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जानिए किस वजह से गर्दन व कंधों में दर्द सरीखी समस्याएं पैदा होती है, पढ़े एक्सपर्ट की राय

डॉ.आर. के. सिंह ने बताया कि कृत्रिम सर्वाइकल डिस्क को गर्दन की वर्टिब्रा के बीच खराब हो चुकी डिस्क के स्थान पर स्क्रू के बगैर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 03:57 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 03:58 PM (IST)
जानिए किस वजह से गर्दन व कंधों में दर्द सरीखी समस्याएं पैदा होती है, पढ़े एक्सपर्ट की राय
जानिए किस वजह से गर्दन व कंधों में दर्द सरीखी समस्याएं पैदा होती है, पढ़े एक्सपर्ट की राय

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। सौरभ एक सफल मार्केटिंग मैनेजर हैं, परन्तु कुछ दिनों से वह गर्दन के दर्द, कंधे, बांहों और हाथों में दर्द, झुनझुनी, सुन्नपन और चक्कर आने से परेशान थे। वह काम पर नहीं जा पा रहे थे। वह मेरे पास आए। एमआरआई परीक्षण कराने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि सौरभ के गर्दन की चार और पांच नंबर की वर्टिब्रा के बीच की डिस्क क्षीण हो चुकी है। इस कारण डिस्क स्पाइनल कैनाल में हर्निया की तरह बाहर निकलकर स्पाइनल कॉर्ड और दाहिनी ओर की नस को पचास प्रतिशत से ज्यादा दबा रही थी।

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पूछने पर पता चला कि वह मोटा तकिया लगाते हैं और लेटकर टेलीविजन देखते हैं। पलंग पर बैठकर गर्दन झुकाकर कंप्यूटर पर काम करते हैं। मोटर साइकिल चलाते समय गर्दन और कंधे के बीच सेलफोन दबाकर बातें करते हैं। तब एक अन्य आर्थो-स्पाइन सर्जन ने उन्हें डिस्क फ्यूजन की सलाह दी और इसकी सीमित उपयोगिता जैसे गर्दन के उस प्रभावित भाग में गति का न होना और कुछ अर्से बाद फ्यूज्ड डिस्क के ऊपर- नीचे स्थित डिस्क में गठिया के होने की आशंकाएं बतायी थीं। जानें क्‍या कहते है कानपुर के सीनियर आर्थो-स्पाइन सर्जन डॉ. सुदीप जैन

डिस्क रिप्लेसमेंट ऑपरेशन के बारे में : अंतत: सौरभ बेहतर इलाज की तलाश में फिर मेरे पास आए। मैंने उन्हें सर्वाइकल डिस्क रिप्लेसमेंट ऑपरेशन की पूर्ण जानकारी दी, जिसमें डिस्क फ्यूजन द्वारा होने वाली समस्याएं नहीं थीं। अंत में सौरभ ने सर्वाइकल डिस्क रिप्लेसमेंट ऑपरेशन कराया। ऑपरेशन के अगले दिन उनकी खुशी की सीमा नहीं थी, क्योंकि उनका दर्द पूरी तरह से गायब हो चुका था और उन्हें गर्दन घुमाने में कोई दिक्कत नहीं थी। एक महीने बाद वह वापस काम पर जाने लगे।

जांचें व इलाज: एक्सरे, सी. टी. स्कैन व एमआरआई। कृत्रिम सर्वाइकल डिस्क को गर्दन की वर्टिब्रा के बीच खराब हो चुकी डिस्क के स्थान पर स्क्रू के बगैर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। आम तौर पर यह प्रत्यारोपण छोटे चीरे द्वारा किया जाता है। प्रत्यारोपण के बाद गर्दन आगे झुकाने में यह डिस्क बंद होकर वर्टिब्रा को आगे की ओर मुड़ने देती है और गर्दन को पीछे ले जाने पर यह स्वयं ही आगे की ओर फैल कर वर्टिब्रा को पीछे जाने में मदद करती है। कृत्रिम सर्वाइकल डिस्क ऊपर या नीचे की डिस्क पर भी कोई दुष्प्रभाव नहीं डालती।

रोग का स्वरूप: गर्दन की रीढ़ की हड्डी में सात वर्टिब्रा होती हैं। इनके बीच सर्वाइकल डिस्क दो वर्टिब्रा को जोड़ने का कार्य करती है। इस कारण हम गर्दन को स्वाभाविक रूप से घुमा सकते हैं। लगातार बहुत अधिक असामान्य दबाव पड़ने पर डिस्क धीरे-धीरे क्षीण होने लगती है और डिस्क के मध्य में स्थित जेली जैसा मुलायम भाग उसके बाहरी कवच से हर्निया की भांति बाहर निकल आता है। इसी वजह से गर्दन व कंधों में दर्द सरीखी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

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