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'काला धन नहीं चुनावी बॉन्ड, पार्टियों के खातों में दिखता है साफ', गृह मंत्री शाह ने विपक्ष को सुनाई खरी-खरी

चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के आरोपों का करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड भारतीय राजनीति से काले धन का वर्चस्व खत्म करने के लिए लाया गया था। उन्होंने कहा कि भाजपा को कुल 20 हजार करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड में लगभग छह हजार करोड़ रुपये के बॉन्ड मिले हैं।

By Jagran News Edited By: Anurag GuptaPublished: Fri, 15 Mar 2024 11:45 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2024 11:45 PM (IST)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी बॉन्ड के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले का सम्मान करते हुए गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने विपक्ष के आरोपों का करारा जवाब दिया। उन्होंने साफ किया कि चुनावी बॉन्ड भारतीय राजनीति से काले धन का वर्चस्व खत्म करने के लिए लाया गया था। इसे निरस्त करने के बाद आगामी लोकसभा चुनाव समेत अन्य चुनावों में पहले की तरह कालेधन के उपयोग का खतरा बढ़ गया है।

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विपक्ष पर जमकर बरसे अमित शाह

एक मीडिया समूह के कार्यक्रम में शाह ने विपक्ष द्वारा फैलाई जा रही धारणा का कड़ा प्रतिरोध करते हुए कहा कि चुनावी बॉन्ड से पार्टियों को की गई फंडिंग काला धन नहीं है, बल्कि यह कंपनियों के साथ-साथ पार्टियों की बैलेंस सीट में साफ-साफ दिखता है। शाह ने सुप्रीम कोर्ट चुनावी बॉन्ड योजना को खत्म करने के बजाय इसे बेहतर बनाने की उम्मीद करते हुए कहा,

फैसले के बाद चुनावों में पहले की तरह काले धन के बड़े पैमाने पर उपयोग का खतरा बढ़ गया है।

चुनावी बॉन्ड को सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक करार दिये जाने के सवाल का जवाब देते हुए अमित शाह ने इससे पहले चुनावी चंदे की प्रक्रिया पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि वे किसी भी व्यक्ति से चुनावी बॉन्ड के पहले चुनावी फंडिंग की प्रक्रिया पर चर्चा के लिए तैयार हैं। शाह ने साफ किया,

चुनावी बॉन्ड को लेकर चर्चा सिर्फ इसीलिए हो रही है कि इसमें चंदा देने वाली कंपनी और चंदा लेने वाला राजनीतिक दल पारदर्शी तरीके से लेन-देन कर रहे हैं। इसके पहले काले धन के रूप में चंदा लेने वाले राजनीतिक दल और देने वाली कंपनी का कोई रिकॉर्ड ही नहीं होता था।

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अमित शाह ने क्या कुछ कहा?

उन्होंने सवाल उठाया कि जिस गोपनीयता के सवाल पर चुनावी बॉन्ड पर सवाल उठाया जा रहा है, वो इससे पहले नकद में चंदा देने वाली कंपनियों और लेने वाली कंपनियों के मामले में लागू क्यों नहीं होता है।

शाह ने साफ किया कि चुनावी बॉन्ड से भाजपा को फायदा होने का सिर्फ नैरेटिव फैलाया जा रहा है, जो सही नहीं है। राहुल गांधी चुनावी बॉन्ड को दुनिया की सबसे बड़ी उगाही का जरिया बता रहे हैं, लेकिन इसके पहले नकद में कालेधन से फंडिंग का कोई हिसाब देने में वे असमर्थ हैं।

किसे कितने चुनावी बॉन्ड मिले?

चुनावी बॉन्ड की असलियत बताते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा को कुल 20 हजार करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड में लगभग छह हजार करोड़ रुपये के बॉन्ड मिले हैं। वहीं, विपक्ष को 14 हजार करोड़ रुपये के बॉन्ड मिले हैं। लोकसभा में पार्टियों की हैसियत से चुनावी बॉन्ड की गणना करते हुए उन्होंने बताया,

सिर्फ 22 सांसदों वाली टीएमसी को 1600 करोड़ रुपये, 52 सांसदों वाली कांग्रेस को 1400 करोड़ रुपये, 12 सांसदों वाली बीजद को 775 करोड़ रुपये और 23 सांसदों वाली द्रमुक को 639 करोड़ रुपये के बॉन्ड मिले। हकीकत यह है कि हमारे 303 सांसद हैं। हमें छह हजार करोड़ के बॉन्ड मिले हैं। 242 सांसद जिन पार्टियों के हैं, उन्हें 14 हजार करोड़ के बॉन्ड मिले हैं।

चुनावी बॉन्ड की आलोचना करने वालों को चेतावनी देते हुए उन्होंने दावा किया कि जब हिसाब किताब होगा तो ये लोग किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।

शाह ने चुनावी बॉन्ड योजना के खत्म करने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कुछ भी बोलने से इनकार करते हुए कहा कि योजना सीधे खारिज करने के बजाय इसमें सुधार की गुंजाइश देखी जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि चुनावी बॉन्ड योजना के पहले पार्टियों को चंदा नकदी के माध्यम से दिया जाता था, लेकिन योजना लागू होने के बाद कंपनियों या व्यक्तियों को पार्टियों को चंदा देने के लिए बॉन्ड खरीदने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक में एक चेक जमा करना पड़ता था।

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शाह ने कांग्रेस से पूछा सवाल

ईडी-सीबीआइ का केस चलने वाली कंपनियों से बॉन्ड लिए जाने के सवाल पर शाह ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि क्या उन्होंने आजादी के बाद से अब तक चंदा नहीं लिया। सच्चाई यह है कि उन्होंने करोड़ों रुपये का चंदा नकद में लिया। उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि जिन लोगों ने मनमोहन सरकार के दौरान 10 साल में 12 लाख करोड़ के घपले-घोटाले किए, वे आज हिसाब पूछ रहे हैं।


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