इस कारण से अटकी भारत-रूस की लड़ाकू विमान परियोजना !
भारत और रूस के सहयोग से पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने की योजना अटक गई है।
नई दिल्ली (आइएएनएस)। काफी समय से लंबित भारत और रूस की मिलकर पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने की परियोजना लगता है अटक गई है। रक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह काफी खर्चीली हो सकती है। मंत्रालय ने इस परियोजना के आकलन के लिए समिति बनाई थी जिसने हाल में अपनी रिपोर्ट सौंपी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे चार प्रोटोटाइप लड़ाकू विमान विकसित करने में छह अरब डॉलर (करीब 3842 करोड़ रुपये) का खर्च आएगा। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, यह काफी अधिक है। भारत और रूस ने 2007 में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान परियोजना के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
यह रूसी लड़ाकू विमान सुखोई-57 या पीएके एफए टी-50 पर आधारित होनी थी। भारत ने रूस को पहले ही बता दिया था कि परियोजना का खर्च बहुत ज्यादा है। साथ ही एसयू-57 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए भी रूस से बातचीत की थी। दिसंबर 2010 में भारत ने लड़ाकू विमान के आरंभिक डिजाइन के लिए 29.5 करोड़ डॉलर (करीब 188 करोड़ रुपये) देने की सहमति जताई थी। हालांकि बाद के वर्षों में बातचीत में काफी बाधाएं उत्पन्न हुईं।
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