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    सिंधु जल समझौता: भारत के रुख में नहीं होगा कोई बदलाव, सीआर पाटील ने बिलावल को दिया करारा जवाब

    केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने पुष्टि की है कि पुलवामा हमले के बाद सिंधु जल समझौते को निलंबित करने का भारत का फैसला कायम है और यह निलंबित ही रहेगा, जो देश हित में है। पाकिस्तान के अनुरोध के बावजूद भारत अपने रुख पर अडिग है। इसके साथ ही, भारत झेलम नदी पर अपनी तुलबुल परियोजना फिर से शुरू कर रहा है।  

    By Deepti Mishra Edited By: Deepti Mishra Updated: Thu, 26 Jun 2025 08:16 PM (IST)
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    सिंधु जल समझौते पर भारत का कड़ा रुख, निलंबित रहेगा समझौता, तुलबुल परियोजना होगी शुरू

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने गुरुवार को सिंधु  जल समझौते पर भारत के रुख को फिर से साफ किया है और कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने इस समझौते को निलंबित करने का जो फैसला लिया था उस पर वह कायम है। उसके रुख में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं है। यह समझौता अब निलंबित ही रहेगा। वैसे भी यह फैसला भारत सरकार और प्रधानमंत्री का है। देश हित में ही इसका फैसला लिया गया है। आगे भी जो फैसला होगा, वह देश हित में ही होगा।
     
    केंद्रीय मंत्री पाटिल ने सिंधु जल समझौते को लेकर यह टिप्पणी तब की है, जब उनसे पूछा गया कि पाकिस्तान की ओर से समझौते को बहाल करने को लेकर लिखे गए पत्रों के बाद क्या सरकार अपने रुख में किसी तरह के कोई बदलाव पर विचार कर रही है।
     

    भारत तुलबुल परियोजना फिर से होगी शुरू, सरकार ने दिए संकेत

     
    पाकिस्तान के साथ सिंधु  जल समझौते को निलंबित करने के बाद भारत सरकार ने जम्मू- कश्मीर में झेलम नदी पर प्रस्तावित अपनी तुलबुल परियोजना को फिर से शुरू करने के संकेत दिए है। अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इसे शुरू कर काम शुरू किया गया। फिलहाल इसके डीपीआर पर काम किया जा रहा है। जो एक से डेढ़ साल में तैयार हो जाएगा। इससे जरिए झेलम के पानी को रोककर उसका इस्तेमाल जम्मू, पंजाब व हरियाणा में किया जा सकता है।
     
     

    सालों से रुका फ्लशिंग का काम फिर हुआ शुरू

     
    सिंधु जल समझौते के तहत सतलज, रावी और व्यास नदियों पर बने बांधों की भारत ने फ्लशिंग  को तेज कर दिया है। वैसे तो यह बांधों की क्षमता को बढ़ाने और उन्हें स्वस्थ रखने से जुड़ी एक नियमित प्रक्रिया है। लेकिन समझौते के दौरान पाकिस्तान के विरोध के चलते यह काम पिछले करीब दो दशकों से नहीं हो पा रहा है। अब भारत ने इस काम तेजी दिखाई है और वह बांधों में ज्यादा जलभराव पर फ्लशिंग की प्रक्रिया को अंजाम दे रहा है। गौरतलब है कि सिंधु समझौते में शामिल इन्हीं तीनों नदियों का भारत बेहतर जल प्रबंधन कर पा रहा है। 
     
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