नहीं मिल सका AN-32 विमान का सुराग, अब सैटेलाइट की ली जा रही है मदद
भारतीय वायुसेना के लापता विमान एएन-32 की तलाश जोर शोर से की जा रही है। हालांकि अभी लापता विमान के बारे में पुख्ता जानकारी नहीं मिल पा रही है।
नई दिल्ली। नेवी चीफ सुनील लांबा ने आज मीडिया को जानकरी देते हुए कहा कि एएन-32 की तलाश के लिए नेवी, एयरफोर्स और कोस्ट गार्ड एक दूसरे के साथ मिलकर विमान की खोज कर रहे हैं। उन्होंने ये भी बताया कि सर्च एरिया की भी पहचान कर ली गई है और वो उन सभी परिवारों के संपर्क में हैं जिनके लोग एएन-32 में सवार थे। नेवी चीफ सुनील लांबा ने ये भी जानकारी दी कि सर्च ऑपरेशन में 17 जहाजों को लगाया गया है जिनमें 13 नेवी के और 4 कोस्ट गार्ड के हैं।
शुक्रवार सुबह से लापता हुए वायुसेना के विमान एएन-32 को अबतक ढूढा नहीं जा सका है। नौसेना, वायुसेना, कोस्ट गार्ड, सबरमरीन सभी विमान की तलाश में लगा दी गई हैं लेकिन विमान का कोई सुराग नहीं लग पा रहा है। विमान में मौजूद 29 लोगों के परिवार हर पल प्रार्थना कर रहे हैं कि विमान सुरक्षित हो और उसमें सवार उनके घर के लोग किसी तरह घर वापस पहुंच जाएं।
पिछले तीन दिनों से मॉनसून की वजह से बंगाल की खाड़ी की तरफ मौसम खराब चल रहा है लेकिन आज मौसम कुछ साफ है और आज भी एएन-32 को खोजने की कोशिशें जारी रहेगी क्योंकि दिन में सर्च ऑपरेशन चलाना रात के मुकाबले थोड़ा आसान होता है। नौसेना विमान का पता लगाने के लिए डीआरडीओ की मदद से उस इलाके की सैटेलाइट तस्वीरें मंगा रही है लेकिन अभी तक सैलेटाइट तस्वीरों की मदद से भी कोई खास कामयाबी नहीं मिल पाई है।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक सैटेलाइट इमेज से अभी तक डूबे हुए विमान के कोई संकेत नहीं मिले हैं। उन्होंने ये भी बताया कि बंगाल की खाड़ी में कई विमान और जहाज गश्त लगा रहे हैं लेकिन किसी को भी विमान के डूबने के कोई संकेत नहीं मिले हैं।
इस्टल नेवल कमांड के चीफ वाइस एडमिरल एच सी एस बिस्ट के मुताबिक एएन-32 को खोजने के लिए बड़ी संख्या में जहाजों के अलावा विमानों और कोस्टल गार्ड शिप का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि विमान को खोजने के लिए इसरो की भी मदद ली जा रही है ताकि वो उस इलाके की सैटेलाइट तस्वीर की मदद से लापता विमान का पता लगा सके।
परिवार को दी जा रही है ऑपरेशन की जानकारी
वाइस एडमिरल बिष्ट ने ये भी कहा कि वो विमान में सवार सभी लोगों के परिवारवालों से भी संपर्क में हैं और उन्हें ऑपरेशन की पूरी जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने ये भी बताया कि मॉनसून की वजह से खराब हो रहे मौसम और इलाके की गहराई की वजह से सर्च ऑपरेशन में दिक्कते आ रही है।
वाइस एडमिरल बिष्ट के मुताबिक उस इलाके में 3500 मीटर की गहराई है और जैसे जैसे गहराई बढ़ती जाएगी वैसे वैसे चुनौतियां भी बढ़ती जाएगी।
कम होती जा रही है विमान मिलने की संभावना
नेशनल सेंटर फॉर ओशियन इनफॉर्मेशन सर्विस के एक अधिकारी के मुताबिक एएन-32 के मिलने की संभावना अब 50 फीसदी ही रह गई है। उन्होंने ये भी कहा कि अगर इस ऑपरेशन का दायरा बढ़ाकर 9 हजार किलोमीटर तक कर दिया जाता है तो विमान के मिलने की संभावना महज 20 फीसदी रह जाएगी।
कोस्ट गार्ड के एक अधिकारी के मुताबिक वायुसेना के 16 विमान और नौसेना के 18 जलाज लापता हुए एएन-32 विमान की खोज कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 120 बाय 120 नॉटिकल माइल्स के दायरे में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
वायुसेना और नौसेना ने झोंकी पूरी ताकत
शनिवार को विमान की खोज में 13 जहाज और 5 विमानों को सर्च ऑपरेशन में लगाया गया जिसमें 2 P8I सर्विलेंस एयरक्राफ्ट और दो डोरनियर भी शामिल थे। इसके अलावा डोनियर, एएन-32, 2 C-130 और 1 MI-17 हैलिकॉप्टर को स्टैंडबाय पर रखा गया है।
ओशियन साइंस एंड इंफॉरमेशन सर्विस ग्रुप के प्रमुख टी एम बालाकृष्णन अय्यर के मुताबिक उन्होंने दो ट्राएंगल लगाया है ताकि सर्च ऑपरेशन में मदद मिल सके। अय्यर के मुताबिक पहला ट्राएंगल 5000 स्कवेयर किलोमीटर पर वहीं दूसरा 9000 स्कवेयर किलोमीटर पर लगाया गया है।
मनोहर पर्रिकर ने खुद संभाल रखी है ऑपरेशन की कमान
शनिवार को खुद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने चेन्नई जाकर रेस्कयू ऑपरेशन का जायजा लिया। इस दौरान रक्षा मंत्री ने एरियल दौरा भी किया और नेवी और वायुसेना के अधिकारियों से रेसक्यू ऑपरेशन से जुड़ी जानकारियां मांगी।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक 4 सर्विलेंस की क्षमता वाले विमान के अलावा और 12 जहाज और एक पनडुब्बी को विमान की खोज में लगाया गया है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक पिछले कुछ सालों में ये सर्च ऑपरेशन सबसे बड़ा सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन है। अधिकारियों के मुताबिक मॉनसून की वजह से बंगाल की खाड़ियों की तरफ पिछले दो दिनों से मौसम खराब है।
विमान में सवार 29 लोगों में 6 क्रू के सदस्य हैं जिसमें दो पायलट और एक नेविगेटर है। इनके अलावा 11 लोग भारतीय वायुसेना के, 9 नेवी, 2 आर्मी और 1 सदस्य कोस्ट गार्ड का है। इस विमान में भारतीय वायुसेना की अधिकारी फ्लाइट लेफ्टिनेंट दीपिका भी हैं जो कि अपने पति से मिलने पोर्ट ब्लेयर जा रही थी। दीपिका के पति कोर्ट गार्ड में अधिकारी हैं।
दिन रात चल रहा है सर्च ऑपरेशन
आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना के लापता हुए विमान एएन 32 की तलाश दिन रात भर जारी रही। लेकिन अभी तक लापता विमान के बारे में किसी तरह की पुख्ता जानकारी नहीं मिल सकी है। रक्षा राज्यमंत्री एस. आर. भामरे के मुताबिक ये घटना चेन्नई से करीब 270 किलोमीटर दूर हुई है। उन्होंने ये भी बताया कि जो भी लोग उस विमान पर सवार थे उन सभी के परिवारवालों को इत्तिला कर दी गई है।
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शुक्रवार सुबह से लापता है विमान
जानकारी के मुताबिक इस विमान में 29 यात्री सवार हैं और इसने शुक्रवार सुबह चेन्नई के थंबरम से पोर्ट ब्लेयर जाने के लिए उड़ान भरी थी। बताया जा रहा है कि उड़ान भरने के 16 मिनट के बाद से विमान रडार से बाहर हो गया । एएन-32 विमान ने सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर उड़ान भरी थी और उसे 11 बजकर 30 मिनट पर पोर्ट ब्लेयर उतरना था।
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भारतीय वायुसेना के गायब विमान एएन- 32 को ढूंढने की पूरी कोशिशें की जा रही है। नेवी के जहाजों के अलावा मर्चेंंट नेवी को भी सूचित किया गया है कि कि वो भी विमान का कोई भी सुराग मिलने पर तुरंत नेवी से संपर्क करे।
युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है सर्च ऑपरेशन
जानकारी मिलते ही विमान का पता लगाने के लिए व्यापक पैमाने पर खोजी अभियान जारी है। इसमें भारतीय वायुसेना के साथ ही नौसेना और तटरक्षक बल शामिल हैं। चार जंगी जहाजों को बंगाल की खाड़ी में सर्च ऑपरेशन में जुटे हुए हैं। तटरक्षक बल के चार जहाज और 2 डोर्नियर एयरक्राफ्ट को बचाव कार्य में लगाया गया है। विमान का पता लगाने के लिए एक पी8 आई और एक डोर्नियर एयरक्राफ्ट के अलावा नेवी के चार जहाजों को पूर्वी चेन्नई के 200 नॉटिकल माइल्स तक सर्च ऑपरेशन के लिए भेजा गया है।
भारतीय नौसेना की तरफ से एएन -32 का पता लगाने के लिए बंगाल की खाड़ी में एक सबमरीन भी भेजा गया है। ताकि, पानी के अंदर अगर किसी तरह का कोई ट्रांसमिशन या सिग्नल मिल रहा हो तो भारतीय वायुसेना के एयरक्राफ्ट एएन-32 का पता लगाया जा सके।
खराब मॉनसून की वजह से विमान ने रास्ता तो नहीं बदला?
एयर मार्शल फिलिप राजकुमार के मुताबिक दिन की रोशनी में सर्च ऑपरेशन थोड़ा आसान होता है क्योंकि रोशनी पूरी मिलती है अगर दिन तक कुछ पता नहीं चल पाता है तो नेवी को सर्च ऑपरेशन के लिए और साधनों का इस्तेमाल करना पड़ेगा। रक्षा और मौसम विशेषज्ञ इस बात को लेकर भी चर्चा कर रहे हैं कि कहीं मॉनसून की वजह से खराब हुए मौसम की वजह से विमान ने अपना रास्ता तो नहीं बदल लिया?
विमान में खराब मौसम में भी उड़ान भरने की क्षमता
आपको बता दें कि एएन-32 विमान खराब मौसम में भी उड़ान भरने में सक्षम है और इसमें एक बार फ्यूल भरने के बाद चार घंटे की उड़ान जारी रखने की क्षमता है। भारत के अलावा श्रीलंका, कोलंबिया, पेरू, मैक्सिको, अफगानिस्तान और कई अफ्रीकी देश एएन-32 विमान का इस्तेमाल करते हैं। उक्रेन में निर्मित एएन-32 विमान को भारतीय वायु सेना में 1984 में शामिल किया गया था। मौजूदा समय में भारतीय वायु सेना के पास इस तरह के करीब 100 विमान हैं।
क्या है एएन-32 विमान का खासियत?
एएन-32 हल्का सैन्य परिवहन एयरक्राफ्ट है जिसका 50 डिग्री सैल्सियस की भीषण गर्मी से लेकर दुर्गम पडाड़ियों पर 4500 मीटर की उंचाई तक इस्तेमाल किया जा सकता है। इस प्लेन का इस्तेमाल मुख्य रूप से छोटी और मध्यम दूरी तक कारगो को लाने और ले जाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इस विमान का इस्तेमाल जवानों को ले जाने और पैराट्रूप के जरिए जवानों को जमीन पर उतारने के काम में भी लाया जा सकता है। आपातकाल के दौरान एयर एंम्बुलेंस के तौर पर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस विमान की क्षमता 20 टन वजन के साथ पूरी तरह से हथियारबंद 40 सैनिकों को ले जाने की है। जानकारी के मुताबिक सुबह 8 बजकर 46 मिनट पर लापता विमान से संपर्क हुआ था। उस वक्त विमान 23 हजार फिट की उंचाई पर था
सभी एटीसी और इस्टर्न कमांड को अलर्ट कर दिया गया है। रक्षा विभाग और नौसेना इस घटना पर पैनी निगाह बनाए हुए है। अंडमान-निकोबार में सभी तटरक्षक दल को हाई अलर्ट कर दिया गया है। रक्षा सूत्रों का कहना है कि वायुसेना के अफसरों की एक टीम को निकोबार में तैनाती की गई है जो जरूरत पड़ने पर विमान में मौजूद अफसरों को खोजने से संबंधित मिशन को अंजाम दे सके।