विशेष जरूरत वाले बच्चों को गोद लेने के लिए नहीं उमड़ रही ममता, रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा
देश में गोद लेने का इंतजार कर रहे बच्चों में से दो तिहाई विशेष जरूरतमंद श्रेणी में हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 2024 में 3684 बच्चों को गोद लेने के लिए अधिकृत किया गया जिनमें से 1423 विशेष जरूरतमंद थे। इन बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया जटिल है और जागरूकता अभियानों के बावजूद इनकी संख्या कम है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में गोद लिए जाने का इंतजार कर रहे बच्चों में दो तिहाई विशेष जरूरतमंद श्रेणी में आते हैं और हर साल ऐसे बच्चों को गोद लेने की संख्या लगातार बढ़ने के बावजूद इनको गोद देने की प्रक्रिया काफी जटिल बनी हुई है और इसे पूरा करने में काफी समय लगता है।
केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण विकास मंत्रालय की हालिया वार्षिक रिपोर्ट में सामने आया है कि 2024 में 3684 बच्चों को गोद लेने के लिए कानूनी रूप से अधिकृत किया गया था और 2177 बच्चों को सेंट्रल एडाप्शन रिसोर्स अथारिटी (सीएआरए) के माध्यम से गोद दिए जाने के लिए उपलब्ध थे। इन 2177 बच्चों में से 1423 यानी 65 प्रतिशत बच्चे विशेष जरूरतमंद श्रेणी में शामिल थे।
RTI से सवाल का मिला जवाब
आरटीआइ के माध्यम से पूछे गए सवाल के जवाब में पता चला कि विशेष जरूरतमंद श्रेणी में आनेवाले बच्चों को गोद देने के लिए किए गए तमाम प्रयासों और जागरूकता अभियानों के बावजूद इनके लिए आगे आनेवाले लोगों की संख्या बेहद कम है। 2018-19 में ऐसे बच्चों को सबसे ज्यादा स्वीकार किया गया और तब ये आंकड़ा 401 जा पहुंचा था।
उसके बाद के वर्षों में ये संख्या तेजी से गिरकर सालाना 166 (2019-20), 300 (2020-21) और 370 (2021-22) रह गई। 2024-25 में जरूरतमंद श्रेणी के बच्चों को गोद लेने की संख्या 328 रही। इसमें अन्य लिंग श्रेणी के भी बच्चे शामिल रहे। 2014 के बाद ऐसा पहली बार हुआ।
रिपोर्ट आई सामने
रिपोर्ट के मुताबिक 2024-25 में समूचे गोद लेने के इकोसिस्टम में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखने को मिली और इस दौरान 4515 बच्चे गोद लिए गए। 2015-16 के बाद से ये आंकड़ा सबसे ज्यादा है। 4266 गोद लिए गए बच्चों में 3802 बच्चों को देश में, जबकि 464 बच्चे विदेश में गोद लिए गए।
इनमें 3074 अनाथ, परित्यक्त या आत्मसमर्पण किए गए बच्चे शामिल थे, 425 बच्चों को उनके रिश्तेदारों ने गोद लिया, 215 बच्चों को सौतेले माता-पिता ने स्वीकार किया, जबकि 29 बच्चे फोस्टर केयर की देखरेख में गोद दिए गए। अंतर-देशीय गोद प्रक्रिया के तहत 93 बच्चों को ओवरसीज सिटिजंस आफ इंडिया के जरिये गोद दिया गया, 59 बच्चों को एनआरआइ ने गोद लिया और 306 बच्चों को विदेशी नागरिकों ने स्वीकार किया।
कितने नए पंजीकरण हुए
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हुआ असर 2023 के आखिर में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सीएआरए ने जुलाई 2024 में एक पहचान प्रकोष्ठ बनाया ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआइ) में रहनेवाले सभी बच्चे केयरिंग पोर्टल पर पंजीकृत हों।
इसके चलते पिछले साल 11372 नए पंजीकरण हुए, जिनमें 31 दिसंबर 2024 तक 13712 बच्चों को पांच श्रेणियों, अनाथ, परित्यक्त, आत्मसमर्पित, मुलाकात रहित और अयोग्य अभिभावक/माता-पिता, में सूचीबद्ध किया गया। इस इकोसिस्टम को समर्थन देने के लिए विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसियों की संख्या 588 जिलों में 495 से बढ़कर 698 हो गई।
बाल कल्याण समितियों की संख्या 480 से बढ़कर 665 हो गई और जिला बाल रक्षा इकाइयों की संख्या 756 दर्ज की गई। एक तरफ जहां ये संख्या बढ़ी है, वहीं सीसीआइ की संख्या 6150 से घटकर 5192 हो गई। इसके पीछे इनके बंद होने और डाटा सफाई में संख्या घटने की बात कही गई। सीएआरए के जागरूकता अभियान के चलते 2024 में 364 विशेष जरूरतमंद बच्चों को गोद लेने लिए आरक्षित किया गया।
कब कितने बच्चे लिए गए गोद
वर्ष बच्चे
2018-19 401
2019-20 166
2020-21 300
2021-22 370
2023-24 328
2024-25 4515
बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया क्या है
भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया में सबसे पहले सेंट्रल एडाप्शन रिसोर्स अथारिटी (सीएआरए) की वेबसाइट पर पंजीकरण करना होता है। इसके बाद, गोद लेने के इच्छुक माता-पिता के लिए एक घरेलू अध्ययन (होम स्टडी) किया जाता है। फिर, सीएआरए के माध्यम से बच्चे का प्रोफ़ाइल दिया जाता है और माता-पिता बच्चे को चुन सकते हैं। अंत में, जिलाधिकारी गोद लेने का आदेश जारी करते हैं और गोद लेने के बाद बच्चे का नया जन्म प्रमाणपत्र जारी किया जाता है।
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