्रेशर है, वहां अभी दरें थोड़ी और बढ़ेंगी। लेकिन कुल मिलाकर कहें तो ब्याज दरें बढ़ने का सिलसिला अब बंद हो गया है। अगले 6 से 12 महीने में दरें घटाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जहां तक रूस-यूक्रेन युद्ध का सवाल है, तो इसका कोई सॉल्यूशन सामने नजर नहीं आ रहा है। लेकिन ऐसा भी नहीं लग रहा कि यह बढ़कर किसी विश्व युद्ध या परमाणु युद्ध में तब्दील हो जाएगा। आशंका थी कि इस युद्ध के चलते यूरोप में एनर्जी संकट आ जाएगा, लेकिन वहां पिछला ठंड का मौसम तो निकल ही गया।
दूसरी बड़ी जियो पॉलिटिकल समस्या ताइवान और चीन की है। इसमें एक अच्छी चीज दिख रही है कि चीन और अमेरिका के संबंधों में थोड़ा सुधार हो रहा है। इसलिए मंदी का डर बहुत कम हो गया है। ब्याज दरें बढ़ने की आशंका भी कम हो गई है, बल्कि अगले वर्ष से ब्याज दरें घटने की संभावना है। हालांकि, मुझे नहीं लगता कि अगले दो साल तक वर्ल्ड इकोनॉमी की ग्रोथ ढाई फीसदी से ऊपर जाएगी। साल 2025 से वर्ल्ड इकोनॉमी में फिर से गति आने की उम्मीद है।
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