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    धरती के सबसे करीब मिला ब्‍लैकहोल, जानें- वैज्ञानिक इसकी खोज से क्‍यों हैं इतना खुश और परेशान

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Tue, 08 Nov 2022 07:23 PM (IST)

    वैज्ञानिक मानते हैं कि ब्‍लैकहोल अपने अंदर हर चीज को समाहित कर लेता है या निगल जाता है। लेकिन अब जो वैज्ञानिकों को पता चला है वो उनके लिए हैरान करने वाला है। Gaia BH1 ब्‍लैकहोल ऐसा ही कुछ कर रहा है।

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    Gaia BH1 black hole धरती के सबसे नजदीक मिला है।

    नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में बेहद नई चीज मिली है। ये है ब्‍लैकहोल। इसकी खासियत है कि ये अब तक खोजे गए ब्‍लैकहोल में सबसे करीब है। धरती के सबसे करीब मिले इस ब्‍लैकहोल से वैज्ञानिक खुशी में झूम रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी खोज ब्रह्मांड के नए रहस्‍यों को समझने में मददगार साबित होगी। वैज्ञानिक लगातार अपने टेलिस्‍कोप से अंतरिक्ष में आंख गड़ाए रहते हैं और हर बारीक चीज पर भी नजर रखने की कोशिश करते हैं। इसके बावजूद धरती के पास अब से पहले इस तरह का ब्‍लैकहोल कभी नहीं खोजा गया था।

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    धरती से इस ब्‍लैकहोल की दूरी 

    जानकारी के मुताबिक ये ब्‍लैकहोल पृथ्वी से 1,610 प्रकाश-वर्ष दूर है। यदि हम इसको संख्‍या की दृष्टि से देखेंगे तो ये हमारी सोच से कहीं अधिक होगी। ऐसा इसलिए क्‍योंकि एक प्रकाश वर्ष में लगभग 94.6 खरब किलोमीटर होते हैं। इस हिसाब से ये गणना हमारी सोच से कहीं आगे की होगी। लेकिन वैज्ञानिकों के लिए इस गणना से अधिक इसका मिलना खास है।

    पहले मिला ब्‍लैकहोल 3 हजार प्रकाश वर्ष की दूरी पर 

    अब से पहले वैज्ञानिकों ने जिस ब्‍लैकहोल की खोज की थी वो पृथ्‍वी से करीब 3,000 प्रकाश-वर्ष दूर था। ये मोनोसेरोस गैलेक्‍सी में था। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये हमारे सूर्य से करीब 10 गुना बड़ा है। इसका पता वैज्ञानिकों को तारों की गति से चला है। ये तारे इसका चक्‍कर लगाते हैं। ये तारे ब्‍लैकहोल से इतनी ही दूर हैं जितनी दूरी पर सूरज से धरती है।

    क्‍या कहते हैं वैज्ञानिक 

    हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फार एस्ट्रोफिजिक्स के मुताबिक इस ब्लैकहोल की खोज यूरोपीय स्पेस एजेंसी के Gaia स्‍पेस एयरक्राफ्ट ने की है। वैज्ञानिक अल बादरी और उनकी टीम ने अपनी खोज की पुष्टि के लिए सभी आंकड़ों को अमेरिका के हवाई स्थित जेमिनी ऑब्जर्वेटरी को भेज दिया है। वैज्ञानिकों की ये खोज रायल एस्ट्रोनामिकल सोसायटी के मंथली मैग्‍जीन में पब्लिश भी हुई है। वैज्ञानिकों ने इस ब्‍लैकहोल को Gaia BH1 का नाम दिया गया है। ये ब्‍लैकहोल ओफाशस तारामंडल में स्थित है। हालांकि वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब नहीं दे सके हैं कि आखिर ये ब्‍लैकहोल कैसे बना होगा।

    दूसरे ब्‍लैकहोल से अलग है ये  

    आपको बता दें कि वैज्ञानिक मिल्की वे में अब तक लगभग 20 ब्लैकहोल तलाश कर चुके हैं। लेकिन Gaia BH1 इनसे काफी अलग है। इसकी पहली वजह धरती से इसकी नजदीकी तो है ही साथ ही ये दूसरी अहम बात जिससे वैज्ञानिक भी हैरान हैं वो ये है कि ये ब्‍लैकहोल अपने आसपास के तारों को निगल नहीं रहा है। गौरतलब है कि ब्‍लैकहोल अपने आसपास की हर चीज को अपने अंदर समाहित कर लेते हैं। लेकिन, इसके साथ ऐसा नहीं है। वैज्ञानिक इसको देखकर काफी हैरान हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये कुछ भी नहीं कर रहा है। ये पूरी तरह से स्थिर है और शांत है। इसके आसपास सबकुछ शांत है जो आमतौर पर दिखाई नहीं देता है।

    इन सवालों का नहीं मिला जवाब 

    एलबर्ट आइनस्टाइन के सिद्धांत के मुताबिक ब्लैकहोल सर्वाधिक घना क्षेत्र होता है। वहां से प्रकाश तक गुजर नहीं सकता। वे अपने आसपास की हर चीज को निगल जाते हैं। इतना ही नहीं ब्‍लैकहोल में जाने के बाद वो सभी कहां जाते हैं इसकी कोई जानकारी नहीं है। वैज्ञानिक ये भी अब तक नहीं जानते हैं कि ये कैसे बनते हैं या कहां से आते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि सिर्फ हमारी आकाश गंगा में ही 10 करोड़ से अधिक ब्लैकहोल मौजूद हैं। इनमें से सूर्य से करोड़ों गुना बड़े भी हो सकते हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि छोटे ब्लैकहोल तारों से बनते हैं। तारे उम्र पूरी करने के बाद ब्लैकहोल में बदल जाते हैं।  

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