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पाकिस्तान से ही आए थे उड़ी हमले के आतंकी, जीपीएस डाटा से हुआ खुलासा

उड़ी हमले की जांच से जुड़े एक सूत्र का कहना है, जांच में पता चला है कि आतंकवादियों ने पाकिस्तान के एक कैंप से ही अपनी यात्रा शुरू की थी।

By Digpal SinghEdited By: Published: Thu, 01 Dec 2016 10:03 AM (IST)Updated: Thu, 01 Dec 2016 10:11 AM (IST)
पाकिस्तान से ही आए थे उड़ी हमले के आतंकी, जीपीएस डाटा से हुआ खुलासा

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के उड़ी में 12 इंफैंट्री ब्रिगेड के हेडक्वार्टर पर हुए आतंकी हमले को लेकर पहले ही साफ हो चुका था कि आतंकवादी पाकिस्तान से आए थे। इस मामले की जांच से जुड़े एक सूत्र का कहना है, जांच में पता चला है कि आतंकवादियों ने पाकिस्तान के एक कैंप से ही अपनी यात्रा शुरू की थी।

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सूत्र ने कहा, 'यह निष्कर्ष 18 सितंबर को उड़ी में हमला करने वाले आतंकवादियों से जब्त एक जीपीएस सिस्टम की जांच के बाद सामने आया है।' प्रमुख अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, 'आतंकवादियों से जब्त किया गया ग्रामीण ई-ट्रेक्स जीपीएस से मिले डाटा के अनुसार वे मुजफ्फराबाद-श्रीनगर रोड के जरिए 17 सितंबर एलओसी की तरफ आए थे।'

इसके बाद आतंकियों ने 17 सितंबर की रात चकोटी के दक्षिण में एलओसी की तरफ बढ़े। इसके बाद भी वे पूर्व की तरफ बढ़ते रहे, फिर वे दारा गूलान गांव की तरफ बढ़े। यहां आतंकवादियों ने 12 इंफेंट्री ब्रिगेड के हेडक्वार्टर पर हमला करने से पहले कुछ देर आराम किया।

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जीपीएस से मिली जानकारी के अनुसार साफ है कि आतंकवादी एलओसी पर त्रिस्तरीय सुरक्षा को भेजने में सक्षम थे। सूत्र ने कहा, सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि वे कश्मीर के अंदरूनी इलाकों में भी सेना की नजरों से बच निकलने के लिए पूरी तरह से सक्षम थे।

जीपीएस सिस्टम से मिले डाटा के अनुसार इसे सबसे पहले 4 सितंबर को आन किया गया था। इसे लीपा घाटी में लश्कर-ए-तैयबा के कैंप में पहली बार आन किया गया था। बाद में भारतीय सेना ने एलओसी पार कर यहीं पर सर्जिकल स्ट्राइक को भी अंजाम दिया था।

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हालांकि इस बारे में अभी तक कोई जांच नहीं हुई है कि चारों आतंकवादियों ने एलओसी पर लगी तारों की बाढ़ को कैसे पार किया, लेकिन सेना के सूत्रों के अनुसार माना जा रहा है कि उन्होंने सीढ़ियों का इस्तेमाल करके कांटेदार तारों को पार किया होगा।

बता दें कि आतंकवादियों के पास सेटेलाइन नेटवर्क से मिलने वाले रेडियोवेव सिग्नल्स पर काम करने वाले दो जीपीएस सिस्टम थे, लेकिन मुठभेड़ में एक सेट बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। पिछले ही महीने लश्कर-ए-तैयबा ने उरी आतंकी हमले की जिम्मेदारी भी ली थी।

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