Gyanvapi Case: ASI इस तकनीक से सच का करेगी खुलासा, वजूखाने के सर्वे पर रोक क्यों? पढ़ें मामले की पूरी ABCD
What is case of Gyanvapi Case ज्ञानवापी केस में वाराणसी की जिला अदालत ने एएसआई को विवादित जगह को छोड़कर सर्वे की अनुमति दे दी थी। इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर 26 जुलाई शाम पांच बजे तक रोक लगा दी है। आज हम आपको यह बताएंगे कि अगर सुप्रीम कोर्ट इजाजत देता है तो एएसआई किस तकनीक के सहारे सच्चाई सामने लाएगा।
नई दिल्ली, महेन खन्ना। What is case of Gyanvapi Case वाराणसी की जिला अदालत ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी केस में एएसआई को सर्वे की अनुमति दे दी थी। इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने जिला अदालत के इस फैसले पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई शाम पांच बजे तक किसी भी तरह के एएसआई सर्वे पर रोक लगा दी है।
इससे पहले वाराणसी कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को विवादित जगह को छोड़कर पूरे परिसर की जांच की अनुमति दी थी।
एएसआई को वाराणसी कोर्ट द्वारा सर्वे की अनुमति मिलने के बाद सभी के दिमाग में था कि विभाग किस तकनीक के सहारे सच्चाई सामने लाएगा। आज हम इसको समझाते हुए पूरे मामले को बताएंगे।
Gyanvapi Case क्या है?
- ज्ञानवापी मामला (Gyanvapi Case) आज का नहीं, बल्कि 1991 का है। दरअसल, यह मामला राम मंदिर की तरह का है, जहां मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष आमने-सामने हैं।
- काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरोहितों के वंशजों ने साल 1991 में इस मामले को सामने लाया था। पंडित सोमनाथ व्यास, सामाजिक कार्यकर्ता हरिहर पांडे और संस्कृत प्रोफेसर डॉ. रामरंग शर्मा ने मामले को लेकर वाराणसी की जिला अदालत में एक याचिका डाली थी।
- तीनों ने दावा किया था काशी विश्वनाथ मंदिर के मूल परिसर को 2000 साल पहले राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था, लेकिन औरंगजेब ने इसे 16वीं शताबदी में तोड़कर इसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद बना दी। इसे बनाने के लिए भी मंदिर के अवशेषों का ही इस्तेमाल किया गया।
ज्ञानवापी मामला दोबारा क्यों चर्चा में...
- साल 2021 में अगस्त के महीने में ये केस दौबारा उस समय चर्चा में आया, जब पांच महिलाओं ने वाराणसी की सिविल कोर्ट में एक याचिका दर्ज की। उन्होंने ज्ञानवापी परिसर के साथ में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में पूरा और दर्शन करने की अनुमति मांगी।
- सिविल जज ने याचिका पर परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया। इसके बाद तीन दिन तक सर्वे हुआ।
- सर्वे होने के बाद हिंदू पक्ष ने वजूखाने में शिवलिंग होने का दावा किया तो वहीं मुस्लिम पक्ष ने उसे फव्वारा बताया।
- इसके बाद पांचों याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर की ASI जांच करवाने की मांग की, जिसपर कोर्ट ने शुक्रवार को उनके पक्ष में फैसला दिया।
ASI कैसे करेगा सर्वे?
वाराणसी कोर्ट ने पहले आदेश दिया था कि एएसआई की टीम ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस आदेश पर रोक लगा दी है। हालांकि, अगर सुप्रीम कोर्ट इजाजत देता है तो एएसआई ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार और आज के जमाने की अत्याधुनिक तकनीकों की मदद से यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि यहां इससे पहले क्या बना हुआ था।
टीम इस चीज का पता लगाने की कोशिश करेगी कि परिसर की नींव में क्या दबा है और वहां की कलाकृतियां कैसी है। एएसआई नींव की मिट्टी का रंग भी जांचती है। इसके बाद पूरी रिपोर्ट बनाकर सच का पर्दाफाश करती है।
वजूखाने का सर्वे क्यों नहीं?
ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष का सबसे बड़ा दावा यही था कि वजूखाने में मौजूद चीज शिवलिंग ही हैं। हालांकि मुस्लिम पक्ष ने अलग दावा किया। वाराणसी कोर्ट ने इस विवादित जगह की जांच एएसआई को इसलिए नहीं करने दी, क्योंकि ये मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस पूरे क्षेत्र को फिलहाल सील किया गया है।