Chandrayaan-3: चांद से मिलने चला अपना यान, इस तरह बना है चंद्रयान; ऐसे पूरा होगा 40 दिन का इम्तिहान
मिशन डायरेक्टर एस मोहन कुमार ने कहा कि एलवीएम3 एक बार फिर भरोसेमंद राकेट साबित हुआ है। देश में सेटेलाइट्स की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए इसकी लॉन्चिंग बढ़ाने पर विज्ञानी काम कर रहे हैं। इस राकेट ने लगातार छह सफल अभियानों में भूमिका निभाई है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसे देश के लिए गौरव का क्षण बताया।
श्रीहरिकोटा, एजंसी। घड़ी की टिक-टिक के साथ शुक्रवार दोपहर को तय समय दो बजकर 35 मिनट पर बहुप्रतीक्षित चंद्रयान-3 रवाना हो गया। 25 घंटे 30 मिनट के काउंटडाउन के बाद आया यह क्षण 140 करोड़ भारतीयों की महत्वाकांक्षाओं की उड़ान का साक्षी बना। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का एलवीएम3-एम4 राकेट श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान को लेकर रवाना हुआ। 40 दिन के सफर के बाद 23 अगस्त को यान के साथ भेजा गया लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा।
चंद्रयान-2 के समय लैंडिंग सफल नहीं रही थी। अब उस अधूरे मिशन को पूरा करने का लक्ष्य है। अब तक अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ ने ही ऐसा करने में सफलता पाई है।चंद्रयान-3 के साथ कैसे पूरे देश की महत्वाकांक्षाएं जुड़ी हैं, इसका अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सुबह से ही हजारों लोग इस लॉन्चिंग को देखने के लिए जुट गए थे।
टीवी चैनल और अन्य इंटरनेट मीडिया पर भी लोग टकटकी बांधे इसे देख रहे थे। मिशन कंट्रोल सेंटर की तरफ से हर जानकारी साझा की जा रही थी। लॉन्चिंग के करीब 16 मिनट बाद फैट ब्वाय के नाम से लोकप्रिय एलवीएम3-एम4 राकेट ने यान को पृथ्वी की कक्षा में छोड़ दिया। अब कुछ दिन यान पृथ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में चक्कर लगाते हुए चंद्रमा की ओर बढ़ेगा।
चांद की कक्षा में चक्कर लगाते हुए धीरे-धीरे यान उसकी निकटतम कक्षा में पहुंचेगा और वहां से लैंडर-रोवर चांद की सतह की ओर बढ़ेंगे। इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि एक अगस्त के बाद यान को चांद की कक्षा की ओर भेजा जाएगा।
मिशन डायरेक्टर एस मोहन कुमार ने कहा कि एलवीएम3 एक बार फिर भरोसेमंद राकेट साबित हुआ है। देश में सेटेलाइट्स की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए इसकी लॉन्चिंग बढ़ाने पर विज्ञानी काम कर रहे हैं। इस राकेट ने लगातार छह सफल अभियानों में भूमिका निभाई है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसे देश के लिए गौरव का क्षण बताया।
चंदामामा दूर के: चंद्रयान से जुड़े तथ्य
14 जुलाई 2023 को दोपहर दो बजकर 35 मिनट पर एलवीएम-3 राकेट ने श्रीहरिकोटा से भरी उड़ान
चंद्रयान-2 के अधूरे काम को पूरा करेगा यह मिशन, चांद की सतह पर उतरेगा लैंडर
3.84 लाख किलोमीटर है पृथ्वी से चांद की औसतन दूरी। पृथ्वी की परिक्रमा के दौरान चांद की दूरी कम और ज्यादा होती है।
4.05 लाख किलोमीटर होती है चांद की अधिकतम दूरी
3.63 लाख किलोमीटर रहती है चांद की न्यूनतम दूरी
चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के लिए समय इसी आधार पर चुना गया है, क्योंकि इस समय चांद और पृथ्वी की दूरी कम है।
लॉन्चिंग के करीब 16 मिनट बाद राकेट से यान अलग हो गया
अब यान अगले कुछ दिन पृथ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में चक्कर काटेगा
सबसे निकटतम कक्षा 170 किमी और अधिकतम कक्षा 36,500 किमी पर होगी
पहली अगस्त के बाद यान चांद की कक्षा की ओर बढ़ेगा
चांद की अलग-अलग कक्षाओं में भी यान कुछ दिन चक्कर लगाएगा
23 अगस्त को शाम 5 बजकर 47 मिनट पर यान का लैंडर चांद पर उतरेगा
इस तरह बना है चंद्रयान-3
2148 किलोग्राम का प्रोपल्शन माड्यूल है। यह लैंडर-रोवर को चांद की निकटतम कक्षा में ले जाकर छोड़ देगा और फिर चांद के चक्कर लगाएगा। इस दौरान इसमें लगे पेलोड चांद की कक्षा से पृथ्वी का अध्ययन करेंगे।-
1752 किलोग्राम का लैंडर माड्यूल है, जिसमें 26 किग्रा का रोवर माड्यूल भी समाहित है। चांद की सतह पर उतरने के बाद लैंडर से रोवर अलग हो जाएगा।- लैंडर में लगे पेलोड से चांद की सतह का अध्ययन किया जाएगा। इसमें नासा का भी पेलोड लगा है। रोवर कुछ दूरी तक चलकर चांद की सतह का अध्ययन करेगा।
14 जुलाई की तारीख भारतीय अंतरिक्ष अभियान की दुनिया में स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी। चंद्रयान-3 ने नया अध्याय लिखा है। यह उपलब्धि हमारे विज्ञानियों के अथक प्रयासों का परिणाम है। मैं उनकी ललक और प्रतिभा को प्रणाम करता हूं। - नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री
बधाई हो भारत। चंद्रयान-3 ने चांद की ओर अपनी यात्रा प्रारंभ कर दी है। हमारे एलवीएम3 ने यान को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा दिया है। आगे की यात्रा के लिए चंद्रयान-3 को अपनी शुभकामना प्रेषित करें।- एस सोमनाथ, इसरो प्रमुख