संदीप राजवाड़े। अहमदाबाद।

देश में सबसे ज्यादा अमीर और बड़े बिजनेसमैन ही नहीं, सबसे ज्यादा रक्तदान करने में भी गुजरात का नाम शीर्ष 5 राज्यों में आता है। लेकिन यह बात कम लोग ही जानते हैं कि सौ बार से ज्यादा रक्तदान करने वाले गुजरात में सबसे अधिक हैं। वर्तमान में यहां 225 शतकधारी रक्तदाता हैं। इतना ही नहीं, देश में सबसे अधिक 248 बार रक्तदान करने वाले शख्स हरीशभाई पटेल यहीं के हैं। 100 बार से ज्यादा रक्तदान करने वाली केतकीबेन शाह नाम की महिला भी यहीं की हैं। भारत में सबसे ज्यादा ब्लड डोनेशन करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बाद गुजरात चौथे स्थान पर है। यहां हर साल करीब 8 लाख यूनिट ब्लड डोनेट किया जाता है।

यहां जन्मदिन और सालगिरह से लेकर हर तरह के पारिवारिक और धार्मिक कार्यक्रम में रक्तदान की परंपरा बनती जा रही है। रेडक्रॉस सोसायटी की गुजरात ईकाई के चैयरमेन प्रकाश परमार बताते हैं कि कोरोना के बाद भी यहां हर साल 8 लाख यूनिट ब्लड डोनेट हो रहा है। राज्य में हर साल 50 हजार से ऊपर ब्लड डोनेशन कैंप लगते हैं। आज यहां 5 लाख से ज्यादा नियमित वॉलंटियर ब्लड डोनर हैं। परमार बताते हैं कि यहां अनेक परिवारों में रक्तदान की परंपरा चलती आ रही है।

यूपी, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल के साथ गुजरात टॉप पर

फेडरेशन ऑफ ब्लड डोनर ऑर्गेनाइजेशंस ऑफ इंडिया के महासचिव कोलकाता के अपूर्व घोष ने बताया कि देश में चार-पांच राज्य ऐसे हैं, जो रक्तदान में हर साल आगे रहते हैं। लेकिन आबादी के लिहाज से देखें तो गुजरात काफी आगे नजर आता है। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नॉको) की डेटा के अनुसार 23 करोड़ आबादी वाले उत्तर प्रदेश में 2020-21 में 11.75 लाख यूनिट, 12 करोड़ आबादी वाले महाराष्ट्र में 10.55 लाख यूनिट और 9.7 करोड़ आबादी वाले पश्चिम बंगाल में 9.92 लाख यूनिट ब्लड डोनेशन हुआ। गुजरात की जनसंख्या साढ़े 6 करोड़ के आसपास है, लेकिन यहां 7.84 लाख यूनिट ब्लड डोनेट किया गया। गुजरात में नए रक्तदाताओं की संख्या तो बढ़ ही रही है, वहां नियमित वॉलंटियर भी ज्यादा हैं। इसके अलावा तमिलनाडू भी रक्तदान में टॉप 5 में है।

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248 बार रक्तदान करने वाले हरीशभाई

अहमदाबाद के 55 साल के हरीशभाई पटेल ने अपना पूरा जीवन रक्तदान के नाम समर्पित कर दिया है। उन्हें देश में रक्तदान के ब्रांड एंबेसडर के नाम से भी जाना जाता है। हरीशभाई अब तक रिकॉर्ड 248 बार रक्तदान कर चुके हैं। पिछले 35 साल से हर रविवार अहमदाबाद में नियमित तौर पर ब्लड डोनेशन कैंप लगाते हैं। अपने घर में भी 36 साल से हर तीन महीने में कैंप लगाकर करीब 100 यूनिट ब्लड कलेक्ट करते हैं।

हरीशभाई बताते हैं, “इस पहल की शुरुआत 1985 में हुई थी। थैलीसीमिया मरीजों की जान बचाने के लिए खून की जरूरत पड़ती थी, लेकिन लोग रक्तदान करने से डरते थे। तब मैं 18 साल का था और स्कूल से पढ़ाई करके निकला था। मैं सत्यसाईं सेवा संगठन से जुड़ा था। संगठन की तरफ से लोगों को जागरूक किया जा रहा था कि युवा रक्तदान के लिए सामने आएं, ताकि थैलीसीमिया मरीजों की जिंदगी बचाई जा सके। इससे प्रेरित होकर मैंने कुछ साथियों के साथ मिलकर कैंप का आयोजन किया। पहली बार 40 यूनिट ब्लड कलेक्ट हुआ। उस समय शुरू हुआ सिलसिला अब तक जारी है।” घर पर हर तीन महीने में आयोजित होने वाले कैंप में परिवार के सदस्यों के अलावा कॉलोनी निवासी और रिश्तेदार-दोस्त शामिल होते हैं। हरीशभाई अब तक 1700 कैंप आयोजित करके 60 हजार से ज्यादा यूनिट ब्लड इकट्ठा कर जरूरतमंदों को उपलब्ध करा चुके हैं।

हरीशभाई ही नहीं, इनका पूरा परिवार रक्तदान को लेकर समर्पित है। पत्नी अनी पटेल ने अब तक 58 बार, बेटे डॉ कन्हाई पटेल ने 41 बार और बेटी ने दो बार ब्लड डोनेट किया है। प्रदेश में 100 बार से ज्यादा बार ब्लड डोनेट करने वालों में इनके परिवार के ही 8 लोग शामिल हैं। उन्होंने बताया कि युवाओं को जोड़ने के लिए ‘25 प्लस’ क्लब बनाया गया है। इसका उद्देश्य यह है कि 18 से 25 साल तक के दौरान युवा 25 बार रक्तदान कर ले। उन्होंने दिव्यांग ब्लड डोनर क्लब भी बनाया है, जिसमें 22 सदस्य हैं। इस क्लब का मकसद यह संदेश देना है कि जब दिव्यांग रक्तदान कर सकते हैं तो सामान्य लोग क्यों नहीं।

केमिकल के कारोबार से जुड़े हरीशभाई कहते हैं कि जब तक जीवन है, रक्तदान की पहल करता रहूंगा। वे हर तीन महीने में एक बार होल ब्लड और हर महीने सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) डोनेट करते हैं। उन्होंने गुजरात में सेंचुरियन ब्लड डोनर क्लब भी बनाया है।

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346 बार रक्तदान करने वाला शिरोया परिवार

डायमंड सिटी सूरत की चमक हीरे के साथ 37 साल से रक्तदान की पहल करने वाले डॉ. प्रफुल्ल शिरोया से भी है। वे खुद 176 बार रक्तदान कर चुके हैं। उनकी पत्नी और सूरत की पूर्व महापौर अस्मिता शिरोया 81 बार, बेटी डॉ कोमल 36 बार, बेटी डॉ पिंकल 28 बार और बेटा डॉ हरिकिशन 25 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। इस तरह शिरोया परिवार अब तक 346 यूनिट रक्तदान कर चुका है।

सूरत में अपना हॉस्पिटल चलाने वाले डॉ शिरोया ने बताया कि उनके रक्तदान पहल की शुरुआत 1985 में 18 साल की उम्र में हुई। मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वे रक्तदान की पहले से जुड़े और वह आज भी जारी है। हर तीन माह में सूरत में अलग-अलग जगहों पर ब्लड डोनेशन कैंप लगाते हैं। सूरत के अलावा उन्होंने आसपास के गांव-कस्बों के लोगों को भी इस पहल से जोड़कर रखा है। वहां भी नियमित तौर पर कैंप लगाते रहते हैं। अपनी शादी की सालगिरह पर 100 जोड़ों का क्लब बनाकर वे ब्लड डोनेट करा चुके हैं। 2018 में बड़ी बेटी डॉ कोमल की शादी के दौरान दूल्हा व दुल्हन दोनों के वजन के बराबर 178 यूनिट ब्लड एकत्र किया। पिता की शोक सभा में भी उन्होंने ब्लड कैंप लगाया।

डॉ. शिरोया का कहना है कि रक्तदान दूसरों की जिंदगी बचाने की सबसे बड़ी पहल है, इसे मैं हर तरह के कार्यक्रम व आयोजनों में शामिल करता हूं। हाल ही गणेशोत्सव के दौरान सूरत में अलग-अलग पंडाल में कैंप लगाकर 578 यूनिट बल्ड डोनेट कराया। आज सूरत में उनसे 10 हजार ब्लड डोनर वॉलंटियर जुड़े हुए हैं। 58 साल के डॉ शिरोया का कहना है कि जब तक वे ब्लड डोनेट कर सकते हैं, करेंगे क्योंकि जीवन बचाने का इससे बड़ा कोई माध्यम नहीं है।

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सरपोतदार भाइयों ने 224 बार किया ब्लड डोनेट

अहमदाबाद के 56 साल के समीर सरपोतदार 34 साल से रक्तदान मुहिम से जुड़े हैं। वे अब तक 130 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। इस मुहिम में उनके बड़े भाई सुधांशु सरपोतदार (59 वर्ष) व उनका परिवार भी अहम किरदार निभा रहा है। वे भी अब तक 94 बार रक्तदान कर चुके हैं। समीर बताते हैं, 1988 में रक्तदान को लेकर लोगों में डर था। 1988 में मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके निकला था। हमारे यहां एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था, लेकिन उस समय ज्यादातर युवा इसमें भाग नहीं लेते थे। मेरे सभी दोस्त मेडिकल फील्ड से थे, तो मैंने उस कैंप में भाग लिया और रक्तदान किया।

समीर बताते हैं, उन दिनों रमेश भाई पटेल नाम के एक बुजुर्ग रक्तदान की मुहिम चला रहे थे। उनसे प्रभावित होकर मैं भी जुड़ा। मैं एक्यूप्रेशर थैरेपी देने गांव-गांव जाता था, वहां लोगों से मेरी पहचान हो गई। धीरे-धीरे उन्हें रक्तदान अभियान में जोड़ना शुरू किया। करीब 15 साल तक अपने घर पर हर तीन माह में ब्लड डोनेशन कैंप लगाता था। मेरे साथ बड़े भाई के परिवार वाले भी रक्तदान करने लगे, उनकी पत्नी और बेटा 25-25 से ज्यादा बार रक्तदान कर चुके हैं। समीर अब हर महीने सिंगल डोनर प्लेटलेट्स देते हैं। वे कहीं भी रहें, जब भी किसी इमरजेंसी की सूचना मिलती है, वे ब्लड देने पहुंच जाते हैं।

17 सितंबर से देशभर रक्तदान अमृत महोत्सव

देशभर में 17 सितंबर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान से रक्तदान अमृत महोत्सव अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान में एक लाख यूनिट रक्तदान कराने का टारगेट लिया गया है। यह अभियान 17 सितंबर से 1 अक्टूबर राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस तक चलेगा। आरोग्य सेतु पोर्टल के माध्यम से रक्तदान करने वालों का पंजीयन किया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ सभी राज्यों को इसके लिए पत्र लिखकर अभियान में ज्यादा से ज्यादा भागीदारी को कहा गया है। पत्र में राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों, हेल्थ संगठनों, एनजीओ, ब्लड बैंकों के साथ अन्य सामाजिक संस्थानों को इसमें भाग लेने के लिए जानकारी देने व जोड़ने की बात कही गई है।

इसके अलावा अखिल भारत तेरापंथ युवक परिषद के 58वें स्थापना दिवस और भारत की आजादी के 75वें महोत्सव के तहत मेगा ब्लड डोनेशन ड्राइव चलाया जा रहा है। 17 सितंबर को देश के साथ विदेशों में भी 2000 से ज्यादा ब्लड डोनेशन कैंप लगाकर तीन लाख यूनिट ब्लड डोनेशन कराने का लक्ष्य रखा गया है। परिषद के राष्ट्रीय संयोजक हितेश भांडिया ने बताया कि इसे लेकर तैयारी की गई है, नियमित तौर पर रक्तदान करने के साथ देश-विदेश से नए ब्लड डोनर वॉलिंटियर को जोड़ा जा रहा है।

हर घर तिरंगा की तरह ‘हर घर रक्तदाता’ अभियान

फेडरेशन ऑफ ब्लड डोनर ऑर्गेनाइजेशंस ऑफ इंडिया के महासचिव कोलकाता के अपूर्व घोष का कहना है कि जिस तरह देश की आजादी की 75वीं सालगिरह पर ‘हर घर तिरंगा’ महोत्सव मनाया गया, उसी तरह हम 1 अक्टूबर से ‘हर घर एक रक्तदाता’ अभियान चलाने जा रहे हैं। गुजरात रेडक्रॉस के चैयरमैन प्रकाश परमार का कहना है कि यह अभियान गुजरात समेत पूरे देश में चलेगा। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर से देशभर में रक्तदान अमृत मोहत्सव अभियान चलाया जाएगा। अगर हर घर से एक व्यक्ति रक्तदान करने की ठान ले तो देश में कभी किसी जरूरतमंद मरीज को खून के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। गुजरात में जल्द ही 50 से ज्यादा बार रक्तदान करने वाली महिलाओं का क्लब बनने जा रहा है। इसका उद्देश्य महिलाओं को रक्तदान करने के लिए प्रेरित करना है।