'लगातार चौथे साल सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना भारत', वित्त मंत्री बोलीं- सेवा और कृषि क्षेत्र का खास योगदान
भारत लगातार चौथे साल सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत अपनी जीडीपी वृद्धि की गति को बनाए रख रहा है। देश के आर्थिक विकास में विनिर्माण सेवा और कृषि क्षेत्र का योगदान है। वित्त मंत्री ने कहा कि जनवरी-मार्च की अवधि के दौरान भारत की विनिर्माण गतिविधि अच्छी रही है जिससे 7.4 प्रतिशत की तिमाही वृद्धि दर्ज की गई।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत लगातार चौथे साल सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। इस बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कि भारत लगातार चौथे साल सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी जीडीपी वृद्धि की गति को बनाए रख रहा है।
वित्त मंत्री ने कहा कि जनवरी-मार्च की अवधि के दौरान भारत की विनिर्माण गतिविधि अच्छी रही है। वहीं, तिमाही के दौरान 7.4 प्रतिशत और पूरे वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 6.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर्ज करने में मदद की है।
'भारत ने विकास को बनाए रखा'
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि भारत विकास को बनाए रखा है। उन्होंने कहा कि यह लगातार चौथा साल है जब भारत तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। उन्होंने इसका श्रेय छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों के काम को दिया है। सीतारमण ने कहा कि उद्योग जो आ रहे हैं और सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारी विनिर्माण क्षमता, हमारी सेवा क्षमता सभी बरकरार हैं। कृषि ने भी कोविड के दौरान और उसके बाद भी हमें बनाए रखा है।
दरअसल, लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए निर्मला सीतारण ने कहा कि जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान ऐसी राय थी कि उद्योग पर्याप्त निवेश नहीं कर रहा है, क्षमता में वृद्धि नहीं हो रही है और इसका अर्थव्यवस्था पर प्रभाव भी सवालिया निशान है।
'हर बाधाओं पर बात करने के लिए सरकार तैयार'
निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार हर साल विनियामक कठिनाइयों को दूर करने और नरम-स्पर्श विनियमन लाने के लिए काम कर रही है, जिससे लोग बिना किसी संदेह के व्यापार कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि वह विनियामक बाधाओं को कम करने में व्यापार में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए सुझाव प्राप्त करने के लिए तैयार हैं।
वित्त मंत्री कहा कहना है कि हम भारत के इतिहास के उस दौर में हैं, जहां हमें अपने देश की क्षमताओं पर भरोसा रखने और यह विश्वास रखने की जरूरत है कि हम निश्चित रूप से उस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। हम कब तक यह कहते रहेंगे कि हम विकासशील देश हैं। (इनपुट एजेंसी के साथ)

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