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    परमाणु जवाबदेही फंड बनाने पर विचार कर रही सरकार, किसी बड़ी दुर्घटना की स्थिति में विदेशी कंपनियों को मिलेगी बड़ी राहत

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 09:30 PM (IST)

    भारत सरकार परमाणु दुर्घटनाओं की स्थिति में मुआवजे के लिए 1500 करोड़ रुपये का परमाणु जवाबदेही कोष बनाने की योजना बना रही है। इस कदम का उद्देश्य वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं और निजी कंपनियों की जोखिम संबंधी चिंताओं को दूर करना है जिससे परमाणु उद्योग में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। प्रस्तावित विधेयक में वैधानिक कोष ऑपरेटरों की देयता बढ़ाएगा और पीड़ितों को मुआवजा देने की क्षमता में सुधार करेगा।

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    परमाणु जवाबदेही फंड बनाने पर विचार कर रही सरकार (फाइल)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत सरकार 1,500 करोड़ रुपये (16.9 करोड़ डालर) से अधिक का परमाणु जवाबदेही कोष बनाने की योजना बना रही है। इसका मकसद किसी दुर्घटना की स्थिति में मुआवजा प्रदान करना है।

    दो सरकारी सूत्रों ने बताया कि इस कदम से वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं और निजी कंपनियों की जोखिम साझा करने संबंधी चिंताओं का निराकरण हो सकेगा। इस तरह भारत की मुआवजा व्यवस्था को वैश्विक मानदंडों के अनुरूप बनाकर परमाणु उद्योग में लंबे समय से रुके हुए निजी और विदेशी निवेश को गति मिल सकती है।

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    सूत्रों बताया कि नए परमाणु ऊर्जा विधेयक में प्रस्तावित यह वैधानिक कोष, वर्तमान तदर्थ (एड-हाक) भुगतान प्रणाली से हटकर आपरेटरों की सीमित देयता को बढ़ाएगा। यह कोष दुर्घटना की स्थिति में पीडि़तों को मुआवजा देने की सरकार की क्षमता बढ़ाने करने के लिए बनाया जा रहा है। इस बारे में परमाणु ऊर्जा विभाग, प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय ने किसी सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।

    2047 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता 12 गुना करने की योजना

    भारत की योजना 2047 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को 12 गुना बढ़ाने की है। इसके लिए दशकों पुराने सरकारी एकाधिकार और कड़े दायित्व प्रविधान को समाप्त करने के लिए नियमों में ढील दी जा रही है ताकि निजी भागीदारी को बढ़ावा मिले और प्रौद्योगिकी के विदेशी आपूर्तिकर्ताओं को आकर्षित किया जा सके। टाटा पावर, अदाणी पावर और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे बड़े समूहों ने निवेश योजनाएं तैयार करना शुरू कर दिया है।

    शीत सत्र में पेश हो सकता है विधेयक

    सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार विधेयक का मसौदा तैयार करने के अंतिम चरण में है। इसे दिसंबर में संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। इसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा उत्पादन और यूरेनियम खनन के क्षेत्र में निजी कंपनियों को आकर्षित करना है। इसके तहत परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में विदेशी कंपनियों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से कम होगी।

    सरकार दुर्घटनाओं की स्थिति में आपूर्तिकर्ताओं के लिए असीमित देयता के प्रविधान को खत्म करके परमाणु दायित्व कानूनों को भी आसान बनाना चाहती है। जवाबदेही कोष, आपरेटरों की सीमित देयता से परे मुआवजे के वित्तपोषण के लिए स्पष्ट कानूनी व्यवस्था बनाएगा।

    बीमा कवरेज के लिए भारत अभी परमाणु बीमा पूल पर निर्भर

    परमाणु दुर्घटनाओं के विरुद्ध बीमा कवरेज के लिए भारत अभी परमाणु बीमा पूल पर निर्भर है, जो 2015 में शुरू की गई नीतिगत व्यवस्था है, लेकिन कानून में अंतर्निहित नहीं है। हालांकि इसे 2010 के कानून के तहत आपरेटर और आपूर्तिकर्ता की देयता में मदद के लिए डिजायन किया गया था, लेकिन फिर भी यह फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों की विदेशी कंपनियों की चिंताओं को दूर करने में विफल रहा था।

    पारित होने के बाद नया विधेयक 1962 के परमाणु ऊर्जा अधिनियम और 2010 के परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम का स्थान ले लेगा।

    (समाचार एजेंसी रॉयटर्स के इनपुट के साथ)

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