'भारत को रोकने की साजिश, डीप स्टेट एक्टिव'; अमेरिका-पाक संबंधों पर बोले पूर्व रॉ प्रमुख विक्रम सूद
रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख विक्रम सूद ने कहा कि अमेरिका-पाकिस्तान संबंध मजबूत हुए हैं क्योंकि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान युद्धविराम में डोनल्ड ट्रंप के दावे का खंडन किया। उन्होंने अमेरिका में एक डीप स्टेट की भूमिका पर जोर दिया जो भारत की आर्थिक प्रगति में बाधा बन रहा है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख विक्रम सूद ने कहा कि हाल ही में अमेरिका-पाकिस्तान संबंध मजबूत हुए हैं क्योंकि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान युद्धविराम में अपनी भूमिका के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के दावे का खंडन किया है।
रॉ के पूर्व प्रमुख ने अमेरिका में एक डीप स्टेट की भूमिका पर जोर दिया, जो भारत की आर्थिक प्रगति में बाधा बन रहा है। विक्रम सूद ने कहा, "यह (अमेरिका-पाकिस्तान संबंध) ट्रंप की निजी नाराजगी से शुरू हुआ, जब हमने उन्हें तथाकथित 'युद्धविराम' का श्रेय देने से इनकार कर दिया। पाकिस्तानी घुटनों के बल बैठ गए और बोले, 'शुक्रिया, मेरे प्रभु। आप नोबेल पुरस्कार के योग्य हैं।' डीप स्टेट यही तो कर रहा है। वे नहीं चाहते कि भारत आर्थिक रूप से तरक्की करे।"
'भारत की तरक्की से भयभीत हो रहा अमेरिका'
इसके अलावा उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत की आर्थिक वृद्धि से भयभीत है, क्योंकि भारत और चीन अब दो "बड़ी आर्थिक शक्तियां" हैं। उन्होंने कहा, "इसका कोई राष्ट्रवादी हित नहीं है क्योंकि जब भी हम राष्ट्रवाद की बात करते हैं, वे इसे हिंदू राष्ट्रवाद बना देते हैं। डर यह है कि चीन में एक बड़ी आर्थिक शक्ति है और भारत में एक और है। उन्होंने चीन से सबक सीख लिया है।"
विक्रम सूद की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब डोनल्ड ट्रंप ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर को रात्रिभोज पर आमंत्रित किया था। इससे पहले मंगलवार को ट्रंप ने एक बार फिर पाकिस्तानी नेतृत्व की प्रशंसा की और असीम मुनीर को "एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति" बताया।
डीप स्टेट को लेकर क्या बोले विक्रम सूद?
भारत के पड़ोसी देशों में डीप स्टेट और राजनीतिक अस्थिरता के बारे में पूछे जाने पर सूद ने कहा, "इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल तुर्की में हुआ था, जहां खुफिया, सैन्य और सेना प्रमुख एक कार दुर्घटना में मारे गए थे। उनके साथ ड्रग डीलर भी था, जिसके पास सारा पैसा, ड्रग्स और हथियार थे। यहां तात्पर्य यह है कि डीप स्टेट इसी तरह काम करता है। एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ सहयोग में।"
विक्रम सूद ने कहा, "समय के साथ इसका अर्थ बदल गया है और यह वे लोग हैं जो पर्दे के पीछे से तार खींचते हैं। इसमें वे सभी लोग शामिल हैं जो शक्तिशाली हैं, कॉर्पोरेट, सैन्य खुफिया।"
उन्होंने कहा, "उदाहरण के लिए, अमेरिका में केवल व्हाइट हाउस या कांग्रेस ही निर्णय नहीं लेती। यह वह कंपनी भी निर्णय लेती है जो किसी विशेष राज्य में हथियार बना रही है, जो अपने कांग्रेसी को अपनी जेब में रखती है और सरकार पर एक विशेष प्रकार की कार्रवाई के लिए दबाव डालती है, जिससे उन्हें हथियार बेचने की अनुमति मिलती है या अन्य मामलों में, इजरायल से कैसे निपटना है, पाकिस्तान से कैसे निपटना है, भारत से कैसे निपटना है। आपके पास बहुत शक्तिशाली थिंक टैंक हैं।"
(न्यूज एजेंसी एएनआई के इनपुट के साथ)
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