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    रिश्ते को मजबूत बनाने की पहल, भारत-बांग्लादेश परमाणु करार पर हस्ताक्षर

    By Lalit RaiEdited By:
    Updated: Sun, 15 May 2016 09:53 AM (IST)

    विश्व मंच पर अपनी आवाज को पुख्ता करने के लिए भारत पूरजोर कोशिश कर रहा है। इस कड़ी में भारत ने बांग्लादेश के साथ परमाणु करार पर समझौता किया है।

    नई दिल्ली। पडो़सी मुल्कों के साथ बेहतर संबंध भारत सरकार की पहली प्राथमिकता है। इस कड़ी में सरकार ने बांग्लादेश के साथ परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। बांग्लादेश के साथ इस समझौते को दक्षिण एशिया क्षेत्र में भारत की अहम कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पडो़सी मुल्कों के साथ अच्छे संबंध बना कर ही भारत विश्व स्तर पर दक्षिण एशिया की नुमांइदगी कर सकता है।

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    पिछले कई महीनों की बातचीत के बाद दोनों देशों ने परमाणु समझौते को एक पैकेज का शक्ल दिया है। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक ये महज एक शुरुआत है। दोनों देशों को अभी बहुत आगे जाना है। पालताना से बांग्लादेश के लिए 100 मेगावाट ट्रांसमिशन लाइन का उद्घाटन किया गया है। जिसे अपग्रेड कर 500 मेगावाट किए जाने की योजना है। वहीं भारत ने बांग्लादेश को पश्चिम बंगाल से डीजल मुहैया कराने का आश्वासन दिया है।

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    भारत, उत्तर पूर्वी राज्यों में एलपीजी और एलएनजी की अबाध आपूर्ति के लिए बांग्लादेश के जरिए रास्ता चाहता है। भारत ने इसके बदले में एलपीजी और एलएनजी में हिस्सा देने की पेशकश भी की है। इसके अलावा भारत ने बांग्लादेश से कहा है कि वो उत्तरपूर्वी राज्यों में पावर हाउस बनाना चाहते हैं जिसके लिए ट्रांसमिशन लाइन बांग्लादेश से होकर गुजरेगी। इसके बदले में भारत सरकार बांग्लादेश को पावर सेक्टर में हिस्सेदार बनाएगी।

    बांग्लादेश में पावर प्लांट स्थापित करने के लिए चार भारतीय कंपनियों भेल, रिलायंस, शपूर जी पलोन जी और अडानी ने बिड में हिस्सा लिया है। बांग्लादेश में रूस की मदद से लगने वाले पहले न्यूक्लियर पावर प्लांट के भारत सरकार तकनीकि मदद मुहैया कराएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट के सफल कार्यान्यवन के बाद समुद्री मामलों के सुलझने की उम्मीद बढ़ गई है।

    भारत सरकार बांग्लादेश के रास्ते रेल सेवा को भी विस्तार देने की तैयारी कर रही है। अखौरा-अगरतला, खुलना दर्शाना और पार्वतीपुर-कवनिया रेलवे लाइन पर ट्रेन चलाने की योजना सरकार की प्राथमिकता सूची में है। 1965 में भारत-पाक युद्ध के बाद पाकिस्तान ने इन रेल लाइंस पर ट्रेनों के संचालन को रोक दिया था।

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