आर्थिक समृद्धि का पुराना गौरव हासिल करेगा भारत, बनेगा फिर से 'सोने की चिड़िया': आरबीआइ
रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने हरित ऊर्जा की तरफ से कदम बढ़ाये हैं जिसमें निवेश की अपार संभावनाएं हैं। इसी रिपोर्ट में आरबीआइ की तरफ से एक आलेख भी प्रकाशित की गई है जिसका शीर्षक है सौंवें वर्ष में भारत (इंडिया एट 100)। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2047 तक भारत मौजूदा 7.6 फीसद की सालाना विकास दर के जरिए ही एक विकसित देश बन जाएगा।

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। भारत एक बार फिर 'सोने की चिड़िया' बना सकता है या यूं कहें कि मौजूदा आर्थिक विकास दर के जरिए इस सदी के अंत तक हम वैश्विक स्तर पर आर्थिक तौर पर वहीं मुकाम हासिल कर सकते हैं जो अंग्रेजों के आने से पहले मुगलकालीन भारत को हासिल था। यह बात भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को जारी अपनी मासिक रिपोर्ट (जुलाई, 2023) में कही है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था एक जबरदस्त बदलाव के मोड़ पर है और यह अपनी पूरी क्षमता के मुताबिक प्रदर्शन करने की तरफ अग्रसर है।
2075 तक भारत बन जाएगा सबसे बड़ी इकोनोमी
केंद्रीय बैंक ने पहले भी भारतीय की अर्थव्यवस्था की प्रगति को लेकर बड़े ऐलान किये हैं लेकिन इतनी आशावादिता पहली बार उसकी रिपोर्ट से सामने आई है। हालांकि हाल ही में अमेरिका की एक विख्यात शोध एजेंसी गोल्डमैन सैश ने कहा है कि भारत वर्ष 2075 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनोमी बन जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा माना जा रहा है कि अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिहाज से भारत एक बड़े बदलाव के मोड़ पर है। मौजूदा आर्थिक विकास दर से ही यह मौजूदा सदी के अंत तक दुनिया की दूसरी सबसे बडी इकोनोमी बन सकता है। और हो सकता है कि यह औपनिवेशिक शक्तियों के आने से पहले वर्ष 1700 तक विश्व अर्थव्यवस्था में इसका जो प्रभुत्व था उसे भी हासिल कर ले। इसके बाद आरबीआइ ने उन कारणों को बताया है जिसकी वजह से वह इतना आशावाद है।
इसमें सबसे पहले देश में ढांचागत क्षेत्र की तेजी से बेहतर होती स्थिति का जिक्र किया है। केंद्रीय बैंक कहता है कि, हमने 60 लाख किलोमीटर से ज्यादा लंबी सड़कें बनाई हैं, दुनिया के कुछ बेहतरीन हवाई अड्डों का निर्माण किया है, ऐसा डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया है जिसकी पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है, सौर उर्जा संयंत्र स्थापित करने में इस साल दुनिया के सबसे बड़े देश बनने के कगार पर हैं।केंद्रीय बैंक फिर बताता है कि, भारत दुनिया में सेवा निर्यात के मामले में सातवें स्थान पर है।
लोगों को मिलेगा और ज्यादा रोजगार
सूचना प्रौद्योगिकी के आगे अब विस्तार हो रहा है। डिजटलीकरण से कई तरह की नई संभावनाएं पैदा हो रही हैं। भारत का मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग जैसे मशीनरी, इलेक्ट्रोनिक्स, वाहन आदि का वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी हो चुके हैं। जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग का स्थान मौजूदा 17 फीसद से बढ़ कर वर्ष 2030 तक 25 फीसद बनने की राह पर है। भारत में जनसांख्यिकी का भी फायदा हो रहा है और यह श्रम आपूर्ति करने में एक बड़े स्त्रोत के तौर पर स्थापित हो रहा है। इसका असर निवेश पर भी होगा और ज्यादा लोगों को रोजगार मिलने से ज्यादा बचत भी होगी जिसका सकारात्मक असर वित्तीय विकास पर पड़ेगा।
भारत ने हरित ऊर्जा की तरफ से कदम बढ़ाये हैं जिसमें निवेश की अपार संभावनाएं हैं। इसी रिपोर्ट में आरबीआइ की तरफ से एक आलेख भी प्रकाशित की गई है जिसका शीर्षक है सौंवें वर्ष में भारत (इंडिया एट 100)। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2047 तक भारत मौजूदा 7.6 फीसद की सालाना विकास दर के जरिए ही एक विकसित देश बन जाएगा। यह संभव है लेकिन आसान नहीं है। इसके लिए काफी निवेश और श्रम ढांचे में बडे पैमाने पर प्रशिक्षण की जरूरत होगी। वैसे इस आलेख में एक खाका भी दिया गया है जिससे भारत एक विकसित देश के तौर पर स्थापित हो सकेगा।
इसके मुताबिक अगर वर्ष 2047-48 तक भारत को उच्च आय वाले देशों की श्रेणी में शामिल होने के लिए 7.6 फीसद सालाना आर्थिक विकास दर की जरूरत होगी और इस दर से भारत की प्रति व्यक्ति आय होगी 21,664 डॉलर। जबकि एक विकसित देश की श्रेणी में शामिल होने के लिए हमें अगले 25 वर्षों तक 9.1 फीसद की आर्थिक विकास दर हासिल करनी होगी।
तब आजादी की सौंवीं वर्षगांठ पर भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 49 ट्रिलियन डॉलर (एक ट्रिलिनय एक लाख करोड़ के बराबर होता है) हो जाएगा और प्रति व्यक्ति आय 30,351 डॉलर प्रति बैरल होगी। वैसे वर्ष 2020-21 में भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय 2,302 डॉलर रही थी जिसके वर्ष 2022-23 में 2,450 डॉलर रहने का अनुमान है। भारतीय इकोनोमी का आकार तकरीबन 3.38 ट्रिलियन डॉलर का है।
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