Milk Consumption: दुनिया में औसत से ज्यादा दूध पीने लगा भारत, उत्पादन में आजादी के बाद सबसे अधिक वृद्धि
देसी गायों के संवर्धन के लिए दशकभर से किए गए प्रयासों ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है। पिछले एक दशक के दौरान दूध के उत्पादन एवं उत्पादकता में स्वतंत्रता के बाद से सर्वाधिक वृद्धि हुई है। केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री संजीव बालियान का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था में डेयरी सेक्टर का पांच प्रतिशत का योगदान है। लगभग आठ करोड़ लोगों के रोजगार का साधन भी है।

अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। देसी गायों के संवर्धन के लिए दशक भर से किए गए प्रयासों ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है। पिछले एक दशक के दौरान दूध के उत्पादन एवं उत्पादकता में स्वतंत्रता के बाद से सर्वाधिक वृद्धि हुई है। दूध की खपत में भी तेजी से बढ़ते हुए भारत ने दुनिया की औसत खपत की मात्रा को काफी पीछे छोड़ दिया है।
पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सभी तरह के मवेशियों के दूध उत्पादन में दुनिया में पहले नंबर पर है। विश्व के कुल दूध उत्पादन में 24 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। नौ वर्षों में देश में दूध का उत्पादन लगभग 57 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ा है। इसी का परिणाम है कि प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2022-23 में 459 ग्राम प्रतिदिन हो गई है, जो नौ वर्ष पहले सिर्फ 303 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन थी। दूध की उपलब्धता बढ़ी तो भारतीयों के खान-पान के तरीके में भी तब्दीली आने लगी है।
दुनिया में दूध की औसत खपत कितनी?
दूध एवं उसके अन्य उत्पादों की खपत में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। अभी भारत में प्रत्येक व्यक्ति दुनिया में दूध की औसत खपत से 65 ग्राम ज्यादा दूध पीने लगा है। दुनिया में दूध की औसत खपत अभी मात्र 394 ग्राम प्रति व्यक्ति है। दूध के मामले में ऐसी संपन्नता का रास्ता राष्ट्रीय गोकुल मिशन के कारण खुल सका है। योजना की शुरुआत दिसंबर 2014 में हुई थी। मकसद था वैज्ञानिक तरीके से देशी गो-जातीय नस्लों का विकास और संरक्षण। राज्यों में गायों और भैंसों की परंपरागत प्रजनन तरीके से अलग किसानों के दरवाजे पर कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं उपलब्ध कराना, आईवीएफ तकनीक एवं लिंग सॉर्टेड सीमेन के जरिए देसी नस्ल के प्रजनन में गुणवत्ता लाने पर विशेष ध्यान दिया गया।
इसके पहले देश में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए क्रास ब्रीडिंग पर जोर दिया जाता था। इससे भी वृद्धि तो हुई लेकिन रफ्तार बहुत धीमी थी। वर्ष 2006-7 से 2013-14 के आंकड़े इसके उदाहरण हैं, जब देश में दूध की उपलब्धता में मात्र 20 प्रतिशत की वृद्धि हो पाई थी, जबकि पिछले नौ वर्षों में 57 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है।
नई योजना की सफलता यह भी बताती है कि भारत में गायों के प्रति लगाव बढ़ रहा है, क्योंकि देश के कुल दूध उत्पादन में गाय का योगदान सबसे ज्यादा लगभग 51 प्रतिशत है, जबकि भैंस का योगदान 47 प्रतिशत है।
विश्व औसत से तीन गुना ज्यादा तेजी
वर्ष 2013-14 के दौरान देश में 1463 लाख टन दूध का उत्पादन हुआ था, जो 2022-23 में बढ़कर 2306.0 लाख टन हो गया है। आजादी के बाद से दूध उत्पादन में यह सबसे अधिक वृद्धि है। भारत में प्रत्येक वर्ष दूध उत्पादन 5.9 प्रतिशत से ज्यादा की दर से बढ़ रहा है, जबकि दुनिया में दूध की औसत वृद्धि दर मात्र दो प्रतिशत प्रतिवर्ष है। भारत के दूध की विदेशों में भी मांग बढ़ने लगी है। लगभग डेढ़ सौ देशों में भारत के डेयरी प्रोडक्ट की मांग है। पिछले वर्ष 65 लाख टन डेयरी प्रोडक्ट का निर्यात हुआ है।
केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री संजीव बालियान का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था में डेयरी सेक्टर का पांच प्रतिशत का योगदान है। लगभग आठ करोड़ लोगों के रोजगार का साधन भी है। केंद्र सरकार दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने और डेयरी को अधिक लाभकारी बनाने के लिए प्रयासरत है। नई योजना से देसी नस्लों के पशुओं की संख्या और दूध की उपलब्धता में वृद्धि हो रही है।
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