'शिक्षिका साड़ी पहने या सूट, यह तय करने का हक स्कूल को नहीं'
स्कूलों में शिक्षिका साड़ी पहनकर आए या सलवार सूट, इसका निर्धारण करने का अधिकार स्कूल प्रबंधन को नहीं है। शिक्षा अधिनियम के तहत एक महिला शिक्षिका सलवार ...और पढ़ें

नई दिल्ली, [पवन कुमार]। स्कूलों में शिक्षिका साड़ी पहनकर आए या सलवार सूट, इसका निर्धारण करने का अधिकार स्कूल प्रबंधन को नहीं है। शिक्षा अधिनियम के तहत एक महिला शिक्षिका सलवार सूट व साड़ी या कोई भी भारतीय परिधान पहन कर स्कूलों में आ सकती है। स्कूल में शिक्षिकाओं के लिए ड्रेस कोड लागू करना सही नहीं है। यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने रोहिणी के एक निजी स्कूल की 24 शिक्षिकाओं को राहत प्रदान की है।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली की खंडपीठ ने स्कूल प्रबंधन द्वारा जारी उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें शिक्षिकाओं को स्कूल में केवल साड़ी पहनकर आने का निर्देश जारी किया गया था। खंडपीठ ने स्कूल प्रबंधन से इस मामले में जवाब तलब भी किया है। स्कूल प्रबंधन से पूछा गया है कि उसने शिक्षिकाओं के लिए ड्रेस कोड तय करने का निर्णय क्यों और किस आधार पर लिया? इस मामले की सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।
पेश मामले में, रोहिणी सेक्टर-15 स्थित विद्या भारती स्कूल की शिक्षिका सीमा, प्रीति शर्मा, रेनु गुप्ता, रजनी शर्मा, संगीता समेत 24 शिक्षिकाओं ने स्कूल प्रबंधन, शिक्षा निदेशालय और सीबीएसई के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि स्कूल प्रबंधन ने स्कूल में ड्रेस कोड लागू करते हुए निर्देश जारी किया है कि स्कूल में शिक्षिकाओं को केवल साड़ी पहन कर ही आना होगा। जो शिक्षिका सलवार सूट पहन कर आएगी, उसे स्कूल में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। इनका कहना है कि ड्रेस कोड बच्चों के लिए होता है, शिक्षकों के लिए नहीं। इसलिए स्कूल के इस निर्देश को खारिज किया जाए। शिक्षिकाओं का यह भी आरोप है कि उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया जाता है।

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