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    पराली जलाने पर लगेगा भारी जुर्माना, जानिए क्या योजना बना रही सरकार?

    Updated: Wed, 18 Dec 2024 11:45 PM (IST)

    खुले में खेती से जुड़े अपशिष्ट जलाने पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। सरकार जुर्माना लगाने का अधिकार सफाई कर्मियों को देने की योजना बना रही है। नौ दिसंबर को जारी ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2024 के मसौदे के अनुसार यह सुनिश्चित करना स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी होगी कि कृषि अपशिष्ट जलाने की कोई घटना न हो और ऐसा करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाए।

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    पराली जलाने पर लगेगा भारी जुर्माना, जानिए क्या योजना बना रही सरकार (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। सरकार खुले में कृषि अपशिष्ट जलाने पर भारी जुर्माना लगाने और कचरे को अलग-अलग नहीं करने के लिए व्यक्तियों एवं प्रतिष्ठानों पर जुर्माना लगाने का अधिकार सफाई कर्मियों को देने की योजना बना रही है। साथ ही ग्रामीण इलाकों में कचरा प्रबंधन के तरीकों को सुधारने, मजबूत निगरानी व्यवस्था बनाने और लंबे समय से लगे कचरे के ढेरों से निपटने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

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    नौ दिसंबर को जारी ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2024 के मसौदे के अनुसार, यह सुनिश्चित करना स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी होगी कि कृषि या बागवानी अपशिष्ट जलाने की कोई घटना न हो और ऐसा करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाए। इस बारे में संबंधित लोगों से आपत्तियां एवं सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। ये नियम अगले वर्ष एक अक्टूबर से प्रभावी होंगे।

    वायु प्रदूषण को देखते हुए फैसला

    गौरतलब है कि सर्दियों के महीनों में एनसीआर में खराब वायु गुणवत्ता के मद्देनजर केंद्र सरकार ने पिछले महीने पराली जलाने वाले किसानों के लिए जुर्माने की राशि दोगुनी कर दी थी। दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को अब 2,500 रुपये के स्थान पर 5,000 रुपये पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति देनी होगी, जबकि दो से पांच एकड़ की जमीन वाले किसानों को पांच हजार के स्थान पर 10 हजार रुपये पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति देनी होगी। विभिन्न अध्ययनों का अनुमान है कि पराली जलाने के मौसम में एनसीआर के पीएम स्तर में इसके धुएं का 30 प्रतिशत तक योगदान होता है।

    लगेगा भारी जुर्माना

    विभिन्न प्रकार के कचरे को अलग-अलग नहीं करने के लिए सरकार सफाई कर्मचारियों को जुर्माना लगाने और कचरा एकत्र करने से इनकार करने का अधिकार देने की योजना भी बना रही है। मसौदा नियमों के अनुसार कचरे को चार श्रेणियों में बांटा गया है- गीला कचरा, सूखा कचरा, स्वच्छता से जुड़ा कचरा (डायपर्स एवं सैनिटरी नैपकिन इत्यादि) और विशेष ध्यान देने योग्य कचरा (खतरनाक सामग्री शामिल)। इसके विपरीत 2016 के नियमों में कचरे को तीन श्रेणियों में बांटा गया था- स्वत: नष्ट होने वाला कचरा (बायोडिग्रेडेबल), स्वत: नष्ट नहीं होने वाला कचरा (नान-बायोडिग्रेडेबल) और खतरनाक कचरा (हैजार्डस)।

    मसौदा नियमों के अनुसार, स्थानीय निकायों को डिजिटल ट्रै¨कग सिस्टम और जियो-टैग कचरा प्रबंधन सुविधाओं को भी अमल में लाना होगा। कचरा प्रबंधन के आंकड़े भेजने के लिए आनलाइन पोर्टल बनाने एवं उसके रखरखाव की जिम्मेदारी भी उन्हीं की होगी।

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