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    'भारत हमेशा आपके साथ खड़ा है... मैं महाकुंभ का जल लाया हूं', मॉरीशस में और क्या-क्या बोले पीएम मोदी

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मॉरीशस में भारतीय प्रवासियों को संबोधित किया। उन्होंने 10 साल पहले अपनी मॉरीशस यात्रा को भी याद किया। पीएम मोदी ने कहा कि भारत में रंगों के त्योहार होली में सिर्फ तीन दिन बचे हैं। ऐसे में पीएम ने कहा कि वे होली के रंगों को अपने साथ भारत लेकर जाएंगे। मैं 10 साल पहले इसी दिन मॉरीशस आया था।

    By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 11 Mar 2025 09:51 PM (IST)
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    मॉरीशस से पीएम मोदी का संबोधन। ( फोटो- BJP )

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दो दिवसीय यात्रा पर मॉरीशस पहुंचे पीएम मोदी ने कहा कि भारत और मॉरीशस के बीच रिश्ते काफी गहरे हैं। भारत हमेशा मॉरीशस के साथ खड़ा है। मॉरीशस के संकट के समय भारत पहला साथी है। रक्षा क्षेत्र में दोनों देश साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

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    भारत और मॉरीशस भविष्य की संभावनाओं से जुड़े हैं। पीएम मोदी ने भारत में जल्द गिरमिटिया कॉन्फ्रेंस आयोजित करने का एलान किया। उन्होंने कहा कि इससे जुड़े आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। 

    मॉरीशस देगा सर्वोच्च नागरिक सम्मान

    पीएम मोदी ने कहा कि मॉरीशस के लोगों और यहां की सरकार ने मुझे अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने का फैसला लिया है। मैं आपके निर्णय को विनम्रता से स्वीकार करता हूं। ये भारत और मॉरीशस के ऐतिहासिक रिश्तों का सम्मान है। पीएम ने कहा कि मैं जब मॉरीशस आता हूं तो ऐसा लगता है कि अपनों के बीच ही तो आया हूं। यहां की हवा, मिट्टी और पानी में अपनेपन का एहसास है।

    मॉरीशस परिवार जैसा

    संकट के समय में भारत हमेशा मॉरीशस के साथ खड़ा रहा है। कोविड-19 के दौरान भारत एक लाख वैक्सीन और जरूरी दवाइयां पहुंचाने वाला पहला देश था। पीएम ने कहा कि मॉरीशस हमारे लिए एक परिवार जैसा है।

    विजन सागर के केंद्र में मॉरीशस

    पीएम ने कहा कि मॉरीशस सिर्फ एक साझेदार देश नहीं है। हमारे लिए मॉरीशस एक परिवार है। यह रिश्ता इतिहास, विरासत और मानवीय भावना में गहरा और मजबूत हुआ है। मॉरीशस भारत को व्यापक वैश्विक दक्षिण से जोड़ने वाला एक पुल है। एक दशक पहले 2015 में प्रधानमंत्री के तौर पर अपने पहले कार्यकाल में मैंने सागर विजन का एलान किया था। सागर का अर्थ क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास है। आज मॉरीशस इस विजन के केंद्र में है।

    पीएम ने किया बिहार का जिक्र

    पीएम मोदी ने कहा कि बिहार के साथ आपका भावुक संबंध भी मैं समझता हूं। दुनिया के अनेक हिस्से जब पढ़ाई-लिखाई से कोसों दूर थे, तब नालंदा जैसा ग्लोबल इंस्टीट्यूट बिहार में था। हमारी सरकार ने फिर से नालंदा यूनिवर्सिटी और नालंदा स्पिरिट को रिवाइव किया है। भारत में बिहार का मखाना आज बहुत चर्चा में है। आप देखेंगे कि वो दिन दूर नहीं जब बिहार का ये मखाना दुनिया भर में स्नैक्स मैन्यू का हिस्सा होगा।

    अपने साथ महाकुंभ का पवित्र जल लाया हूं

    अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि मैं जानता हूं कि मॉरीशस के अनेक परिवार अभी-अभी महाकुंभ से लौटे हैं। दुनिया को आश्चर्य हो रहा है कि मानव इतिहास का सबसे बड़ा समागम था और उसमें मॉरीशस के लोग भी आए थे। मगर मॉरीशस के मेरे अनेक परिवारजन चाहते हुए भी एकता के इस महाकुंभ में नहीं पहुंच सके।

    मुझे आपकी भावनाओं का ध्यान है। इसलिए मैं आपके लिए पवित्र संगम का और महाकुंभ के उसी समय का पवित्र जल साथ आया हूं। इस पवित्र जल को कल गंगा तालाब में अर्पित किया जाएगा।

    मॉरीशस के पीएम और उनकी पत्नी को ओसीआई कार्ड

    पीएम मोदी ने कहा कि मॉरीशस में प्रवासी भारतीयों की सातवीं पीढ़ी को ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड की पात्रता देने का फैसला किया गया है। मुझे मॉरीशस के राष्ट्रपति और उनकी पत्नी को ओसीआई कार्ड देने का सौभाग्य मिला। इसी तरह मुझे मॉरीशस के प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी को भी यही सम्मान देने में खुशी हो रही है।

    मॉरीशस में मना राम मंदिर का जश्न

    पीएम मोदी ने मॉरीशस में राम मंदिर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ। हमारा 500 साल का इंतजार खत्म हुआ तो भारत जैसा उत्सव मॉरीशस में भी देखने को मिला। तब आपकी भावनाओं को समझते हुए मॉरीशस ने आधे दिन की छुट्टी भी घोषित की थी। भारत और मॉरीशस के बीच आस्था का ये संबंध हमारी मित्रता का बहुत बड़ा आधार है।

    27 साल पुरानी यात्रा को किया याद

    पीएम मोदी ने कहा कि साल 1998 में अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन के लिए मुझे यहां आने का अवसर मिला था। तब मैं किसी सरकारी पद पर भी नहीं था। एक सामान्य कार्यकर्ता के रुपये से यहां आया था। संयोग देखिए कि नवीन जी उस समय भी प्रधानमंत्री थे। अब जब मैं प्रधानमंत्री बना तो नवीन जी मेरे शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने दिल्ली आए थे। प्रभु राम और रामायण के प्रति जो आस्था और भावना मैंने सालों पहले महसूस की थी... वह आज भी अनुभव करता हूं।

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