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    डेरी क्षेत्र की बड़ी चुनौती है पशुचारे की कमी; सरकार ने माना समस्या गंभीर, पराली को बचाना बहुत जरूरी

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Wed, 14 Sep 2022 08:17 PM (IST)

    अंतरराष्ट्रीय डेरी सम्मेलन में पशुचारे की कमी पर जोरदार चर्चा हुई। सरकार का कहना है कि समस्‍या गंभीर है। पशुचारे की उपलब्धता की दिशा में तत्काल प्रभाव से काम करने की जरूरत है। डेरी क्षेत्र में वेस्ट टू वेल्थ मैनेजमेंट जरूरी है।

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    अंतरराष्ट्रीय डेरी सम्मेलन में बुधवार को पशुचारे की कमी पर चर्चा हुई।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय डेरी सम्मेलन में बुधवार को पशुचारे की कमी को बड़ी चुनौती मानकर उससे निपटने की तैयारियों पर चर्चा हुई। 'फीड, फूड एंड वेस्ट' विषय पर आयोजित सत्र में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने पशुचारे की कमी का जिक्र करते हुए कहा 'इसकी उपलब्धता की दिशा में तत्काल प्रभाव से काम करने की जरूरत है। सरकार इसके लिए गंभीर है।' उन्होंने कहा कि डेरी क्षेत्र में वेस्ट टू वेल्थ मैनेजमेंट आवश्यक है। इससे पशुपालक किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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    मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर

    भारत दुनिया का सबसे अधिक दुग्ध उत्पादक देश भले बन गया हो, लेकिऩ यहां के दुधारू पशुओं की उत्पादकता संतोषजनक नहीं है। भारत में पशुओं की संख्या 30 करोड़ से भी अधिक है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। इतने अधिक पशुओं के चारे की मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर है। गेहूं व धान उत्पादक राज्यों में जहां पराली का उपयोग पशुचारे के तौर पर किया जाता था, वहां इसे अब जलाया जाने लगा है।

    चारागाहों के सिमटने से गहराई समस्‍या

    इससे पशुचारे की लगातार कमी हो रही है। देश में चारागाहों के लगातार सिमटने से हालात और भी खराब हो गए हैं। सत्र के दौरान इन सारे तथ्यों पर विचार विमर्श किया गया। कृषि मंत्री तोमर ने चारे की कमी के बारे में अपना अनुभव भी साझा किया। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र (चंबल संभाग) का जिक्र करते हुए बताया कि उनका क्षेत्र गोरस उत्पादक है। यहां गीर नस्ल समेत अऩ्य कई तरह की देसी गायों की प्रजातियां हैं।

    पशु आहार को लेकर बनाना होगा जागरूक

    गरमी के दिनों में चारे के अभाव में पशुपालक दो से तीन सौ किमी तक पशुओं को चराने के लिए निकल जाते हैं। इससे उनके पशुओं की दुग्ध उत्पादकता बहुत घट जाती है, जिससे वहां के डेरी क्षेत्र का विकास नहीं हो पाता है। पशु आहार की दिशा में किसानों को जागरूक बनाना होगा।

    15 हजार करोड़ रुपये का विशेष पैकेज

    पशु आहार (पशुचारे) के उपयोग से दूध की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ सकती है। इसके लिए डेरी क्षेत्र में लगी कंपनियों और इसमें काम करने वाले स्टार्टअप्स को विशेष जोर देना होगा। तोमर ने कहा कि पशुधन विकास के लिए केंद्र सरकार ने 15 हजार करोड़ रुपये का विशेष पैकेज घोषित किया है। इसके उपयोग से पशुचारे की मांग व आपूर्ति के अंतर को घटाया जा सकता है।