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    Lokpal chairperson: लोकपाल के नए अध्यक्ष नियुक्त किए गए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए एम खानविलकर

    By Agency Edited By: Nidhi Avinash
    Updated: Tue, 27 Feb 2024 07:28 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए एम खानविलकर लोकपाल के नए अध्यक्ष नियुक्त किए गए। बता दें कि खानविलकर लोकपाल के दूसरे अध्यक्ष होंगे जिन्हें भारत का लोकपाल कहा जाता है। मार्च 2000 में बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त खानविलकर ने सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत होने से पहले हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया।

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    सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए एम खानविलकर (Image: ANI)

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए एम खानविलकर लोकपाल के नए अध्यक्ष नियुक्त किए गए। बता दें कि खानविलकर लोकपाल के दूसरे अध्यक्ष होंगे, जिन्हें 'भारत का लोकपाल' कहा जाता है।

    पहले अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष थे, जिन्होंने मार्च 2019 से कार्यालय संभाला और मई 2022 में सेवानिवृत्त हुए। उल्लेखनीय है कि खानविलकर ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया हैं। 

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    इन सुनवाई में रहे शामिल

    तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की मुख्यपीठ जबलपुर में व्यापमं घोटाले के प्रकरणों की मैराथन सुनवाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अलावा समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने से लेकर एनजीओ की विदेशी फंडिंग के संबंध में नियम कड़े करने तक के कई प्रमुख निर्णयों का हिस्सा रहे।

    2022 में हुए सेवानिवृत्त

    खानविलकर मार्च 2000 में बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। इसके बाद उन्हें हिमाचल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद सौंपा गया। यह जिम्मेदारी संभालने के बाद वह 2013 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए। 2016 में सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त करने के 6 साल बाद वह 2022 में सेवानिवृत्त हो गए।

    बता दें कि 2018 में, वह एक अन्य संविधान पीठ के फैसले का हिस्सा रहे, जिसमें न्यायालय ने माना था कि गरिमा के साथ मरने का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का एक अभिन्न अंग है। लिहाजा, लाइलाज बीमारी के प्रकरण में मरीज को चिकित्सा कराने से मना करने की अनुमति दी जाती है।

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