'Divorce का नोटिस भेजना सुसाइड के लिए उकसाने का मामला नहीं', केरल हाईकोर्ट ने ट्रायल हाई कोर्ट के फैसले को किया रद
केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि पति द्वारा पत्नी को तलाक का नोटिस भेजना आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला नहीं माना जा सकता। अदालत ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें पति पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था। पत्नी ने तलाक का मसौदा मिलने के बाद आत्महत्या कर ली थी जिसके बाद ट्रायल कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था।

आईएएनएस, कोच्चि। केरल हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि पति द्वारा पत्नी को तलाक का नोटिस भेजना आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला नहीं है।
हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद करते हुए यह फैसला सुनाया। पति द्वारा तलाक का मसौदा भेजे जाने के बाद पत्नी ने कुएं में कूदकर आत्महत्या कर ली थी। ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में पति के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप जोड़ा था।
'मानसिक रूप से टूट गई महिला'
हाई कोर्ट के जज ने कहा, आरोप है कि पति के परिवार के सदस्य महिला के घर आए और तलाक के समझौते का मसौदा सौंपा, और इसे देखकर महिला मानसिक रूप से टूट गई। ट्रायल कोर्ट ने पाया कि आत्महत्या के लिए उकसाने का पर्याप्त साक्ष्य था, लेकिन मैं इस निष्कर्ष से सहमत नहीं हो सकता।
हाई कोर्ट ने कहा, आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध को साबित करने के लिए, धारा 306 आइपीसी (धारा 108 बीएनएस) के तहत, आत्महत्या के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उकसाने या साजिश का प्रमाण होना चाहिए। अपमान, उत्पीड़न या धमकी का केवल आरोप पर्याप्त नहीं है।

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