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    G RAM G: 15 दिनों के भीतर काम नहीं मिला तो आवेदक स्वत: हो जाएगा भत्ते का हकदार 

    Updated: Sun, 28 Dec 2025 08:46 PM (IST)

    जी-रामजी अधिनियम ग्रामीण भारत में रोजगार की अनिश्चितता से जूझ रहे परिवारों के लिए एक बड़ा भरोसा बनकर उभरा है। यह कानून बेरोजगारी भत्ते को एक बाध्यकारी ...और पढ़ें

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    जी-रामजी में बेरोजगारों के लिए काम नहीं तो भत्ता की गारंटी। (पीटीआई)

    जागरण ब्यूरो,नई दिल्ली। ग्रामीण भारत में रोजगार की अनिश्चितता से जूझ रहे परिवारों के लिए विकसित भारत रोजगार और आजीविका के लिए गारंटी मिशन (ग्रामीण), यानी जी-रामजी अधिनियम बड़ा भरोसा बनकर सामने आया है। इसमें पहली बार बेरोजगारी भत्ते को केवल सरकारी सहायता नहीं, बल्कि स्पष्ट और बाध्यकारी अधिकार के रूप में परिभाषित किया गया है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि यदि सरकार समय पर काम नहीं दे पाती है तो उसे भत्ता देना ही होगा।

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    कानून के तहत किसी भी पात्र परिवार का वयस्क सदस्य जब योजना के अंतर्गत रोजगार की मांग करता है तो राज्य सरकार की जिम्मेदारी बन जाती है कि उसे समय पर काम उपलब्ध कराए।

    कानून में इसके लिए 15 दिनों की स्पष्ट समय-सीमा तय की गई है। यानी आवेदन मिलने की तारीख से या जिस तारीख से काम मांगा गया है, उसके 15 दिनों के भीतर यदि रोजगार नहीं मिलता है तो आवेदक स्वत: दैनिक बेरोजगारी भत्ते का हकदार हो जाता है। इस भत्ते का भुगतान राज्य सरकार को करना होगा और इसे टालने या रोकने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी गई है।

    भत्ते की दर तय करने का अधिकार भले ही राज्य सरकारों को दिया गया हो, लेकिन कानून ने इसमें मनमानी की संभावना खत्म कर दी है। अधिनियम में न्यूनतम सीमा साफ-साफ तय की गई है। वित्तीय वर्ष के पहले 30 दिनों के लिए बेरोजगारी भत्ता संबंधित क्षेत्र की निर्धारित मजदूरी दर के कम से कम एक-चौथाई से कम नहीं होगा। बाद की अवधि के लिए यह मजदूरी दर के आधा या उससे ज्यादा होना अनिवार्य है।

    कानून यह भी स्पष्ट करता है कि किन हालात में राज्य सरकार की बेरोजगारी भत्ता देने की जिम्मेदारी खत्म हो जाएगी। यदि ग्राम पंचायत या सक्षम प्राधिकारी आवेदक को काम पर रिपोर्ट करने का निर्देश देता है या उसके परिवार के किसी वयस्क सदस्य को रोजगार मिल जाता है तो उस अवधि के लिए भत्ता नहीं दिया जाएगा।

    इसी तरह यदि जिस अवधि के लिए रोजगार मांगा गया था वह समाप्त हो जाए या परिवार का कोई सदस्य प्रस्तावित काम स्वीकार करने से इन्कार कर दे तो बेरोजगारी भत्ता देय नहीं होगा।

    किसी वित्तीय वर्ष में यदि परिवार के वयस्क सदस्यों को कम से कम 125 दिन का रोजगार मिल चुका है तो उसके बाद बेरोजगारी भत्ते का दावा नहीं किया जा सकेगा। यहां तक कि यदि मजदूरी और बेरोजगारी भत्ता मिलाकर 125 दिन की मजदूरी के बराबर की राशि परिवार को मिल चुकी हो तब भी अतिरिक्त भत्ता नहीं दिया जाएगा।

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