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Electoral Bond: लॉटरी के कारोबार से जुड़ी है सबसे ज्यादा चंदा देने वाली कंपनी, इन चार फर्मों ने खरीदे 87 करोड़ के चुनावी बॉन्ड

चुनावी बॉन्ड के जरिये चंदा देने वाली कंपनियों और इसे पाने वाले राजनीतिक दलों के नाम सामने आ गए हैं। सबसे ज्यादा चंदा देने वाली कंपनी का नाम है फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज। यह कंपनी लॉटरी के कारोबार से जुड़ी है। चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली दूसरे नंबर की कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और तीसरे नंबर की कंपनी क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड है।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Published: Fri, 15 Mar 2024 11:00 PM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2024 11:00 PM (IST)
चुनावी बॉन्ड के जरिये चंदा देने वाली कंपनियों और इसे पाने वाले राजनीतिक दलों के नाम सामने आ गए हैं।

पीटीआई, नई दिल्ली। चुनावी बॉन्ड के जरिये चंदा देने वाली कंपनियों और इसे पाने वाले राजनीतिक दलों के नाम सामने आ गए हैं। सबसे ज्यादा चंदा देने वाली कंपनी का नाम है फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज। यह कंपनी लॉटरी के कारोबार से जुड़ी है। चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली दूसरे नंबर की कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और तीसरे नंबर की कंपनी क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड है।

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बताते चलें, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चुनावी बॉन्डों से जुड़ा ब्योरा सार्वजनिक कर दिया है। कोयंबटूर स्थित फ्यूचर गेमिंग भारत की सबसे बड़ी लॉटरी कंपनियों में से एक है। इसने सबसे ज्यादा 1,368 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं। लॉटरी दिग्गज सैंटियागो मार्टिन इसके संस्थापक और निदेशक हैं। सबसे ज्यादा चुनावी बॉन्ड खरीदने के कारण इस कंपनी का नाम अचानक सुर्खियों में आ गया है।

मेघा इंजीनियरिंग हैदराबाद की एक अनजान-सी कंपनी है। हालांकि, इसे हाल के वर्षों में जोजीला सुरंग और सिटी गैस परियोजना समेत कई अन्य परियोजनाएं मिली हैं। इसने एक मीडिया समूह का भी अधिग्रहण किया है। वित्त वर्ष 2019-20 और 2023-24 के बीच इसने कुल 966 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। यही वह अवधि है, जिस दौरान इस कंपनी को जम्मू और कश्मीर में सुरंग बनाने का ठेका मिला। इसके साथ ही कुछ शहरों में सीएनजी और पाइप लाइन के जरिये रसोई गैस की खुदरा बिक्री का लाइसेंस भी मिला।

इस कंपनी की स्थापना 1989 में पामीरेड्डी पिची रेड्डी ने की थी। उस समय इसका नाम मेघा इंजीनियरिंग एंटरप्राइजेज था और यह नगर पालिकाओं के लिए पाइप बनाती थी। क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड भी एक अल्पज्ञात कंपनी है। यह कंपनी नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नालेज सिटी के पते पर रजिस्टर्ड है। इसका संपर्क रिलायंस इंडस्ट्रीज से बताया जाता है। यह तीसरी सबसे बड़ी चंदा देने वाली कंपनी है।

वित्त वर्ष 2021-22 और 2023-24 के बीच इसने 410 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे। हालांकि, रिलायंस ने कहा है कि कंपनी से उसका कोई संबंध नहीं है। बजाज फाइनेंस, पीरामल एंटरप्राइजेज, पीएचएल फिनवेस्ट प्राइवेट लिमिटेड और एडलवाइज ग्रुप जैसी चार वित्तीय सेवा कंपनियों ने एक अप्रैल, 2019 से जनवरी 2024 के दौरान 87 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। पीरामल एंटरप्राइजेज, पीएचएल फिनवेस्ट प्राइवेट लिमिटेड और पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस ने इस अवधि के दौरान 60 करोड़ के बॉन्ड खरीदे।

एडलवाइज समूह की तीन कंपनियां ने चार करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। बजाज फाइनेंस ने 20 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। गोल्ड लोन देने वाली कंपनी मुथूट फाइनेंस ने इस दौरान तीन करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे।

क्षेत्रीय दलों को चुनावी बॉन्ड से 5,221 करोड़ रुपये मिले

क्षेत्रीय दलों को अप्रैल 2019 और जनवरी 2024 के बीच चुनावी बॉन्ड के जरिये 5,221 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला। यह राशि इसी अवधि में भाजपा को मिली 6,060.51 करोड़ रुपये की राशि से 839 करोड़ रुपये कम है। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी विवरण के मुताबिक, दो राष्ट्रीय दलों कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को इस अवधि में क्रमश: 1,421.86 करोड़ रुपये और 65.45 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। अन्य राष्ट्रीय दलों बसपा, माकपाऔर एनपीपी (नेशनल पीपुल्स पार्टी) को चुनावी बॉन्ड के जरिये कोई राशि नहीं मिली है।

क्षेत्रीय दलों में अकेले तृणमूल कांग्रेस को 1,609.53 करोड़ रुपये की राशि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त हुई है। यह राशि इस माध्यम से चंदा प्राप्त करने वाले 22 क्षेत्रीय दलों द्वारा प्राप्त कुल दानराशि का 30 प्रतिशत है। बीआरएस ने चुनावी बॉन्ड के जरिये 1,214.70 करोड़ रुपये, बीजद ने 775.50 करोड़ रुपये, द्रमुक ने 639 करोड़ रुपये, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने 337 करोड़ रुपये, तेदेपा ने 218.88 करोड़ रुपये और शिवसेना ने 159.38 करोड़ रुपये जुटाए।


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