Move to Jagran APP

PLI Scheme: सरकार ने पुराने मेडिकल उपकरणों के आयात को दी मंजूरी, पीएलआई स्कीम हो सकती है प्रभावित

पुराने नियम के मुताबिक तीन साल तक पुराने मेडिकल उपकरणों का आयात किया जा सकता था लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के नए नोटिफिकेशन के बाद अब तीन साल की शर्त समाप्त कर दी गई है और कितने भी वर्ष पुराने हो चुके उपकरण का आयात किया जा सकेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में चल रही PLI Scheme के प्रभावित होने की आशंका है।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraPublished: Wed, 21 Jun 2023 08:54 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jun 2023 08:54 PM (IST)
मेडिकल जांच को लेकर भी उठ सकते हैं सवाल।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। घरेलू स्तर पर मेडिकल उपकरणों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने तीन साल पहले प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम की घोषणा की थी। लेकिन अब इस स्कीम के प्रभावित होने की आशंका जताई जाने लगी है। क्योंकि सरकार ने सीटी स्कैन, एमआरआई, एक्स-रे, अल्ट्रा साउंड जैसे 50 प्रकार के कई साल पुराने उपकरणों के आयात की इजाजत दे दी है।

loksabha election banner

मेडिकल उपकरण निर्माताओं का कहना है कि कई साल पुराने उपकरणों की कीमत नए उपकरणों की तुलना में काफी कम होगी। अस्पताल प्रबंधन पुराने उपकरणों के इस्तेमाल को प्राथमिकता देंगे। पुराने उपकरणों से होने वाली मेडिकल जांच पर भी घरेलू मेडिकल उपकरण निर्माता सवाल खड़े कर रहे हैं।

मेडिकल उपकरण निर्माताओं के मुताबिक पुरानी मशीनों से की जाने वाली मेडिकल जांच पर अस्पताल प्रबंधन मरीजों को शुल्क में कोई छूट नहीं देते हैं। फिर उन्हें पुरानी मशीनों के आयात की इजाजत क्यों दी जा रही है।

देश में  80 फीसद मेडिकल उपकरण किये जाते है आयात

एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डेवाइस इंडस्ट्री के मुताबिक पुराने नियम के मुताबिक तीन साल तक पुराने मेडिकल उपकरणों का आयात किया जा सकता था। स्वास्थ्य मंत्रालय के नए नोटिफिकेशन के बाद अब तीन साल की शर्त समाप्त कर दी गई है और कितने भी वर्ष पुराने हो चुके उपकरण का आयात किया जा सकेगा। एसोसिएशन के संयोजक राजीव नाथ ने बताया कि सरकार ने पुराने स्मार्टफोन के आयात की इजाजत नहीं दी, तभी पीएलआई स्कीम के तहत मोबाइल फोन का इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन व निर्यात संभव हो सका।

राजीव नाथ ने बताया कि प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पुराने उपकरणों के आयात पर रोक लगाने की गुजारिश की गई है। घरेलू स्तर पर इस्तेमाल होने वाले 80 फीसद मेडिकल उपकरण आयातित होते हैं और इस निर्भरता को समाप्त करने के लिए ही मेडिकल उपकरण के लिए पीएलआई स्कीम की घोषणा की गई थी। हर साल मेडिकल उपकरण आयात का बिल बढ़ता जा रहा है।

सरकार ने 3420 करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी

पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने 61,179 करोड़ रुपए के मूल्य के मेडिकल उपकरणों का आयात किया था। वर्ष 2020 में सरकार ने मेडिकल उपकरणों के निर्माण व उसके निर्यात में इंक्रिमेंटल बढ़ोतरी के लिए पीएलआई स्कीम के तहत अगले पांच सालों में 3420 करोड़ रुपए के इंसेंटिव देने की घोषणा की थी।

इस घोषणा के बाद जीई प्रिसिजन हेल्थकेयर व विप्रो मेडिकल ने सीटी स्कैन, कैथ लैब, अल्ट्रॉ सोनोग्राफिक जैसी मशीन घरेलू स्तर पर बनाने की घोषणा की है। सिमंस हेल्थकेयर व सेनट्रियंट फार्मास्युटिकल्स जैसी कंपनियां भी निवेश कर रही है। आयात होने वाले उपकरणों के बिल में 63 फीसद हिस्सेदारी मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की है। कुछ माह पहले सरकार की तरफ से नई मेडिकल डेवाइस नीति की भी घोषणा की गई है ताकि उत्पादन को प्रोत्साहन मिल सके।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.