अब दालों में भी आत्मनिर्भर बनेगा भारत, मोदी सरकार ने 'दलहन आत्मनिर्भरता मिशन' को दी मंजूरी
केंद्र सरकार ने दलहन आत्मनिर्भरता मिशन को मंजूरी दी है जिसका उद्देश्य 2030-31 तक दाल उत्पादन को 350 लाख टन तक पहुंचाना है। इस अभियान के तहत 11440 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। किसानों को उच्च उत्पादकता वाले बीज दिए जाएंगे और दालों की खेती के रकबे में वृद्धि की जाएगी। सरकार कटाई-बाद की अवसंरचना को मजबूत करने के लिए प्रसंस्करण इकाइयां भी स्थापित करेगी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में दालों की बढ़ती खपत और आयात पर निर्भरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने दलहन आत्मनिर्भरता मिशन को मंजूरी दी है। यह अभियान 2025-26 से 2030-31 तक चलेगा और छह वर्षों में 11,440 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। लक्ष्य है कि वर्ष 2030-31 तक देश का दाल उत्पादन 350 लाख टन तक पहुंच जाए, ताकि आयात की जरूरत समाप्त हो जाए।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक और उपभोक्ता है। साथ ही प्रत्येक साल दाल की खपत में वृद्धि भी हो रही है। ऐसे में अपनी जरूरत की लगभग 15-20 प्रतिशत दालें आयात करनी पड़ती हैं। इसका कारण है कि भारत में दाल न सिर्फ भोजन का अहम हिस्सा है, बल्कि पोषण और किसानों की आय का भी आधार है। दलहन मिशन के तहत उच्च उत्पादकता वाली, कीट एवं जलवायु प्रतिरोधी किस्मों के बीज किसानों तक पहुंचाए जाएंगे।
88 लाख बीज किट मुफ्त बांटी जाएंगी
दलहन के रकबे में 35 लाख हेक्टेयर की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। इस दौरान किसानों को 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज दिए जाएंगे, जिनमें से 88 लाख बीज किट मुफ्त बांटी जाएंगी। इससे चावल की परती भूमि और अनुपयोगी जमीन पर भी दालों की खेती को बढ़ावा मिलेगा। मिशन क्लस्टर आधारित रणनीति पर काम करेगा। अलग-अलग क्षेत्रों की स्थिति के अनुसार योजनाएं लागू की जाएंगी।
1,000 प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित होंगी
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर), देश भर में सात सौ से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र और राज्यों के कृषि विभाग किसानों को प्रशिक्षण और प्रदर्शनों के माध्यम से नई तकनीक अपनाने में मदद करेंगे। कटाई-बाद की अवसंरचना को मजबूत करने के लिए 1,000 प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित होंगी। इनके लिए 25 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी। सरकार का मानना है कि इससे फसल नुकसान घटेगा, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग से मूल्य संवर्धन होगा और किसानों की आय बढ़ेगी।
किसानों के लिए बड़ी राहत यह है कि अरहर, उड़द और मसूर की 100 प्रतिशत खरीद अगले चार वर्षों तक एमएसपी पर की जाती रहेगी। नेफेड और एनसीसीएफ जैसी एजेंसियां इसकी जिम्मेदारी निभाएंगी, जिससे किसानों को गारंटीड दाम मिलेंगे।
2030-31 तक दलहन 350 लाख टन तक पहुंचेगा
सरकार का अनुमान है कि मिशन से 2030-31 तक दलहन का क्षेत्रफल 310 लाख हेक्टेयर और उत्पादन 350 लाख टन तक पहुंचेगा। उत्पादकता भी बढ़कर 1130 किलो प्रति हेक्टेयर हो जाएगी। इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी, रोजगार के नए अवसर और विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
यह मिशन किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण है। यदि योजनाएं जमीनी स्तर तक सही ढंग से लागू हुईं तो न सिर्फ दालों की किल्लत दूर होगी, बल्कि मिट्टी की सेहत सुधरेगी और फसल चक्र भी संतुलित होगा। सबसे अहम बात यह कि भारत दालों में पूरी तरह आत्मनिर्भर बन सकेगा।
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