कोरोना महामारी की वजह से राजकोषीय घाटे पर नहीं था फोकस, अब अगले पांच वर्षों के रोडमैप पर हो रहा विचार
राजकोषीय प्रबंधन के नये रोडमैप की घोषणा की तैयारी हो रही है। कोरोना महामारी की वजह से राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने पर फोकस नहीं था। अब अगले पांच वर्षों के रोडमैप पर विचार किया जा रहा है। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चालू वित्त वर्ष के दौरान तनाव से भरे वैश्विक अस्थिरता के बावजूद वित्त मंत्रालय अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य 6.4 फीसद को हासिल करने की स्थिति में है। सरकार के इस राजकोषीय प्रबंधन की तारीफ आरबीआइ ने भी अपनी एक नई रिपोर्ट में की है, लेकिन अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राजकोषीय प्रबंधन के नये रोडमैप को अंतिम रूप देने में जुटी हैं, जिसकी घोषणा आगामी बजट में की जाएगी।
राजकोषीय घाटे को 3.5 फीसद पर लाना मकसद
इसका मुख्य मकसद अगले पांच वर्षों के भीतर राजकोषीय घाटे को क्रमवार तरीके से घटाते हुए 3.5 फीसद पर लाना होगा। देश के उद्योग चैंबर व प्रमुख अर्थविद भी इसकी जरूरत वित्त मंत्री सीतारमण के साथ बजट पूर्व बैठकों में बता चुके हैं।
राजकोषीय संतुलन होनी चाहिए प्राथमिकता
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पानागढि़या ने दैनिक जागरण को दिए गए एक साक्षात्कार में बताया कि बजट 2023-24 में देश को फिर से राजकोषीय संतुलन के मार्ग पर लाना वित्त मंत्री की एक अहम प्राथमिकता होनी चाहिए। यह बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे देशी व विदेशी निवेशकों को एक बड़ा संदेश जाएगा कि भारत एक बड़ी चुनौती से सफलतापूर्वक पार पाते हुए अब अपने राजकोषीय स्थिति को भी बेहतर बनाने में सक्षम है। चालू वित्त वर्ष के दौरान जिस तरह से सरकार का राजस्व बढ़ा है, उसको देखते हुए भी यह संभव दिखता है।
पानागढ़िया ने अपनी तरफ से ऐसा कोई सुझाव नहीं दिया कि कितने वर्ष में सरकार को राजकोषीय घाटे को एक निर्धारित सीमा के अंदर लाने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि उनका कहना है कि इस बारे में अंतिम फैसला वित्त मंत्री व उनकी टीम को ही करनी चाहिए।
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दूसरी तरफ, सीआइआइ ने सरकार को जो बजट पूर्व सुझाव पत्र दिया है, उसमें आग्रह किया है कि मौजूदा वित्त वित्त वर्ष में 6.4 फीसद के राजकोषीय घाटे को वर्ष 2025-26 तक घटा कर 4.5 फीसद पर लाने का रोडमैप लाया जाना चाहिए, जबकि वित्त मंत्री के साथ बजट पूर्व बैठक में कुछ अर्थविदों ने राजकोषीय घाटे को पांच वर्षों के दौरान धीरे धीरे घटाते हुए 3.5 फीसद पर लाने का सुझाव दिया था।
राज्यों ने किया बेहतरीन प्रदर्शन
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत सरकार का राजकोषीय घाटा साल के लिए निर्धारित लक्ष्य का 37.3 फीसद रहा है। जबकि राज्यों का संयुक्त तौर पर राजकोषीय घाटा 29 फीसद है। पिछले नौ वर्षों में राजकोषीय घाटे को काबू में करने के मामले में यह राज्यों का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है।
आरबीआई ने की तारीफ
आरबीआइ की तरफ से जारी नई रिपोर्ट में केंद्र व राज्य के राजकोषीय घाटे की स्थिति को संतोषजनक बताया गया है। जिस तरह से कोरोना महामारी और यूक्रेन-रूस युद्ध के असर के बावजूद घाटे को बढ़ने नहीं दिया गया है उसकी तारीफ की है। आरबीआइ ने कहा है कि केंद्र सरकार को राजकोषीय संतुलन की प्रक्रिया को जारी रखनी चाहिए।

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