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    अनिल अंबानी की कंपनियों पर ED की छापेमारी, सामने आया स्पष्टीकरण; 3000 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड का है मामला

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 09:24 PM (IST)

    प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अनिल अंबानी समूह से जुड़ी कंपनियों के लगभग 50 ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई यस बैंक से जुड़े 3000 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में की गई है। ईडी को नेशनल हाउसिंग बैंक सेबी और बैंक ऑफ बड़ौदा से जानकारी मिली थी कि अंबानी समूह की कंपनियां सार्वजनिक धन की हेराफेरी में शामिल थीं।

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    यस बैंक धोखाधड़ी अनिल अंबानी समूह पर ईडी का छापा (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, मुंबई, 24 जुलाई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनियों से जुड़े करीब 50 ठिकानों पर छापेमारी की है। यह छापेमारी अनिल अंबानी समूह की कंपनियों एवं यस बैंक से जुड़े करीब 3000 करोड़ रुपयों के बैंक धोखाधड़ी मामले में की गई है।

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    इस छापेमारी को लेकर अनिल अंबानी समूह की ओर से स्पष्टीकरण दिया गया है कि जिन रिपोर्टों को लेकर ईडी की कार्रवाई की जा रही है, वह रिलायंस होम फाइनेंस से जुड़े आठ वर्ष से ज्यादा पुराने लेनदेने से संबंधित प्रतीत होती हैं।

    ईडी ने अनिल अंबानी समूह की कंपनियों पर जिन शिकायतों के आधार पर छापेमारी की हैं, वे अंबानी समूह की कंपनियों द्वारा लोन के दुरुपयोग, रिश्वतखोरी और सार्वजनिक संस्थाओं के साथ धोखाधड़ी से संबंधित हैं।

    की गई थी 3000 करोड़ की हेराफेरी

    सूत्रों का कहना है कि ईडी को प्राप्त हुई जानकारियां नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, बैंक आफ बड़ौदा आदि से प्राप्त हुई थीं। ईडी को पता चला है कि अनिल अंबानी समूह से जुड़ी कंपनियां सार्वजनिक धन की हेराफेरी एवं वित्तीय संस्थानों को गुमराह करने की योजना में शामिल थीं।

    कहा जा रहा है कि इसमें 2017 से 2019 के बीच यस बैंक से करीब 3000 करोड़ रुपयों के ऋण की कथित तौर पर हेराफेरी की गई थी। इस हेराफेरी की कड़ी में कई मामलों में औपरचारिक मंजूरी मिलने से पहले ही ऋण वितरित कर दिया गया और बैंक में आवेदन जमा होने के दिन ही राशि भी जारी कर दी गई।

    इनमें ऋण पानेवाली कुछ कंपनियों की तो वित्तीय स्थिति भी कमजोर थी और उनके पास उचित दस्तावेजों की भी कमी थी। कहा जा रहा है कि रिलायंस हाउसिंग फाइनेंस लि. (आरएचएफएल) द्वारा दिए गए कॉर्पोरेट लोन में भारी उछाल देखने के बाद सेबी ने यह जानकारी ईडी के साथ साझा की थी।

    ED ने क्यों की कार्रवाई?

    ये कॉर्पोरेट लोन 2017-18 में 3,742.60 करोड़ रुपयों से बढ़कर 2018-19 में 8,670.80 करोड़ रुपए हो गए थे। अब ईडी इस बात की जांच कर रही है कि कहीं ये उछाल किसी लोन डायवर्जन योजना से तो नहीं जुड़ा था।

    बता दें कि ईडी की यह छापेमारी भारतीय स्टेट बैंक द्वारा रिजर्व बैंक के दिशा निर्देशों के अनुसार रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और उसके प्रमोटर अनिल अंबानी को फ्रॉड घोषित किए जाने के बाद शुरू हुई है।

    गुरुवार को हुई ईडी की छापेमारी पर रिलायंस समूह द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण में कहा गया है कि प्रमोटर की कुछ निजी कंपनियों को यस बैंक द्वारा दिए गए ऋण उन कंपनियों की योग्यता के आधार पर स्वीकृत किए गए थे।

    क्या है मामला?

    समूह का यह भी कहना है कि ऋण पूरी तरह सुरक्षित हैं, और ब्याज सहित पूरी तरह चुका भी दिए गए हैं, जिससे बकाया राशि अब शून्य हो गई है। रिलायंस समूह के अनुसार समूह की कंपनियों और यस बैंक के बीच सभी लेन-देन लागू कानूनों, नियमों और वित्तीय मानदंडों का पूरी तरह से पालन करते हुए किए गए हैं।

    समूह के स्पष्टीकरण में कहा गया है कि बैंक ऑफ बड़ौदा के नेतृत्व वाली रिलायंस होम फाइनेंस की ऋण समाधान प्रक्रिया भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के मार्च 2023 के फैसले के अनुसार हल हो गई है एवं रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस होम फाइनेंस, रिलायंस समूह का हिस्सा नहीं हैं।

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