एक साल में सोने ने दिया 35 प्रतिशत का रिटर्न, गोल्ड में जमकर निवेश कर रहे लोग; आगे रेट को लेकर क्या है उम्मीद?
ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने से समृद्धि बढ़ती है। हालांकि वैश्विक अनिश्चितता बढ़ने के कारण सोने की कीमतों में इजाफा जारी है। आज अक्षय तृतीया के दिन भी सोने की कीमतों में उछाल देखा गया है। पिछले छह सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो सोने की कीमतें तीन गुना से अधिक बढ़ी हैं।

आईएएनएस, नई दिल्ली। सोना खरीदने के लिए अक्षय तृतीया को सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन की गई खरीदारी समृद्धि को बढ़ाती है। बुधवार यानी आज अक्षय तृतीया का पर्व है और अगर सिर्फ निवेश को आधार मानें तो पिछली बार से लेकर अब तक सोने ने 35.78 प्रतिशत का रिटर्न दिया है।
यानी कि एक साल में सोने के दाम (पिछली अक्षय तृतीया से लेकर आज तक) 35 प्रतिशत बढ़ चुके हैं। ब्रोकरेज फर्म वेंचुरा के मुताबिक, '24 कैरेट सोने की कीमत 2024 में 73,240 रुपये प्रति 10 ग्राम से बढ़कर इस साल लगभग 99,450 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई हैं। पिछले छह सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो सोने की कीमतें तीन गुना से अधिक बढ़ी हैं।
क्यों बढ़ रही सोने की कीमतें?
2019 में अक्षय तृतीया पर 24 कैरेट सोने की कीमत 31,729 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। सोने की कीमतों में उछाल का मुख्य कारण वैश्विक अनिश्चितताओं का बढ़ना है, जिसने कई निवेशकों को सुरक्षित निवेश के रूप में बहुमूल्य पीली धातु की ओर रुख करने के लिए प्रेरित किया है। इस साल 22 अप्रैल को सोने की कीमतों ने ऐतिहासिक मील का पत्थर छुआ था, जब पहली बार यह पीली धातु 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम को पार कर गई थी।
अक्षय तृतीया के दिन दक्षिण क्षेत्र के लोग खूब खरीदते हैं सोना
वेंचुरा के मुताबिक, अक्षय तृतीया के दौरान सोने की सबसे अधिक मांग दक्षिण भारत से आती है। कुल बिक्री में इस क्षेत्र का योगदान लगभग 40 प्रतिशत होता है। पश्चिमी क्षेत्र लगभग 25 प्रतिशत, पूर्वी क्षेत्र का 20 प्रतिशत और उत्तरी क्षेत्र 10 प्रतिशत का योगदान देता है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि दक्षिण भारत में सबसे अधिक सोना अक्षय तृतीया को खरीदा जाता है। जबकि, उत्तर भारत में उपभोक्ता धनतेरस में सोना खरीदने को सबसे अधिक महत्व देते हैं। ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक, इस वर्ष सोने की ऊंची कीमतें बिक्री की मात्रा को प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन उद्योग के लिए कुल राजस्व पिछले वर्ष की तुलना में स्थिर रहने की उम्मीद है।
सोने की कीमतों में गिरावट की संभावना
इस साल अक्षय तृतीया और उसके बाद देश में सोने की मांग मजबूत रहने की उम्मीद है। हालांकि, कमोडिटी विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में तेज उछाल के बाद आने वाले महीनों में सोने की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है। जेम एंड ज्वेलरी काउंसिल आफ इंडिया (जीजेसी) के चेयरमैन राजेश रोकड़े ने एएनआई को बताया कि पिछले दो वर्षों में सोने ने 20-25 प्रतिशत का वार्षिक रिटर्न दिया है।
पिछले दो वर्षों में मजबूत रिटर्न के कारण लोग इसमें तेजी से निवेश कर रहे हैं। रोकड़े ने कहा कि भारत ने 2024 में 802 टन सोने का आयात किया, जबकि 2023 में यह 741 टन था। यह दर्शाता है कि मूल्य वृद्धि के बावजूद सोने की खपत सालाना बढ़ रही है।
पीएनजी ज्वैलर्स के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर सौरभ गाडगिल ने कहा,
'इस साल अक्षय तृतीया शादियों के मौसम के बीच पड़ रही है। हमें उम्मीद है कि इस दिन नई खरीदारी और डिलीवरी दोनों के लिए भारी भीड़ उमड़ेगी। सोने की बढ़ती कीमतों ने जड़ाऊ आभूषणों में उपभोक्ताओं की रुचि बढ़ा दी है।'
केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया ने कहा कि आने वाले सालों में सोने में निवेश में 6-7 प्रतिशत की मामूली वृद्धि देखने को मिलेगी। परिणामस्वरूप, सोने की कीमतें 86,000-87,000 रुपये के स्तर तक गिर सकती हैं।
कायनात चैनवाला, एवीपी (कमोडिटी रिसर्च), कोटक सिक्योरिटीज ने कहा,
व्यापार वार्ता और आगामी आर्थिक आंकड़ों को लेकर अनिश्चितता के चलते निकट भविष्य में सोने की कीमतें सीमित दायरे में रहने की संभावना है। अगर, धारणा में सुधार जारी रहा तो आगे भी गिरावट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन व्यापार तनाव में किसी भी तरह की वृद्धि से सोने की कीमतों को फिर से समर्थन मिल सकता है।
800 टन से अधिक रही सोने की मांग
जीरोधा फंड हाउस की एक रिपोर्ट के अनुसार, आभूषणों की खपत में वृद्धि और गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश बढ़ने से भारत की सोने की मांग 2024 में 800 टन से अधिक हो गई। 2024 में देश में सोने के आभूषणों की कुल खपत 563 टन रही।
2024 में 239 टन सोना लोगों ने खरीदा
दरअसल, भारतीय संस्कृति में सोने का महत्वपूर्ण स्थान है, खासकर शादियों और अन्य शुभ अवसरों के दौरान, जहां इसका व्यापक उपयोग होता है। आभूषणों के अलावा, भारतीय बार और सिक्कों के तौर पर भी सोने में निवेश कर रहे हैं। 2024 में लोगों ने बार और सिक्के के तौर पर 239 टन सोना खरीदा। यह 2023 की तुलना में 60 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है, जिससे भारत वैश्विक स्तर पर सोने के बार और सिक्कों में दूसरा सबसे बड़ा निवेशक बन गया है।
गोल्ड ईटीएफ में तेजी से रुचि दिखा रहे भारतीय निवेशक रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारतीय निवेशक गोल्ड ईटीएफ में तेजी से रुचि दिखा रहे हैं। पिछले पांच सालों में भारत में गोल्ड ईटीएफ की होल्डिंग 21 टन से बढ़कर 63 टन हो गई है।
सोने ने दिया शानदार रिटर्न
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत और वैश्विक स्तर पर गोल्ड-समर्थित ईटीएफ में मजबूत प्रवाह देखा गया है। 2025 की पहली तिमाही में, गोल्ड ईटीएफ में शुद्ध प्रवाह 21 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो 226 टन के बराबर है। यह 2020 की दूसरी तिमाही के बाद से सबसे अधिक है। एनएसई के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में सोने ने अन्य सभी परिसंपत्ति वर्गों से बेहतर प्रदर्शन किया, जिसने डॉलर के संदर्भ में 41 प्रतिशत का रिटन दिया है।
9-11 प्रतिशत कम रहेगी संगठित खुदरा विक्रेताओं की बिक्री
क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, सोने की कीमतों में लगातार वृद्धि के चलते चालू वित्त वर्ष 2025-2026 में संगठित स्वर्ण आभूषण खुदरा विक्रेताओं की बिक्री में 9-11 प्रतिशत की कमी आने की उम्मीद है। हालांकि, राजस्व में 13-15 प्रतिशत की वृद्धि होगी। वित्त वर्ष 2025 में, खुदरा विक्रेताओं को मात्रा में 4-5 प्रतिशत की गिरावट का सामना करना पड़ा, क्योंकि भू-राजनीतिक और आर्थिक चिंताओं के बीच सोने की कीमतें सालाना आधार पर 25 प्रतिशत बढ़ गईं।
अप्रैल 2025 के मध्य तक, सोने की कीमतें वित्त वर्ष 2025 में औसत कीमत से पहले ही 20 प्रतिशत अधिक हैं। इस प्रकार, भले ही कीमतें यहां से केवल 4-5 प्रतिशत ही बढ़ें, फिर भी वित्त वर्ष 2026 के लिए औसत कीमत 22-24 प्रतिशत सालाना होगी।
3,500 रुपये महंगी हुई चांदी
अक्षय तृतीया से एक दिन पहले चांदी की कीमतों में 3,500 रुपये का उछाल दर्ज किया गया और यह 1,02,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। इससे पहले 19 मार्च को चांदी की कीमतें 1,000 रुपये बढ़कर 1,03,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई थीं।
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