Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सोने के कलश से नाम, वस्तुओं से पहचान... कैसे होती है दलाई लामा की खोज? जानें उत्तराधिकारी चुनने की पूरी प्रक्रिया

    Updated: Mon, 30 Jun 2025 05:05 PM (IST)

    Dalai Lama Successor धर्मशाला में दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर उनके उत्तराधिकारी की घोषणा की अटकलें लगाई जा रही हैं। तिब्बती बौद्ध धर्म में दलाई लामा का चुनाव पुनर्जन्म की मान्यता पर आधारित है। मृत्यु के बाद नए दलाई लामा को खोजने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं जैसे कि पुरानी वस्तुओं की पहचान या विशेष संकेतों का मिलना।

    Hero Image
    दलाई लामा के 90वें जन्मदिवस पर हो सकती है अगले उत्तराधिकारी की घोषणा। फोटो- जागरण

    डिजिटल डेस्क, धर्मशाला। तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी का नाम जल्द ही सामने आ सकता है। 14वें दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर उत्तराधिकारी की घोषणा के कयास लगाए जा रहे हैं। 6 जुलाई को दलाई लामा 90 साल के पूरे हो जाएंगे। धर्मशाला के मैकलोडगंज में उनके लिए तीन दिवसीय जन्मदिन समारोह का आयोजन किया जा रहा है, जिसपर चीन की नजरें भी टिकीं हुई हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (CTA) के कई बड़े नेता दावा कर चुके हैं कि 90वें जन्मदिन पर दलाई लामा अपने उत्तराधिकारी का एलान कर सकते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी कैसे चुना जाता है? आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में...

    पुनर्जन्म की मान्यता

    तिब्बती बौद्ध धर्म में दलाई लामा चुनने की प्रथा सदियों पुरानी है। यह परंपरा पुनर्जन्म के सिद्धांत पर आधारित है। तिब्बत में ऐसी मान्यता है कि दलाई लामा दोबारा जन्म लेते हैं और एक नया रूप धारण करके अपना पद भार संभालते हैं।

    कैसे मिलते हैं नए दलाई लामा?

    तिब्बती मान्यता के अनुसार, दलाई लामा की मृत्यु के 9 महीने बाद जन्में बच्चे को ढूंढा जाता है या फिर दलाई लामा अपनी मृत्यु से पहले कुछ संकेत देते हैं ,जिसकी मदद से नए दलाई लामा को खोजा जाता है। नए दलाई लामा की खोज कई सालों तक भी चल सकती है।

    आमतौर पर नए दलाई लामा को पुराने दलाई लामा की कुछ चीजें दिखाई जाती हैं, जिन्हें पहचानने वाले बच्चे को ही नया दलाई लामा बनाया जाता है। इसके बाद उन्हें कुछ सालों की शिक्षा दी जाती है और परीक्षा के सभी पड़ावों को पार करने के बाद उन्हें दलाई लामा बनाने की घोषणा की जाती है।

    1. वस्तुएं दिखाकर पहचानना: 14वें दलाई लामा ने भी 2 साल की उम्र में 13वें दलाई लामा की चीजों को पहचान लिया था। उन्होंने पुराने दलाई लामा की वस्तुओं को देखने के बाद कहना शुरू कर दिया कि 'ये मेरी है...ये मेरी है।' जिसके बाद उन्हें 14वां दलाई लामा बनाया गया था।

    2. सोने के कलश से नाम निकालना: दलाई लामा को पहचानने की एक प्रथा यह भी थी कि कागज पर उनका नाम लिखकर एक सोने के कलश में छिपा दिया जाता था। हालांकि, अब यह कलश चीन के पास है।

    3. इंद्रधनुष से हुई पहचान: 1758 में 8वें दलाई लामा की पहचान इंद्रधनुष से हुई थी। मान्यता के अनुसार, आसमान में बने इंद्रधनुष ने 8वें दलाई लामा की मां को छुआ था, जिसके बाद 8वें दलाई लामा कमल ध्यान की स्थिति में बैठने की कोशिश करने लगे। इससे ही उनकी पहचान की गई।

    1959 में दलाई लामा ने छोड़ा तिब्बत

    14वें दलाई लामा ने 1959 में चीन के कारण तिब्बत छोड़ दिया था। वो अरुणाचल प्रदेश के रास्ते तिब्बत से भारत में घुसे और फिर हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रहने लगे। दलाई लामा के भाई ग्यालो थौनडुप की आत्मकथा 'द नूडल मेकर ऑफ कलिंमपौंग' ने दलाई लामा के भारत में दाखिल होने के लम्हे को विस्तार से लिखा है। उन्होंने लिखा,

    31 मार्च, 1959 को दोपहर दो बजे दलाई लामा ने अब के अरुणाचल प्रदेश के तवांग ज़िले में छुतांगमू से याक की पीठ पर बैठकर भारतीय सीमा में प्रवेश किया।

    अगले उत्तराधिकारी पर तोड़ी थी चुप्पी

    दलाई लामा ने अपनी किताब 'वॉयस फॉर वायसलेस' में अगले उत्तराधिकारी का जिक्र किया था। किताब में उन्होंने लिखा था, "पुनर्जन्म का उद्देश्य पूर्वाधिकार के कार्यों को आगे बढ़ाना है। ऐसे में नया दलाई लामा मुक्त संसार में जन्म ले सकता है, जिससे तिब्बती बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक गुरु के साथ तिब्बती लोंगों की आकांक्षाओं को मूर्त रूप देने वाले पारंपरिक मिशन को आगे बढ़ाया जा सके।"

    यह भी पढ़ें- तिब्बत को लेकर फिर बढ़ी चीन की चिंता, दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर हो सकती है उत्तराधिकारी की घोषणा