चीफ जस्टिस रंजन गोगोई हुए रिटायर, कार्यकाल के दौरान सुनाए कई ऐतिहासिक फैसलें
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई आज रिटायर हो गए हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल को दौरान कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए जिन्होंने उनके कार्यकाल को यादगार बना दिया है।
नई दिल्ली, एजेंसी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई आज सेवानिर्वित हो गए। रिटायमेंट से पूर्व जस्टिस गोगोई ने रविवार को तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर के मंदिर में पूजा-अर्चना की। मंदिर के एक अधिकारी ने कहा कि गोगोई के साथ इस दौरान उनकी पत्नी रूपंजलि गोगोई भी मौजूद थीं।
नए चीफ जस्टिस के एसए बोबड़े सोमवार को शपथ लेंगे। शुक्रवार को रंजन गोगोई का आखिरी कार्यदिवस था। चीफ जस्टिस ने अपने कार्यकाल में कई अहम फैसले लिए हैं। वह चार जजों द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शामिल थे। हाल ही में अयोध्या पर दिया गया फैसला ऐतिहासिक रहा, जिसने उनके कार्यकाल को यादगार बना दिया है।
कुछ ऐसा रहा आखिरी कार्यदिवस
अपने आखिरी कार्यदिवस के दिन शुक्रवार वह सुबह साढ़े 10 बजे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। इसके बाद वह करीब चार मिनट तक कोर्ट नंबर 1 में रहे। कोर्ट एक में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 3 अक्टूबर से बैठते आ रहे हैं। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस गोगोई को फेयरलवल पार्टी दी।
शपथ लेने के साथ ही अयोध्या मामले पर लिया एक्शन
जस्टिस गोगोई के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती जो थी वो अयोध्या मामला था। शपथ लेने के साथ ही उन्होंने अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए एक संवैधानिक बेंच का गठन किया। उन्होंने खुद उस पीठ की अगुवाई की। उन्होंने दोनों पक्षों से बात करने को भी कहा। इसके बाद लगातार 40 दिनों तक मामले में लगातार सुनवाई कर फैसला सुनाया गया।
जब प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए व्यक्त की नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट के तीन जज और जस्टिस रंजन गोगोई ने मिलकर 12 जनवरी 2018, को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। हालांकि, अब वह तीनों जज रिटायर हो गए हैं। ऐसा पहली बार था जब जजों ने इस तरह से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इस दौरान उन्होंने केस के आवंटन और रॉस्टर सिस्टम को लेकर सवाल उठाएं थे। इसके बाद ही रोस्टर सिस्टम को सार्वजनिक कर दिया गया।
जानें चीफ जस्टिस गोगोई से जुड़ी कुछ खास बातें
18 नवंबर को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 65 साल के होने जा रहे हैं। भारत के संविधान में चीफ जस्टिस के रिटायर होने की उम्र 65 वर्ष है। रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर 1954 को हुआ था। उन्होंने 1978 में बतौर एडवोकेट अपने कार्यकाल की शुरुआत की थी। अपने शुरुआती दौर में उन्होंने गुवाहाटी होईकोर्ट में वकालत की। 28 फरवरी 2001 को गुवाहटी हाईकोर्ट में उन्हें स्थायी न्यायमूर्ति के तौर पर नियुक्त किया गया।
9 सितंबर 2010 में उनका तबादला कर दिया गया और वह पंजाब औप हरियाणा के हाईकोर्ट में आ गए। 12 फरवरी 2011 में वह पंजाब और हरियाणा के चीफ जस्टिस बने। फिर उन्हें प्रमोट किया गया और वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बने। जब चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा रियाटर हुए उनके बाद रंजन गोगोई को चीफ जस्टिस का पद दिया गया।
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