जब मॉरीशस में फंस गया था भारतीय वायुसेना का एयरक्राफ्ट, 22 दिन में Airforce ने दिखा दी थी दुनिया को 'ताकत'
तिरुवनंतपुरम में फंसे ब्रिटिश एफ-35बी लड़ाकू विमान की मरम्मत के बाद वापसी ने भारतीय वायुसेना को 20 साल पहले मिराज-2000 लड़ाकू विमान के मॉरीशस में फंसने की याद दिला दी। वायुसेना ने साहसिक अभियान चलाकर विमान को वापस लाया था। इंजीनियरों ने कम समय में विमान को उड़ान भरने लायक बनाया।

पीटीआई, नई दिल्ली। तिरुअनंतपुरम में फंसे ब्रिटेन के एफ-35बी लड़ाकू विमान की मरम्मत के बाद वापसी की घटना ने भारतीय वायुसेना के सामने दो दशक पहले आई एक ऐसी ही समस्या की यादें ताजा कर दीं। उस समय एक मिराज-2000 लड़ाकू विमान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था और 22 दिनों तक मॉरीशस में फंसा रहा।
हालांकि, वायुसेना ने एक साहसिक अभियान के जरिए उस लड़ाकू विमान को भारत वापस लाया। संयोग से वायुसेना का वह लड़ाकू विमान भी तिरुअनंतपुरम में ही उतरा था। विमान को वापस लाने का यह मिशन भारतीय विमानन इतिहास में भारतीय वायुसेना के इंजीनियरों के पायलटिंग कौशल, साहस और तकनीकी कुशलता के सबसे अच्छे प्रदर्शनों में से एक के रूप में दर्ज होगा।
एयरफोर्स के इंजीनियरों का कमाल
भारतीय वायुसेना के इंजीनियरों ने मॉरीशस में बेली लैंडिंग (विमान को बिना लैंडिंग गियर खोले या बिना पूरी तरह से खोले हुए जमीन पर उतारना) के कारण हुए व्यापक नुकसान के बाद भी विमान को कम समय में उड़ान भरने लायक बना दिया था। इसने पायलट, स्क्वाड्रन लीडर जसप्रीत सिंह के साहस और योजना कौशल को भी उजागर किया, जिन्होंने खतरनाक मौसम का सामना करते हुए मरम्मत किए गए मिराज को वापस लाने के लिए हवा में तीन बार ईंधन भरा।
उन्होंने 26 अक्टूबर, 2004 को हिंद महासागर के ऊपर पांच घंटे और 10 मिनट तक बिना रुके उड़ान भरी, जहां रास्ते में कोई भी खराबी भीषण आपदा का कारण बन सकती थी। भारतीय वायुसेना से 2018 में सेवानिवृत्त हुए जसप्रीत ने बताया, 'मुझे वह दिन इतनी अच्छी तरह याद है जैसे कल की ही बात हो।'
हिंद महासागर पर 5 घंटे उड़ा विमान
- उन्होंने कहा कि मुझे महासागर के पार इस जोखिम भरी उड़ान को लेकर पूरा विश्वास था क्योंकि मुझे असाधारण तकनीकी कर्मियों की टीम पर पूरा भरोसा था जिन्होंने विमान की मरम्मत के लिए दो हफ्तों से ज्यादा समय तक बिना रुके काम किया था।
- फ्रांस निर्मित 'मिराज-2000' चार अक्टूबर को एक 'एयर शो' में भाग लेने के बाद पोर्ट लुई के सर शिवसागर-रामगुलाम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस लैंडिंग से विमान को खासकर उसके अंडरबेली सहायक ईंधन टैंक, एयरफ्रेम, एवियोनिक्स और कॉकपिट इंस्ट्रूमेंटेशन को काफी नुकसान पहुंचा था।
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