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    इजरायली हेरॉन ड्रोन को हथियारों से लैस करने के लिए 'प्रोजेक्ट चीता' की तैयारी, क्‍या है वायुसेना का मकसद..?

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Mon, 19 Sep 2022 12:03 AM (IST)

    रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया पर आगे बढ़ते हुए वायुसेना ने भी एक बड़ा फैसला लिया है। भारतीय वायु सेना देश की रक्षा कंंपनियों की मदद से प्रोजेक्ट चीता पर आगे बढ़ने की योजना बना रही है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

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    वायु सेना अपने 'प्रोजेक्ट चीता' के साथ आगे बढ़ने की योजना बना रही है।

    नई दिल्‍ली, एजेंसी। केंद्र की नरेन्‍द्र मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को लगातार बढ़ावा दे रही है। इसी कवायद के तहत केंद्र सरकार ने सभी प्रमुख आयात रक्षा सौदों को या तो रोक दिया है या रद्द कर दिया है। समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायु सेना (Indian Air Force, IAF) अब मेक इन इंडिया (Make in India) के तहत अपने 'प्रोजेक्ट चीता' के साथ आगे बढ़ने की योजना बना रही है। इस परियोजना (Project Cheetah) के तहत जहां भारतीय रक्षा निर्माता कंपनियां इजरायली हेरॉन ड्रोन को स्ट्राइक यानी अटैक क्षमताओं से लैस करेंगे।  

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    दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाकर ध्‍वस्‍त करने में सक्षम

    एएनआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि योजना के अनुसार भारतीय वायु सेना महत्वाकांक्षी परियोजना चीता (Ambitious Project Cheetah) को मजबूती देना चाहती है। वायुसेना इस परियोजना के तहत अपने मौजूदा इजरायली हेरॉन ड्रोन को बेहतर संचार सुविधाओं और मिसाइलों से लैस करना चाहती है। ये मिसाइलें लंबी दूरी से ही दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाकर ध्‍वस्‍त करने में सक्षम हैं। गौर करने वाली बात यह कि पहले इस परियोजना को इजरायली हथियार निर्माता कंपनियों की मदद से पूरा किया जाना था।

    भारतीय रक्षा कंपनियों को शामिल करेगी IAF

    आधिकारिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि भारतीय वायुसेना 'मेक इन इंडिया' के तहत रक्षा क्षेत्र में भारतीय रक्षा कंपनियों को शामिल करेगी। ये भारतीय रक्षा कंपनियां ही इजरायली हेरॉन ड्रोन को घातक हथियारों से लैस करेंगी। मालूम हो कि भारतीय वायुसेना (Indian Air Force, IAF) उस परियोजना का नेतृत्‍व कर रही है जिसके जरिए नौसेना और सेना में इस इजरायली ड्रोन को घातक स्ट्राइक क्षमताओं और बेहतर निगरानी प्रणाली के साथ अपग्रेड करने की योजना है।

    दुश्‍मन इलाके की मिलेगी खुफ‍िया जानकारी 

    लंबे समय से तीनों सेनाएं दुश्‍मनों की टोह लेने के लिए इजराइली सर्चर-II और हेरॉन ड्रोन पर निर्भर हैं। अपग्रेड किए जाने के बाद इन ड्रोन से जमीन पर मौजूद सैन्‍य बलों को उन क्षेत्रों में दुश्‍मनों के ठिकाने के बारे में सटीक खुफिया जानकारी मिल सकेगी जहां स्‍ट्राइक की जानी है। ग्राउंड स्टेशनों से इन अपग्रेडेड ड्रोन को दूर से संचालित किया जा सकेगा। यही नहीं ये ड्रोन उपग्रह संचार प्रणाली के माध्यम से नियंत्रित किए जा सकेंगे। वायुसेना की नई योजना से विदेश रक्षा आयात पर निर्भरता में कमी आएगी।

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