आदित्य-एल 1 ने वैज्ञानिक डाटा एकत्र करना किया शुरू, ISRO ने कहा- इससे मिलेगी महत्वपूर्ण जानकारी
सूर्य का अध्ययन करने लगभग 15 लाख किलोमीटर के सफर पर निकला आदित्य-एल-1 अभी पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में ही है लेकिन इसने डाटा भेजना शुरू कर दिया ...और पढ़ें

बेंगलुरु, पीटीआई। सूर्य का अध्ययन करने लगभग 15 लाख किलोमीटर के सफर पर निकला आदित्य-एल-1 अभी पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में ही है, लेकिन इसने डाटा भेजना शुरू कर दिया है। पृथ्वी की कक्षाओं में रहने के दौरान ''आदित्य'' के उपकरण द्वारा एकत्र किया गया डाटा विज्ञानियों को पृथ्वी के आसपास के कणों के व्यवहार का विश्लेषण करने में मदद करेगा।
आदित्य-एल-1 करने लगा डाटा एकत्र
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को एक्स पर पोस्ट किया, ''आदित्य'' में लगे उपकरण सुप्रा थर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर (स्टेप्स) के सेंसर ने सुपर-थर्मल और ऊर्जावान आयनों और इलेक्ट्रानों को मापना शुरू कर दिया है। इसे 10 सितंबर को पृथ्वी से 50,000 किमी से अधिक दूरी पर सक्रिय किया गया था।

कब शुरू होगा क्रूज चरण?
स्टेप्स ''आदित्य'' में लगे सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एएसपीईएक्स) पेलोड का हिस्सा है। ''आदित्य'' के क्रूज चरण और एल-1 की पास की कक्षा में पहुंचने के बाद भी स्टेप्स के सेंसर आयनों और इलेक्ट्रानों को मापते रहेंगे। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से आदित्य-एल-1 के निकलने के साथ क्रूज चरण शुरू होगा।
यह भी पढ़ेंः ISRO: Aditya L-1 Mission ने बढ़ाया सफलता की ओर एक और कदम, चौथी बार कक्षा बदलने की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी
डेटा से मिलेगी महत्वपूर्ण जानकारी
एल1 के आसपास एकत्र किए जाने वाले डाटा से सौर हवा और अंतरिक्ष के मौसम के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकेंगी। स्टेप्स को अहमदाबाद के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) के सहयोग से भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) ने विकसित किया है। स्टेप्स में छह सेंसर हैं। प्रत्येक सेंसर अलग-अलग दिशाओं में एक एमईवी से अधिक के इलेक्ट्रानों के अलावा, 20 केईवी न्यूक्लियान से लेकर पांच एमईवी /न्यूक्लियान तक के सुपर-थर्मल और ऊर्जावान आयनों को मापता है।
दो सितंबर को इसरो ने लॉन्च किया था मिशन
इसरो ने दो सितंबर को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी57) राकेट से ''आदित्य'' को लांच किया था। देश के पहले सूर्य मिशन के तहत इसरो वेधशाला भेज रहा है। ''आदित्य'' सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के एल-1 की पास की कक्षा में पहुंचेगा। यह पांच साल के मिशन के दौरान एल-1 से ही सूर्य का अध्ययन करेगा।
यह भी पढ़ेंः लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर के लिए 22 सितंबर अहम, वैज्ञानिक वीरामुथुवेल बोले- ISRO ने लक्ष्य को किया हासिल
आदित्य में लगे हैं सात पेलोड
एल1 अंतरिक्ष में स्थित वह स्थान है, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल समान होता है। एल-1 के पास की कक्षा में रखे गए सेटेलाइट से सूर्य को बिना किसी छाया लगातार देखा जा सकेगा। ''आदित्य'' में सात पेलोड हैं। ये पेलोड फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (कोरोना और फोटोस्फेयर के बीच की परत) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अध्ययन करेंगे। एल-1 का उपयोग करते हुए चार पेलोड सीधे सूर्य की ओर होंगे। शेष तीन पेलोड एल-1 पर ही क्षेत्रों का अध्ययन करेंगे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।