India China Border News: 15 जून की घटना ने याद दिला दी 1967 की नाथुला दर्रे की घटना
पूर्व सेनाध्यक्ष का कहना है कि 15 जून की घटना के बाद भारत चीन सीमा पर तनाव है। इस घटना ने नाथूला दर्रे पर लड़ी गई लड़ाई की याद दिला दी।
नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा पर मौजूदा स्थिति ठीक नहीं है। मौजूदा हालात में फॉर्मल बातचीत होनी चाहिए थी। जिस तरह से दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई, उससे बचा जाना चाहिए था। ऐसे हालात में बातचीत बड़े फॉर्मल और सुलझे तरीके से होनी चाहिए थी। लद्दाख में 45 साल के बाद यह पहला मौका है, जब कोई झड़प सामने आई है और जवान शहीद हुए हैं। दोनों देशों के बीच पिछले 45 साल में हुई यह सबसे गंभीर घटना है। इस घटना ने सितंबर 1967 की नाथुला दर्रे की घटना की याद दिला दी, उस समय मुझे मोर्चे पर भेजा गया था।
सितंबर 1967 को नाथुला में भारत और चीन के सैनिकों के बीच टकराव हुआ था। इसकी वजह चीन का भारतीय सीमा में गड्ढा खोदना था, भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों से ऐसा न करने के लिए कहा था। इस दौरान हुए हिंसक संघर्ष में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी।
15 जून को भारत-चीन सैनिकों के बीच झड़प में शहीद होने वाले भारतीय सैनिकों को नमन करता हूं और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूंं। भारत और चीन के बीच गतिरोध के समाधान के लिए कूटनीति और सैन्य स्तर पर बातचीत का दौर जारी है, लेकिन इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि ग्राउंड लेवल पर तनाव व्याप्त है। दोनों देशों के सैनिक एक-दूसरे के आमने सामने हैं। चीन नहीं चाहता है कि भारत घाटी के आसपास निर्माण कार्य करें। बातचीत के बीच इस तरह की घटना हैरान कर देने वाली है।
इस तरह की घटना गलवन घाटी में पहले कभी नहीं देखी गई थी। दोनों देशों के बीच असहमति से इस घटना का रूप ले लिया। मैं नहीं चाहता कि ऐसी घटना फिर से सामने आए। सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिए तनाव कम करने के उपाय हों। सैन्य स्तर पर बातचीत की अपनी सीमाएं हैं, ऐसे में कूटनीतिक स्तर पर बातचीत के जरिये हालात सुधारने की कोशिश होनी चाहिए।
(वरिष्ठ संवाददाता राजेश मलकानियां से बातचीत पर आधारित)
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