Mutual Fund क्या है और ये कैसे काम करता है; यहां पढ़ें इससे जुड़ी सभी डिटेल
What Are Mutual Funds म्यूचुअल फंड में आज हर कोई निवेश करना चाहता है इसका कारण इसमें मिलने वाला रिटर्न है। म्यूचुअल फंड में 12 से 14 फीसदी तक रिटर्न मिल जाता है। हालांकि ये रिटर्न अनुमानित है। जिसका मतलब है कि इसमें शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर होता है। आज हम जानेंगे कि म्यूचुअल फंड क्या है और ये कैसे काम करता है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। शेयर बाजार के नए निवेशक, म्यूचुअल फंड का चयन कर सकते हैं। क्योंकि इसमें डायरेक्ट शेयर बाजार में निवेश करने की तुलना में कम जोखिम होता है। इसका कारण है कि इसमें आपका पैसा मार्केट में म्यूचुअल फंड एजेंट या मैनेजर द्वारा लगाया जाता है।
इसमें इक्विटी के अलावा डेट और हाइब्रिड फंड में निवेश कर जोखिम कम किया जा सकता है। क्योंकि इसमें शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर कम होता है।
कैसे काम करता है म्यूचुअल फंड?
म्यूचुअल फंड के तहत निवेशक एनएवी (Net Asset Value) के जरिए निवेश करता है। चलिए पहले एनएवी को ही समझते हैं
एनएवी क्या है?
एनएवी म्यूचुअल फंड के यूनिट को दर्शाता है। ये बताता है कि निवेशक कितने रुपये पर किसी यूनिट को खरीद या बेच सकते हैं। एनएवी के बदले हमें फंड मिलते हैं। ये फंड पहले से ही Asset Management Company द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। ये फंड के थीम पर आधारित होते हैं। वहीं अगर निवेशक Flexi-Cap में निवेश कर रहा है, तो उसे फंड बदलने का भी मौका मिलता है।
शेयर बाजार में होने वाला उतार-चढ़ाव एनएवी की कीमत पर प्रभाव डालता है।
Asset Management Company क्या है?
ये कंपनी निवेशकों को एजेंट या मैनेजर प्रदान करता हैं। यहीं मैनेजर निवेशकों के लिए पोर्टफोलियो तैयार करते हैं। इसलिए आपको शेयर्स के चयन या पोर्टफोलियो तैयार करने का खतरा नहीं रहता। एक बेहतर पोर्टफोलियो वहीं है, जिसमें इक्विटी, डेट और हाइब्रिड तीनों ही मेल हो।
अगर आप खास तौर पर इक्विटी को लेकर पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं, तो इसमें तीनों तरह के फंड जैसे-
स्मॉल कैप, मिड कैप, लार्ज कैप तीनों को शामिल कर अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।
म्यूचुअल फंड में ज्यादातर निवेशक एसआईपी के जरिए ही निवेश करते हैं।
क्या है एसआईपी?
एसआईपी को सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान भी कहा जाता है। एसआईपी के जरिए आप निर्धारित समय अनुसार एक तय अमाउंट निवेश कर सकते हैं। वहीं जब चाहे निवेश रकम बढ़ाने और निवेश रोकने का विकल्प भी मिलता है। एसआईप के अलावा एसटीपी और एसडब्ल्यूपी के जरिए भी निवेश किया जा सकता है।
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